नोटबंदी : बेटे का इंतज़ार करती रही पिता की अर्थी, लेकिन ए.टी.एम की लाइन में लगा बेबस बेटा

Sunday, Dec 11, 2016 - 10:17 AM (IST)

चंडीगढ़ : बैंकों की छुट्टियों में लोगों के लिए पैसे निकालने का एकमात्र जरिया ए.टी.एम ही हैं इसके बाद भी ए.टी.एम खाली पड़े हैं। अगर एटीएम में कैश नहीं निकलता तो लोग अपनी रोजमर्रा की जरूरतें भी पूरी नहीं कर पाएंगे। शनिवार को तो पूरा शहर इन ए.टी.एम के सहारे रहा लेकिन ज्यादा जगह पर लिखा था नो कैश। नोटबंदी से लोगों को सबसे ज्यादा दिक्कत एक दिसंबर से हो रही है। लोगों का कहना है कि इतने लाचार तो वो नौकरी छूट जाने या बेरोजगार होने पर भी नहीं होते। देर रात भी सेक्टर 17 में लंबी लंबी कतारें लगी रहीं।

 

नोटबंदी के आगे शायद ही कोई इतना  मजबूर व लाचार होगा जितना कि आज एसबीआई के खाली पड़े ए.टी.एम की लाइन में लगे शशिकांत है। शशिकांत की मजबूरी सुनकर आपकी आंखे भी भर आएंगी। शनिवार सुबह सैक्टर -17 स्थित एस.बी.आई बैंक के ए.टी.एम की लाइन में बिहार के गया के रहनेवाले शशिकांत बैचेन से खड़े ए.टी.एम के चलने का इंतजार कर रहे थे। लइकन ए.टी.एम में दोपहर एक बजे तक पैसे नहीं डले थे। 

 

शशिकांत ने बताया कि वो यहां पी.यू. में रहते है। शशिकांत ने बताया कि बुधवार को घर से खबर आई है कि उनके 65 वर्षीय पिता कि मृत्यु हो गई है।उसके पास इतने भी पैसे नहीं थे कि वो घर जा सके। शशिकांत ने बताया कि मोबाइल एप पर पैसों वाला ए.टी.एम तलाशा तो पाया कि शहर के किसी भी ए.टी.एम पर कैश नहीं है। यहां लाइन लगी देखी तो लाइन में लग गया लेकिन पता चला अभी कैश यहां आ रहा है। शशिकांत की पिता की मौत की खबर जब लाइन में लगे अन्य लोगों को पता चली तो उन्होंने शशिकांत को लाइन में सबसे आगे बुला लिया और जैसे ही कैश डला शशिकांत ने पैसे निकाले और स्टेशन की तरफ भागा।

 

निर्देश के बावजूद ए.टी.एम नहीं खोल रहे बैंक, लोग परेशान 
नोटबंदीके बाद कालाधन सफेद करने को लेकर सबसे ज्यादा सवाल बैंकों पर उठे हैं। आर.बी.आई. का दावा है कि बैंको को पर्याप्त कैश दिया जा रहा है, लेकिन इसके बावजूद बैंकों के ए.टी.एम या तो खाली पड़े हैं या बंद हैं। यही नहीं, आर.बी.आई ने सभी बैंकों से कहा है कि चाहे ए.टी.एम में कैश है या नहीं, वे ए.टी.एम को ताला नहीं लगा सकते, लेकिन बैंक आर.बी.आई के इस निर्देश की भी परवाह नहीं कर रहे हैं। ज्यादातर ए.टी.एम के शटर अभी भी गिरे हुए हैं। 

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