निर्भया के गुनाहगार का अजीब तर्क, दिल्ली में खतरनाक स्तर पर प्रदूषण, ऐसे में फांसी की क्या जरूरत

Wednesday, Dec 11, 2019 - 11:34 AM (IST)

नेशनल डेस्क: कहते हैं ना जब मौत करीब आती है तो सबसे पहले भगवान याद आते हैं। और शायद ऐसा ही कुछ हाल निर्भया के गुनहगारों का हो रहा है। क्योंकि जैसे-जैसे मौत की घड़ी पास आ रही है। तो इन्हे सतयुग से लेकर दिल्ली का प्रदूषण तक सब याद आ रहा है। निर्भया के अपराधियों में से एक 31 वर्षीय अक्षय ठाकुर ने शीर्ष अदालत में पुर्नविचार याचिका दायर की है। जिसमें उसने फांसी नहीं देने के पीछे बड़े ही अजीबो-गरीब तर्क दिए हैं। 



अक्षय ठाकुर की पुर्नविचार याचिका में कहा गया है कि दिल्ली में वायु प्रदूषण बेहद खतरनाक स्तर पर है। दिल्ली गैस चेंबर में तब्दील हो चुकी है। यहां का पानी जहरीला हो चुका है और ऐसे में जब खराब हवा और पानी के चलते उम्र पहले से ही कम से कम होती जा रही है तो फिर फांसी की सजा की जरूरत क्यों है? वेद पुराण और उपनिषद के मुताबिक सतयुग में लोग हजारों साल तक जीते थे। त्रेता युग में भी एक-एक आदमी हज़ार-हजार साल तक जीता था। लेकिन, अब कलयुग में आदमी की उम्र 50 साल तक ही सीमित रह गई है। तो फिर ऐसे में फांसी की सज़ा देने की जरूरत नहीं है।
 

देश के चर्चित निर्भया कांड में पांच आरोपी थे। जिसमें में एक राम सिंह ने जेल में ही कथित तौर पर आत्महत्या कर ली थी। जिसके बाद बाकी चार आरोपियों को निचली अदालत ने महिला के साथ सामूहिक बलात्कार और हत्या के मामले में मौत की सजा दी थी। जिसे दिल्ली के उच्च न्यायालय और फिर सुप्रीम कोर्ट ने बरकारार रखा। जिसके बाद मामले में चार आरोपियों में तीन ने पुनर्विचार याचिका दायर की थी जिसे उच्चतम न्यायालय ने खारिज कर दिया था। हालांकि उस वक्त चौथे आरोपी अक्षय ठाकुर ने पुनर्विचार याचिका दायर नहीं की थी। लेकिन अब जब हर तरफ इन चारों आरोपियों को फांसी की सजा पर चढ़ाए जाने की चर्चा काफी गर्म है। ऐसे में आरोपी अक्षय ठाकुर ने पुनर्विचार याचिका के साथ शीर्ष अदालत का रूख किया है।  


आपको बता दें कि 2012 में 16-17 दिसंबर 2012 की रात को दक्षिणी दिल्ली में एक चलती बस के भीतर 5 व्यक्तियों ने एक 23 वर्षीय छात्रा के साथ बड़ी बर्बरता से पहले सामूहिक दुष्कर्म किया और उसे सड़क पर मरने के लिए फेंक दिया था। इस जघन्य अपराध ने उस वक्त पूरे देश को हिला कर रख दिया था।

Anil dev

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