नेहरू राज में भी अनिवार्य था सिनेमाघरों में राष्ट्रगान, इसलिए लगाई थी रोक

Tuesday, Jan 09, 2018 - 02:08 PM (IST)

नई दिल्लीः सुप्रीम कोर्ट ने सिनेमाघरों में राष्ट्रगान की अनिवार्यता समाप्त कर दी है। मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली पीठ ने 30 नवंबर 2016 के अपने अंतरिम आदेश में आज संशोधन किया। कोर्ट ने अपने अंतरिम आदेश में सिनेमाघरों में राष्ट्रगान बजाना अनिवार्य किया था और इस दौरान दर्शकों को अपनी सीट पर खड़ा होना अनिवार्य किया था। न्यायमूर्ति मिश्रा ने पूर्व के आदेश में संशोधन करते हुए आज कहा कि यह सिनेमाघरों के विशेषाधिकार पर निर्भर करेगा कि वे राष्ट्रगान बजाए या नहीं। हालांकि कोर्ट ने स्पष्ट किया कि यदि राष्ट्रगान बजाया जाता है तो दर्शकों से अपेक्षा की जाती है कि वे इसका सम्मान करेंगे।

भले ही सरकार ने अपना रुख बदल लिया हो लेकिन क्या आप जानते हैं कि मोदी सरकार से पहले भी सिनेमाघरों में राष्ट्रगान बजाना अनिवार्य था। 1960 में भी ऐसा किया गया था। साल 1960 में लोगों में देशभक्ति पैदा करने के लिए कई फिल्में बनाई जा रही थीं और सैनिकों के सम्मान और लोगों में राष्ट्रप्रेम की भावना जगाने के लिए राष्ट्रगान को अनिवार्य किया गया था। तब फर्क सिर्फ इतना था कि सिनेमाघरों में तब राष्ट्रगान फिल्म शुरू होने से पहले नहीं बल्कि बाद में बजाया जाता था।

लोग फिल्म खत्म होने के बाद राष्ट्रगान में शामिल होते थे और उसके बाद घर जाते थे। हालांकि इसको लेकर कई शिकायतें आई थीं कि हॉल में राष्ट्रगान का अपमान होता है। सरकार ने इन शिकायतों के बाद इस नियम को बंद कर दिया था। इसके बाद तमिलनाडु और महाराष्ट्र सरकार भी राष्ट्रगान को अनिवार्य करना चाहती थी जिस पर काफी विवाद हुआ था।

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