ऑफ द रिकार्ड: ‘रैड जोन’ में NGT

Sunday, Nov 19, 2017 - 02:35 PM (IST)

नेशनल डेस्क: नैशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) आजकल देश में चर्चा का विषय बना हुआ है मगर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी अपने ढंग से काम कर रहे हैं। ऐसी चर्चा है कि मोदी अब इस संस्था का ओवरहाल करने की तैयारी में हैं। एनजीटी को 2010 में शीर्ष अदालत द्वारा यूपीए सरकार के तहत कार्यकारिणी पर थोपा गया था। मोदी के करीबी सूत्रों का कहना है कि एनजीटी अब खुद में एक कानून बन गया है और इसके बारे में कुछ किए जाने की जरूरत है। पर्यावरण के मामले की समूची प्रक्रिया का ओवरहाल करने की जरूरत है क्योंकि राष्ट्रीय राजधानी में इसमें कम से कम 7 विभिन्न संस्थाएं संलिप्त हैं।

मोदी इस बात से भी परेशान हैं कि उच्चतम न्यायालय ने भूरे लाल के नेतृत्व में बनाई गई अपनी पर्यावरण समिति को भी अभी तक खत्म नहीं किया जिसका गठन 15 वर्ष पूर्व किया गया था। आशा थी कि भूरे लाल नीत कमेटी को 2010 में बनी एनजीटी के बाद खत्म कर दिया जाएगा मगर शीर्ष अदालत ने ऐसा नहीं किया। पर्यावरण नियमों का बड़े पैमाने पर उल्लंघन किए जाने पर हुए शोर-शराबे के बाद 2010 में एनजीटी का गठन किया गया था और मंत्रियों पर आरोप लगाए गए थे। अब चेयरमैन स्वतंत्र कुमार का 5 वर्ष का कार्यकाल अगले महीने खत्म हो रहा है और सभी की निगाहें एनजीटी पर हैं।


एनजीटी को लेकर सरकार बहुत निराश है क्योंकि उसने श्री श्री रविशंकर के यमुना के तटों पर आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान काफी हंगामा खड़ा किया था जिसका उद्घाटन प्रधानमंत्री द्वारा किया गया था। मोदी इस बात को लेकर परेशान हैं कि न्यायपालिका बिना किसी जवाबदेही के काम कर रही है और जजों की नियुक्ति के लिए मैमोरंडम ऑफ प्रोसीजर (एमओपी) नहीं दिया गया।
 

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