एनडीए सरकार ने इंडिया के स्थान पर देश को भारत घोषित करने से किया इंकार

Sunday, Nov 15, 2015 - 01:57 AM (IST)

नई दिल्ली: राजभाषा को लागातार बढ़ावा देने का प्रयास कर रही एनडीए सरकार ने इंडिया के स्थान पर देश को भारत घोषित किए जाने से इंकार कर दिया है। सरकार ने कहा है कि देश को सभी आधिकारिक और गैर आधिकारिक तौर पर भारत पुकारे जाने की स्थिति पर कोई विचार नहीं किया जा रहा।

संविधान सभा ने सर्वसम्मति से स्वीकारा था इंडिया जो भारत है
 
केंद्र सरकार की ओर से राष्ट्र को भारत पुकारे जाने की मांग वाली जनहित याचिका खारिज किए जाने का आग्रह करते हुए सुप्रीम कोर्ट से कहा गया है कि संविधान के मूल मसौदे में भारत नाम शामिल नहीं गया था। संविधान सभा ने 18 सितंबर, 1949 को भारत, भारतभूमि, भारतवर्ष, इंडिया जो भारत है जैसे कई नाम अपने विचार में शामिल किए थे। इनमें से भारत को अंग्रेजी भाषा में इंडिया के नाम से जाना जाता है, जिसे अनुच्छेद-1 में रखे गए प्रावधान में सर्वसम्मति से स्वीकार किया गया था।

बड़े पैमाने पर किया था संविधान सभा ने विचार
 
गृह मंत्रालय की ओर से दाखिल हलफनामे में कहा गया है कि संविधान सभा की ओर से अपनाए गए नाम इंडिया को बदलकर देश को भारत घोषित किए जाने का कोई विचार नहीं है। संविधान सभा ने इंडिया नाम तय करने में व्यापक स्तर पर विचार किया था। ऐसे में भारतीय संविधान के अनुच्छेद-1 में बदलाव किए जाने पर विचार किए जाने की कोई स्थिति नहीं है। याद रहे कि अनुच्छेद-1 कहता है, इंडिया जो भारत है जिसमें राज्यों का एक संघ किया जाएगा।
 
यूनानियों के आने पर पड़ा था इंडिया नाम
 
सरकार ने कहा है कि व्यापक चर्चा के बाद संविधान सभा की ओर से इंडिया और भारत, दो नाम लिए गए थे। जो अनुच्छेद-1 में शामिल किए गए और संविधान व्यक्त करता है कि इंडिया जो भारत है। इसमें कोई बदलाव न हीं किया जाएगा। हलफनामे में यह भी इंगित किया है कि इंडिया शब्द का उपयोग में देश में यूनानियों के आने के बाद किया गया। उन्होंने सिंधु नदी को इंडस नाम दिया और उसी से इंडिया निकल कर आया।
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