इतिहास के पन्ने: बिना चुनाव आजाद भारत के पहले प्रधानमंत्री बने थे नेहरू

Thursday, Mar 14, 2019 - 02:30 PM (IST)

जालंधर (नरेश कुमार): देश अगले महीने 17वीं लोकसभा के लिए अपने प्रतिनिधियों का चुनाव करने के लिए पोलिंग बूथों पर जुटेगा और इस चुनाव के बाद गठित होने वाली लोकसभा से अगला प्रधानमंत्री निकलेगा लेकिन देश को आजाद भारत का पहला प्रधानमंत्री इस चुनावी प्रक्रिया के बिना मिला था और जवाहर लाल नेहरू बिना प्रत्यक्ष चुनाव के ही देश के प्रधानमंत्री बन गए थे। पंजाब केसरी की इतिहास के पन्ने छानने वाली इस सीरीज में शुरूआत करेंगे देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू की तख्तपोशी से।


क्या थी संविधान सभा
मार्च 1946 में ब्रिटेन से कैबिनेट मिशन भारत आया। इसमें ब्रिटेन की कैबिनेट के सदस्य शामिल थे। उस समय के कांग्रेस अध्यक्ष जवाहर लाल नेहरू के अलावा मुस्लिम लीग और कांग्रेस के नेताओं ने कैबिनेट मिशन के साथ बैठक के दौरान देश में सत्ता के हस्तांतरण को लेकर चर्चा की। इसी चर्चा के तहत एक संविधान सभा के गठन का विचार रखा गया। इस विचार के बाद देश में अप्रत्यक्ष चुनाव के जरिए जुलाई व अगस्त 1946 में संविधान सभा के सदस्यों का चुनाव हुआ और 2 सितम्बर 1946 को देश की पहली अंतरिम सरकार अस्तित्व में आई।
इसके बाद संविधान सभा की पहली बैठक सभा के अस्थायी अध्यक्ष सच्चिदानंद सिन्हा की अध्यक्षता में 9 दिसम्बर 1946 को हुई। इसके पश्चात 11 दिसम्बर को हुई मीटिंग में राजिंद्र प्रसाद को संविधान सभा का पक्का अध्यक्ष चुना गया। 13 दिसम्बर 1946 को हुई बैठक में संविधान के गठन के लिए दिशा-निर्देशों के अलावा मूल तत्व पर चर्चा हुई। उस समय जवाहर लाल नेहरू ने ऑब्जैक्टिव रैजोलूशन दिया जिसे बाद में संविधान की प्रस्तावना बनाया गया। पहले इस संविधान सभा में मुस्लिम लीग भी मौजूद थी लेकिन बाद में मुस्लिम लीग संविधान सभा से बाहर हो गई।


ऐसे बना चुनाव आयोग
संविधान सभा ने 2 साल 11 महीने 18 दिन में 114 बैठकें करके 60 देशों का संविधान स्टडी किया और भारत के संविधान को तैयार किया। संविधान लिखने के लिए बनाई गई सभा की 8 सदस्यीय ड्राफ्टिंग कमेटी के अध्यक्ष डा. बी.आर. अम्बेदकर थे जबकि स्पीकर जी.वी. मावलंकर थे। इस संविधान सभा ने अलग-अलग सहयोगी पार्टियों के साथ मिलकर एक कार्यकारिणी का गठन किया। यह कार्यकारिणी देश में अंतरिम सरकार के रूप में काम करती रही। संविधान सभा ने 26 नवम्बर 1949 को देश का संविधान मंजूर किया और 26 जनवरी 1950 को यह संविधान लागू कर दिया गया। इसी संविधान के तहत देश में चुनाव आयोग का गठन हुआ और 1951 में देश के पहले चुनाव की नींव तैयार हुई।

कैसे प्रधानमंत्री बने नेहरू
जवाहर लाल नेहरू आजादी से पहले कांग्रेस के अध्यक्ष थे और आजादी से पहले ही देश में एक अंतरिम सरकार काम कर रही थी। इस अंतरिम सरकार में संविधान सभा के सदस्य थे। यह सदस्य एक वक्त पर दोहरी भूमिका में काम कर रहे थे। आजादी के बाद संविधान सभा के सदस्यों पर ही देश का संविधान बनाने की जिम्मेदारी थी। इसके साथ ही देश में लागू होने वाले कानूनों के निर्माण का जिम्मा भी इसी संविधान सभा के ऊपर था। संविधान सभा में कांग्रेस का बहुमत था और कांग्रेस के सदस्यों ने ही आपसी सहमति के साथ जवाहर लाल नेहरू को आजाद भारत के पहले प्रधानमंत्री के तौर पर चुना था और नेहरू देश में बिना प्रत्यक्ष चुनाव के देश का शीर्ष पद हासिल करने वाले प्रधानमंत्री बने। उनके चुनाव के लिए न तो जनता ने सीधे तौर पर वोटिंग की थी और न ही उस समय देश में वोटिंग करवाने की व्यवस्था बनी थी।


पहली कैबिनेट में शामिल

  • मंत्री जवाहर लाल नेहरू (प्रधानमंत्री), विदेश मंत्री, साइंटिफिक रिसर्च और कॉमन वैल्थ रिलेशन मंत्री
  • सरदार बल्लभ भाई पटेल, गृह एवं सूचना व प्रसारण मंत्री
  • डा. राजिंद्र प्रसाद, खाद्य एवं कृषि मंत्री
  • मौलाना अबुल कलाम आजाद, शिक्षा मंत्री
  • डा. जॉन मत्थई, रेलवे व ट्रांसपोर्ट मंत्री
  • बलदेव सिंह, रक्षा मंत्री
  • जगजीवन राम, श्रम मंत्री
  • सी.एच. भाब्बा, व्यापार मंत्री
  •  रफी अहमद किदवई, संचार मंत्री
  •  अमृत कौर, हैल्थ मिनिस्टर
  •  बी.आर. अम्बेदकर, कानून मंत्री
  •  आर.के. शनमुखम शैट्टी, वित्त मंत्री
  •  श्यामा प्रसाद मुखर्जी, उद्योग एवं आपूर्ति मंत्री
  • एन.वी. गाडगिट, खदान एवं बिजली मंत्री

Naresh Kumar

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