विकास की नई दिशा: प्रधानमंत्री मोदी के विजन से बदला भारत का भविष्य
punjabkesari.in Monday, Jun 02, 2025 - 03:39 PM (IST)

नेशनल डेस्क: भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जब गुजरात के सीमावर्ती जिले भुज से देशवासियों को संबोधित किया, तो उनके एक संवाद ने पूरे देश का ध्यान खींचा: “चैन की जिंदगी जियो, रोटी खाओ वरना मेरी गोली तो है ही।” यह वाक्य न केवल वायरल हुआ, बल्कि राष्ट्रीय सुरक्षा, नीति और प्रधानमंत्री की कार्यशैली का परिचायक भी बन गया। यह महज संयोग नहीं था कि उसी दिन प्रधानमंत्री ने अपने कार्यकाल के 11 साल पूरे किए। वर्ष 2014 में जब उन्होंने दिल्ली की सत्ता संभाली, तब से लेकर अब तक उनका नेतृत्व विभिन्न क्षेत्रों रक्षा, विदेश नीति, सामाजिक कल्याण, डिजिटल प्रगति और बुनियादी ढांचे में बदलाव लेकर आया है।
राजनीतिक दृढ़ता और नेतृत्व क्षमता का प्रतीक
मोदी ने ना केवल केंद्र में स्थिरता कायम रखी, बल्कि वैश्विक मंच पर भी भारत की आवाज को बुलंद किया। एक ऐसे समय में जब विरोधी पार्टियों को 2024 के लोकसभा चुनाव में जीत की उम्मीद थी, मोदी ने तीसरी बार प्रधानमंत्री बनकर यह साबित कर दिया कि जनसमर्थन आज भी उनके साथ है। विपक्ष को लगा था कि एनडीए गठबंधन कमजोर होगा, लेकिन यह आकलन गलत साबित हुआ। मोदी की लोकप्रियता और योजनाओं की पहुंच ने उन्हें फिर से सत्ता की कुर्सी पर बैठाया।
देशहित सर्वोपरि: सीमाओं पर सख्ती, विकास में निरंतरता
प्रधानमंत्री का भुज से दिया गया संदेश केवल संवाद नहीं था, बल्कि देश की सुरक्षा नीति की स्पष्ट घोषणा थी। सीमा पर हो रहे अतिक्रमण या आतंकवादी गतिविधियों पर कड़ी नजर रखने की प्रतिबद्धता इस बयान में स्पष्ट थी। साथ ही, यह बयान उस मानसिकता को भी दर्शाता है जहां राष्ट्रीय सुरक्षा से कोई समझौता नहीं किया जाएगा।
जनकल्याण और विकास योजनाएं
बीते 11 वर्षों में मोदी सरकार ने कई योजनाएं शुरू कीं उज्ज्वला योजना, आयुष्मान भारत, डिजिटल इंडिया, मेक इन इंडिया, प्रधानमंत्री आवास योजना, और हाल ही में पीएम विश्वकर्मा योजना। इन योजनाओं ने ग्रामीण भारत, छोटे कारोबारियों, महिलाओं और युवाओं के जीवन को सशक्त किया है।
विरोध और लोकप्रियता साथ-साथ
प्रधानमंत्री मोदी का हर कदम विरोधियों के निशाने पर रहता है, लेकिन इसके बावजूद उनके समर्थकों का विशाल वर्ग उनकी शैली, निर्णय और साफ-सुथरी छवि की सराहना करता है। यही कारण है कि लगातार तीन कार्यकालों में सत्ता में रहने वाले वे पहले गैर-कांग्रेसी प्रधानमंत्री बन चुके हैं।