वैदिक शिक्षा बोर्ड गठित करने की मांग तेज हुई

Sunday, Apr 09, 2017 - 05:20 PM (IST)

नई दिल्ली : यूनेस्को धरोहर घोषित किए जा चुके वैदिक मंत्रोच्चार और इसके अध्ययन की विधा को बढ़ावा देने के लिए एवं इस प्राचीन धरोहर को जीवंत बनाए रखने के लिए विभिन्न वर्गो एवं सामाजिक संगठनों ने सरकार से वैदिक शिक्षा बोर्ड गठित करने के प्रस्ताव को जल्द लागू करने की मांग की है।

स्मृति ईरानी के मानव संसाधन विकास मंत्रालय का दायित्व संभालने के दौरान इस प्रस्ताव पर विचार शुरू हुआ था। इसका खाका तैयार करने के लिए एक समिति गठित करने का भी विचार किया गया था। अखिल भारतीय वेद परिषद के पंडित धीरज पाठक ने कहा कि वैदिक शिक्षा को आधुनिक संदर्भ में बढावा देने के लिए वैदिक शिक्षा बोर्ड बिना देरी किए स्थापित किया जाए । इसमें शिक्षकों के वेतनमान एवं छात्रों की डिग्री को अन्य संकायों के समकक्ष बनाया जाए।

स्मृति ईरानी के एचआरडी मंत्रालय से हटने बाद रुकी पहल
उन्होंने  कहा कि केंद्र में मोदीजी की सरकार है और उत्तरप्रदेश, मध्यप्रदेश समेत हिन्दी पट्टी के राज्यों में भाजपा की सरकार बन चुकी है। एेसे में भारतीय संस्कृति की अमूल्य धरोहर वैदिक ज्ञान के संरक्षण की पहल करते हुए वैदिक शिक्षा बोर्ड का गठन किया जाना चाहिए। स्मृति ईरानी के एचआरडी मंत्रालय से हटने के बाद इस बारे में पहल रुक गई है। शिक्षाविदों ने बदलते माहौल में बच्चों को नैतिक मूल्यों पर आधारित आधुनिक शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए प्रमाणपत्रों को मान्यता देने, अनुभवी गुरुआें को शिक्षा पद्धति से जोडऩे और देश के प्रत्येक जिले में वैदिक पाठशाला स्थापित करने का सुझाव दिया है।

शिक्षाविदों ने मानव संसाधन विकास मंत्रालय से संबद्ध महर्षि संदीपनी राष्ट्रीय वेद विद्यालय को प्रस्तावित वैदिक शिक्षा बोर्ड के लिए शीर्ष संस्थान बनाए जाने पर जोर दिया है। अखिल भारतीय वेद विद्यालय शिक्षा परिषद ने वैदिक शिक्षा बोर्ड को लेकर सरकार के समक्ष शिक्षकों एवं छात्रों की चिंताआेंं को व्यक्त करते हुए ज्ञापन सौंपा है। परिषद ने प्रधानमंत्री कार्यालय और मानव संसाधन विकास मंत्रालय को ज्ञापन सौंपा है।

भारतीय संस्कृति को आगे बढ़ाने के लिए जरूरी है वैदिक शिक्षा
शिक्षाविद एवं वेद विद्या गुरुकुल के संस्थापक पी के मित्तल ने कहा कि देश की संस्कृति को आगे बढ़ाने एवं दुनिया में इसके महत्व को स्थापित करने के लिए वेद परंपराआें के संरक्षण की जरूरत है जो धीरे धीरे लुप्त होती जा रही है। वैदिक बोर्ड बने, कसौटी को कड़ा किया जाए और मानकों को सुदृढ़ बनाते हुए गुरुआें और छात्रों के हितों की सुरक्षा सुनिश्चित की जाए । 

Advertising