कश्मीर में शांति के लिए नागरिक संस्थाओं, विपक्षी नेताओं को जोड़ना जरूरी: डीएसएस नेता

Wednesday, Jun 08, 2022 - 07:31 PM (IST)

जम्मू : जम्मू की डोगरा सदर सभा (डीएसएस) के अध्यक्ष जी एस चरक ने कश्मीर घाटी में लक्षित हमलों के मद्देनजर 'बिगड़ते सुरक्षा हालात' पर चिंता जताई और बुधवार को सरकार से 'अल्पसंख्यकों तथा राष्ट्रवादी मुसलमानों के पलायन को रोकने' तथा शांति बहाली के लिए नागरिक संस्थाओं और मुख्यधारा के नेताओं का सहयोग लेने की अपील की।

 

चरक ने जम्मू कश्मीर में सांप्रदायिक सौहार्द बिगाड़ने के कुछ शरारती तत्वों के प्रयासों की भी निंदा की और कहा,"किसी भी बदमाश को, फिर चाहे वह किसी भी जाति, धर्म, क्षेत्र और नस्ल का हो, उसे न्याय के दायरे में लाया जाना चाहिए।"

 

पूर्व मंत्री चरक ने संगठन की बैठक के बाद संवाददाताओं से कहा," हम 1990 की तरह होते हालात को लेकर चिंतित हैं, जहां अल्पसंख्यक हिंदू और सिख तथा राष्ट्रवादी मुसलमान घाटी से पलायन की योजना बना रहे हैं।"

 

उन्होंने केन्द्र सरकार पर स्थिति ठीक से संभाल नहीं पाने का आरोप लगाते हुए कहा कि पुलिस और सुरक्षा बलों का इस्तेमाल करके यह प्रचारित करना कि हालात नियंत्रण में है, इससे घाटी में हालात में सुधार में मदद नहीं मिलेगी।

 

उन्होंने कहा, " सत्तारूढ़ दल को पाकिस्तान के नापाक इरादे को नाकाम करने के लिए जम्मू-कश्मीर में और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी नीतियों की समीक्षा करने की जरूरत है, जो 1990  में अल्पसंख्यक कश्मीरी पंडितों को यहां से बाहर करने में सफल हुआ था और अब उसी दिशा में फिर से प्रयास कर रहा है।"

 

डोगरा संगठन के नेता के अनुसार, " सरकार और जनता के बीच हर दिन खाई बढ़ती जा रही है, जो अच्छे संकेत नहीं हैं और हमारे लिए चिंता की बात है। सरकार को जम्मू कश्मीर में अपनी नीतियों पर पुन:विचार करने की और नागरिक संस्थाओं तथा सभी दलों के मुख्यधारा के नेताओं को शामिल करने की जरूरत है।"

 

उन्होंने प्रधानमंत्री से अहम पद स्थानीय नौकरशाहों को देने की अपील करते हुए कहा कि बाहर से आने वाले अधिकारियों को जमीनी हकीकत के बारे में जानकारी नहीं होती और वे भला करने के बजाए नुकसान ज्यादा पहुंचा रहे हैं।


 

Monika Jamwal

Advertising