आतंकी संगठनों के लिए हब बन रहा है नेपाल

Saturday, Feb 17, 2018 - 02:18 AM (IST)

जालंधर(रविंदर शर्मा): इंडो-नेपाल बार्डर पर ड्रग तस्करों व आतंकियों ने अपनी सक्रियता बेहद बढ़ा दी है। तस्करों व आतंकियों की बढ़ती हलचल को लेकर नैशनल इंटैलीजैंस एजैंसी (एन.आई.ए.) और ए.टी.एस. ने भारत सरकार को नेपाल बार्डर पर सक्रियता बढ़ाने को कहा है। इस पूरी हलचल के बीच सेना प्रमुख जनरल विपिन रावत की नेपाल यात्रा के दौरान नेपाल की धरती से हो रही भारत विरोधी गतिविधियों का कड़ा संज्ञान लिया जा रहा है। 

सीमा पर तैनात खुफिया एजैंसियों की मानें तो भारत-नेपाल की सम्पूर्ण करीब 1757 किलोमीटर की खुली हुई लंबी सीमा भारत के लिए गंभीर खतरा बन गई है। नेपाल और भारत से लगी यह लंबी सीमा यू.पी., उत्तराखंड, बिहार, पश्चिम बंगाल और सिक्किम को स्पर्श करती है। भारत-नेपाल के लिए किसी तरह का वीजा न लेने के प्रावधान के कारण पाकिस्तान की खुफिया एजैंसी आई.एस.आई. को यह रास्ता काफी सेफ लगता है। इसलिए पिछले कुछ समय से आई.एस.आई. व खतरनाक आतंकी संगठन आई.एस. ने भारत में गड़बड़ फैलने की फिराक में इंडो-नेपाल सीमा पर अपनी सक्रियता बेहद बढ़ा दी है।

क्यों हैं नेपाल सीमा पर खुफिया निगाहबानी
नेपाल को हिंदू राष्ट्र की दृष्टि से देखा जाता रहा है। इसी वजह से नेपाल के प्रति भारत की हमेशा श्रद्धा भावना रही है। धीरे-धीरे यह राष्ट्र भारत विरोधी शक्तियों का जमावड़ा बनता गया। खुफिया एजैंसियों की मानें तो नेपाल सीमा के दोनों ओर स्थित मस्जिद और मदरसे भारत विरोधी तत्वों के पनाहगाह बन गए हैं। साथ ही नेपाल की राजधानी में भी भारत विरोधियों को राजनीतिक संरक्षण प्रदान किया जा रहा है। हालांकि नेपाल भारत की इस चिंता को सिरे से खारिज करता रहा है। 

भारत-नेपाल के परागामन संधि के तहत कुल 17 रास्ते ही आवागमन के लिए अधिकृत हैं। इन रास्तों से लोगों को गहन तलाशी के बाद आने-जाने दिया जाता है, मगर इसके अलावा सैंकड़ों ऐसे रास्ते हैं जो जंगल झाड़ी और नदी-नालों से होकर गुजरते हैं। यहां सुरक्षा का कोई बंदोबस्त भी नहीं है इसलिए ये रास्ते सुरक्षा एजैंसियों के लिए सदा चुनौती बने रहते हैं। नैशनल इंवैस्टीगेशन एजैंसी (एन.आई.ए.) ने शंका जाहिर की है कि खुली हुई नेपाल सीमा आने वाले दिनों में आतंकियों का बड़ा हब बन सकता है। लिहाजा समय रहते इसकी सुरक्षा समय की जरूरत है। पिछले महीनों में कुख्यात आतंकी यासीन भटकल, अब्दुल करीम टुंडा, जब्बार, जावेद कमाल, वसीम, बब्बर खालसा का सुखविन्द्र सिंह, भाग सिंह, अजमेर सिंह व मुंबई बमकांड के कुख्यात आतंकी टाइगर मेमन समेत दर्जन भर आतंकियों के नेपाल सीमा पर पकड़े जाने से इस सीमा को भारत की आंतरिक सुरक्षा के लिए खतरे की तरह देखा जा रहा है। 

