नई शिक्षा नीति:PM मोदी का E5 पर जोर, बोले-छात्रों को सब्जेक्ट चुनने की आजादी, ये सबसे बड़ा सुधार
Friday, Sep 11, 2020 - 12:01 PM (IST)
नेशनल डेस्कः प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को राष्ट्रीय शिक्षा नीति- 2020 के तहत ‘21वीं सदी में स्कूली शिक्षा’ विषय पर एक कॉन्क्लेव को संबोधित करते हुए कहा कि आज हम सभी एक ऐसे क्षण का हिस्सा बन रहे हैं, जो हमारे देश के भविष्य निर्माण की नींव डाल रहा है, जिसमें नए युग के निर्माण के बीज पड़े हैं। प्रधानमंत्री ने कहा कि नई शिक्षा नीति 21वीं सदी के भारत को नई दिशा देने वाली है। पिछले तीन दशकों में दुनिया का हर क्षेत्र बदल गया, हर व्यवस्था बदल गई। इन 3 दशकों में हमारे जीवन का शायद ही कोई पक्ष हो जो पहले जैसा हो। लेकिन वो मार्ग, जिस पर चलते हुए समाज भविष्य की तरफ बढ़ता है, हमारी शिक्षा व्यवस्था, वो अब भी पुराने ढर्रे पर ही चल रही थी।
Speaking on 'School Education in 21st Century.’ https://t.co/N0IXnJpkud
— Narendra Modi (@narendramodi) September 11, 2020
पीएम मोदी के संबोधन के प्रमुख अंश
- नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति भी नए भारत की, नई उम्मीदों की, नई आवश्यकताओं की पूर्ति का माध्यम है। इसके पीछे पिछले 4-5 वर्षों की कड़ी मेहनत है, हर क्षेत्र, हर विधा, हर भाषा के लोगों ने इस पर दिन रात काम किया है। लेकिन ये काम अभी पूरा नहीं हुआ है।
- मुझे खुशी है कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति को लागू करने के इस अभियान में हमारे प्रधानाचार्य और शिक्षक पूरे उत्साह से हिस्सा ले रहे हैं। कुछ दिन पहले शिक्षा मंत्रालय ने देशभर के शिक्षकों से उनके सुझाव मांगे थे। एक सप्ताह के भीतर ही 15 लाख से ज्यादा सुझाव मिले हैं।
- राष्ट्रीय शिक्षा नीति के ऐलान होने के बाद बहुत से लोगों के मन में कई सवाल आ रहे हैं। ये शिक्षा नीति क्या है? ये कैसे अलग है। इससे स्कूल और कॉलेजों में क्या बदलाव आएगा। हम सभी इस कार्यक्रम में इकट्ठा हुए हैं ताकि चर्चा कर सकें और आगे का रास्ता बना सकें।
- मूलभूत शिक्षा पर ध्यान इस नीति का सबसे महत्वपूर्ण पहलू है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति के तहत foundational literacy and numeracy के विकास को एक राष्ट्रीस मिशन के रूप में लिया जाएगा:
- हमें शिक्षा में आसान और नए-नए तौर-तरीकों को बढ़ाना होगा। हमारे ये प्रयोग, New Age Learning का मूलमंत्र होना चाहिए-
- Engage
- Explore
- Experience
- Express
- Excel
- कितने ही प्रोफेशन हैं जिनके लिए Deep Skills की जरूरत होती है, लेकिन हम उन्हें महत्व ही नहीं देते। अगर छात्र इन्हें देखेंगे तो एक तरह का भावनात्मक जुड़ाव होगा, उनका सम्मान करेंगे। हो सकता है बड़े होकर इनमें से कई बच्चे ऐसे ही उद्योगों से जुड़ें।
- हमारी पहले की जो शिक्षा नीति रही है, उसने हमारे Students को बहुत बांध भी दिया था। जो विद्यार्थी Science लेता है वो Arts या Commerce नहीं पढ़ सकता था। Arts-Commerce वालों के लिए मान लिया गया कि ये History, Geography, Accounts इसलिए पढ़ रहे हैं क्योंकि ये science नहीं पढ़ सकते।
- राष्ट्रीय शिक्षा नीति में छात्रों को कोई भी विषय चुनने की आजादी दी गई है। ये सबसे बड़े सुधार में से एक है। अब हमारे युवा को विज्ञान, कला या कॉमर्स के किसी एक ब्रेकैट में ही फिट होने की जरूरत नहीं है। देश के छात्रों की प्रतिभा को अब पूरा मौका मिलेगा।
- सीख तो बच्चे तब भी रहे होते हैं जब वो खेलते हैं, जब वो परिवार में बात कर रहे होते हैं, जब वो बाहर आपके साथ घूमने जाते हैं। लेकिन अक्सर माता-पिता भी बच्चों से ये नहीं पूछते कि क्या सीखा? वो भी यही पूछते हैं कि मार्क्स कितने आए। हर चीज यहीं आकर अटक जाती है।
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राष्ट्रीय शिक्षा नीति की इस यात्रा के पथ-प्रदर्शक देश के शिक्षक हैं। चाहे नए तरीके से लर्निंग हो, विद्यार्थी को इस नई यात्रा पर लेकर शिक्षक को ही जाना है। हवाई जहाज कितना ही एडवांस हो, उड़ाता पायलट ही है। इसलिए सभी शिक्षकों को भी कुछ नया सीखना है और कुछ पुराना भूलना भी है।
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पढ़ाई से मिल रहे इस तनाव से अपने बच्चों को बाहर निकालना राष्ट्रीय शिक्षा नीति का प्रमुख उद्देश्य है। परीक्षा इस तरह होनी चाहिए कि छात्रों पर इसका बेवजह दबाव न पड़े। कोशिश ये होनी चाहिए कि केवल एक परीक्षा से विद्यार्थियों को मूल्यांकन न किया जाए।
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सीख तो बच्चे तब भी रहे होते हैं जब वो खेलते हैं, जब वो परिवार में बात कर रहे होते हैं, जब वो बाहर आपके साथ घूमने जाते हैं। लेकिन अक्सर माता-पिता भी बच्चों से ये नहीं पूछते कि क्या सीखा? वो भी यही पूछते हैं कि मार्क्स कितने आए। हर चीज यहीं आकर अटक जाती है।