संविधान संशोधन के फैसले के खिलाफ  कोर्ट जाने की तैयारी में नैकां और पीडीपी

Saturday, Mar 02, 2019 - 11:49 AM (IST)

श्रीनगर : नैशनल कॉन्फ्रेंस और पीपल्स डेमोक्रैटिक पार्टी (पी.डी.पी.) ने कहा कि वे जम्मू-कश्मीर में किसी निर्वाचित सरकार के अभाव में भारतीय संविधान के 77वें और 103वें संशोधन को राज्य में लागू करने के केंद्र के निर्णय के खिलाफ  अदालत का रुख करने पर विचार कर रहे हैं। दोनों पार्टियों ने यह प्रतिक्रिया उस वक्त जाहिर की जब केंद्र सरकार ने गुरुवार को उस अध्यादेश को मंजूरी दी, जिसके तहत जम्मू-कश्मीर में अनुसूचित जातियों (एससी) और अनुसूचित जनजातियों (एसटी) को आरक्षण का लाभ दिए जाने का प्रावधान है। बता दें कि राज्य को विशेष दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 के एक प्रावधान में संशोधन कर यह व्यवस्था की गई। 

 

उमर अब्दुल्ला ने ट्वीट कर जताया विरोध 
नैशनल कॉन्फ्रेंस के उपाध्यक्ष उमर अब्दुल्ला ने कहा कि अनुच्छेद 370 यह प्रावधान करता है कि तीन विषयों के तहत नहीं आने वाले किसी संवैधानिक प्रावधान को राज्य में लागू करने के लिए जम्मू-कश्मीर सरकार की सहमति जरूरी है। उमर ने कहा कि उनकी पार्टी वरिष्ठ वकीलों से चर्चा कर देखेगी कि इस फैसले को अदालत में कैसे चुनौती दी जा सकती है। पूर्व सीएम उमर अब्दुल्ला ने ट्वीट किया कि सरकार का मतलब होता है, निर्वाचित सरकार। राष्ट्रपति राज्यपाल की सहमति नहीं मांग सकते क्योंकि वह राष्ट्रपति के प्रतिनिधि या एजेंट होते हैं। यह वहां भी लागू होता है जहां सिर्फ  सहमति की जरूरत होती है। यही वजह है कि जम्मू-कश्मीर नैशनल कॉन्फ्रेंस कल (शनिवार) वरिष्ठ वकीलों से संपर्क करेगी ताकि देखा जा सके कि हम इस असंवैधानिक आदेश को अदालत में चुनौती देने के लिए कौन सा सर्वश्रेष्ठ कदम उठा सकते हैं।

 

महबूबा मुफ्ती ने भी मोदी सरकार पर साधा निशाना 
पी.डी.पी. प्रमुख महबूबा मुफ्ती ने कहा कि स्पष्ट तौर पर राज्यपाल के पद का इस्तेमाल करना राज्य को कमजोर करने का एक दुर्भावनापूर्ण कदम प्रतीत होता है। इसे बर्दाश्त नहीं किया जाएगा और पूरा राज्य भारत सरकार के इस आपराधिक और अवैध कदम के खिलाफ लड़ाई लड़ेगा। उन्होंने केंद्र की मोदी सरकार की मंशा पर सवाल उठाते हुए पूछा कि कश्मीर के लोगों को मजबूर क्यों किया जा रहा है। मुफ्ती ने एक ट्वीट में कहा कि भारत सरकार आग में घी डालने और हालात को काबू से बाहर जाने देने पर क्यों तुली है, कश्मीरियों को मजबूर क्यों किया जा रहा है। पीडीपी इस लड़ाई को अदालतों में पूरी मजबूती से लडऩे के लिए समान विचारधारा वाली पार्टियों के साथ काम करने के लिए तैयार हंै।
 

Monika Jamwal

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