आतंकी व आतंकी संगठनों के लिए भारत व नेपाल की खुली सीमा कितनी मुफीद है, का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि कश्मीर में आतंकियों के सामने जब आत्मसमर्पण का प्रस्ताव रखा गया तो 90 प्रतिशत आतंकियों ने नेपाल सीमा के रास्ते आकर आत्मसमर्पण की इच्छा जताई। गृह मंत्रालय के आंकड़े के अनुसार पिछले 4 साल में 300 से ज्यादा कश्मीरी आतंकियों ने नेपाल सीमा पर सुरक्षा एजैंसियों के सामने समर्पण किया, जिन्हें जम्मू-कश्मीर सरकार के सुपुर्द किया गया। आत्मसमर्पण करने वाले आतंकियों के लिए अटारी-वाघा बार्डर, सलमा बाग, चकन दा बाग सुरक्षा चौक या इंदिरा गांधी अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा मार्ग ही मुकर्रर किया गया था।

सुर्खियों में रहती है नेपाल सीमा 
नेपाल सीमा की भयावह तस्वीर दरअसल वक्त-वक्त पर तब उभरती है, जब देश में कहीं भी आतंकी वारदात की खबरें सुर्खियों में होती हैं। पिछले साल 20 अप्रैल को दिल्ली, यू.पी., महाराष्ट्र, पंजाब, बिहार और आंध्र प्रदेश की पुलिस ने संयुक्त अभियान में 10 संदिग्ध आतंकियों को गिरफ्तार किया था। जिन्हें आई.एस. से जुड़ा हुआ बताया गया और पुलिस की पूछताछ में इनसे 6 राज्यों में आतंकी खतरे का खुलासा हुआ। पिछले साल 7 मार्च को लखनऊ में मारे गए एक आतंकी के पास से कुछ दस्तावेज बरामद हुए थे, जिससे ए.टी.एस. को जानकारी मिली थी कि आई.एस. यू.पी., महाराष्ट्र, पंजाब और बिहार में अपना नैटवर्क सक्रिय करने की फिराक में है। ए.टी.एस. तभी से आई.एस. के नैटवर्क को ध्वस्त करने की फिराक में लगा हुआ था। जिन प्रदेशों में आई.एस. के सक्रिय होने की सूचना थी, उसमें बिहार व यू.पी. का बड़ा भूभाग नेपाल सीमा से सटा हुआ है, जहां आई.एस.आई. की सक्रियता की खबरें भी आती रहती हैं। 

इसके पूर्व कानपुर के पुखरायां में हुए रेल हादसे के तार भी आतंकी संगठनों से जुड़ा होना पाया गया था। इस रेल हादसे का मास्टर माइंड ओमप्रकाश गिरि अभी काठमांडू की जेल में है। इसके कुछ दिन बाद भारत सीमा से सटे लुंबनी से एक पाक जनरल जहीर हबीब के गुमशुदगी को भी भारत में मौजूदगी से जोड़ा गया। यह बात भी सामने आई कि हबीब आई.एस.आई. का एजैंट है, जिसे एक आतंकी संगठन ने लुंबनी भेजा था। नेपाल को लेकर भारत की ताजा चिंता पिछले 5 फरवरी को काठमांडू में पाक दूतावास में मनाया गया कश्मीर डे को लेकर है। यह पहली बार हुआ जब काठमांडू में ऐसे कार्यक्रम नेपाल सरकार के संरक्षण में आयोजित हुए हों। मजे की बात है कि यह आयोजन भारत की विदेश मंत्री सुषमा स्वराज के नेपाल सद्भावन यात्रा से लौटने के कुछ ही दिन बाद हुआ और नेपाल स्थित भारतीय दूतावास इससे बेखबर रहा। 

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