दिल्ली पुलिस के पूर्व कमिश्नर बोले- निर्भया के आरोपियों के एनकाउंटर का ख्याल तक नहीं आया

Friday, Dec 06, 2019 - 08:47 PM (IST)

नई दिल्लीः दिल्ली में साल 2012 में निर्भया से सामूहिक बलात्कार एवं हत्याकांड के वक्त पुलिस आयुक्त रहे नीरज कुमार ने कहा कि आरोपियों को मारने का ख्याल उनके दिमाग में कभी नहीं आया। कुमार ने कहा कि दिसंबर 2012 में जब निर्भया का मामला हुआ था वो ‘मुश्किल समय' था, क्योंकि पुलिसकर्मियों के साथ ‘बलात्कारियों' की तरह बर्ताव किया जा रहा था। गौरतलब है कि 16 दिसंबर 2012 को 23 साल की छात्रा के साथ वीभत्स तरीके से सामूहिक बलात्कार किया गया था। पीड़िता ने बाद में इलाज के दौरान दम तोड़ दिया था। पीड़िता के साथ इतनी क्रूरता बरती गई थी कि पूरा देश हिल गया था। इसके बाद बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन हुए थे।
 
कुमार ने बताया, ‘‘ उस वक्त बहुत दबाव था, लेकिन उन्हें (आरोपियों को) मारने का ख्याल कभी नहीं आया।'' उन्होंने कहा, ‘‘ लोग हमें संदेश भेजकर कह रहे थे कि आरोपियों को भूखे शेरों के सामने फेंक दो। किसी ने कहा कि उन्हें सार्वजनिक रूप से नपुंसक बना दो, किसी ने कहा कि उन्हें पीट-पीट कर मार डालो, लेकिन हम अपना काम करते रहे। कुछ भी अवैध करने का सवाल ही नहीं था।'' उनकी यह टिप्पणी हैदराबाद में 25 वर्षीय महिला पशु चिकित्सक से बलात्कार और हत्या मामले के चार आरोपियों को शुक्रवार सुबह पुलिस द्वारा कथित मुठभेड़ में मार गिराने के संदर्भ में आई है।

कुमार दिल्ली पुलिस के विशेष प्रकोष्ठ में संयुक्त आयुक्त पद पर भी अपनी सेवा दे चुके हैं। उन्होंने कहा कि उनके कार्याकाल के दौरान कई मुठभेड़ें हुई थीं, जिसमें से एक अंसल प्लाजा में हुई मुठभेड़ शामिल है। इसमें भीड़-भाड़ वाले मॉल के अंदर लश्कर-ए-तैयबा के दो आतंकवादियों को मार गिराया गया था जिसपर सवाल उठे थे। उन्होंने कहा, ‘‘ हर मुठभेड़ के बाद, सवाल उठते हैं और यह (हैदराबाद की घटना) आतंकवादी या गैंगस्टर के साथ हुई मुठभेड़ नहीं थी। यह एक ऐसा मामला है जो सार्वजनिक जांच के तहत आता है।''

कुमार ने कहा, ‘‘ असल में क्या हुआ था इसकी जांच करने और पता लगाने के लिए न्यायिक जांच होनी चाहिए जिसके आदेश दे दिए गए हैं। क्या मुठभेड़ न्यायोचित थी या नहीं हमें यह जानने के लिए न्यायिक जांच की पड़ताल का इंतजार करना चाहिए।'' निर्भया मामले के संदर्भ में कुमार ने कहा, ‘‘ यह मेरे लिए बहुत मुश्किल वक्त था। मुझे यह अहसास कराया गया कि मैं बलात्कारियों में से एक हूं। हम अपना काम कर रहे थे और हमारा कोई कसूर नहीं था।'' उन्होंने कहा, ‘‘ मैं स्वेच्छा से न्यायिक जांच से गुजरा और इसमें कहा गया कि पुलिस का कसूर नहीं था।''

 

Yaspal

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