सड़कें, जिन्हें जवानों के खून से सींचा जा रहा है!

Thursday, May 25, 2017 - 03:57 PM (IST)

रायपुर: छत्तीसगढ़ का नाम लेते ही यहां नक्सलियों और हिंसा की बात जेहन में आती है। आदिवासियों के द्वार तक विकास पहुंचाने के लिए सरकार यहां सड़कें बनवा रही है। सुकमा जिले में दोरनापाल-जगरगुंडा मार्ग और इंजरम-भेजी मार्ग 2 एेसी सड़के हैं जिनके लिए कहा जाता है कि इन सड़कों के निर्माण में सुरक्षाबलों को भारी कुर्बानी देनी पड़ी है। सुरक्षाबल से प्राप्त आंकड़ों पर नजर डालें तो पिछले 3 साल में इन सड़कों पर पुलिस और नक्सलियों के बीच लगभग 25 मुठभेड़ हुईं, जिनमें सुरक्षाबलों के करीब 50 जवान मारे गए हैं। 

सड़क के लिए जीवन का बलिदान
एक महीने पहले 24 अप्रैल 2017 को धुर नक्सल प्रभावित सुकमा जिले के बुरकापाल स्थित सीआरपीएफ की 74वीं बटालियन के 25 जवानों ने उस सड़क के लिए अपने जीवन का बलिदान दिया है जो जिले की जीवन रेखा मानी जा रही है। यह सड़क हैै दोरनापाल-जगरगुंडा मार्ग। 56 किलोमीटर लंबाई वाली निर्माणाधीन इस सड़क के बारे में कहा जाता है कि इस सड़क को पानी से नहीं, बल्कि जवानों ने अपने खून से सींचा है। इस सड़क पर नक्सलियों ने अनेक बार सुरक्षाबलों को निशाना बनाया है।  दोरनापाल-जगरगुंडा मार्ग दोरनापाल से शुरू होता है और गोरगुंडा, पोलमपल्ली, कांकेरलंका, पुसवाड़ा, तिमेलवाड़ा, चिंतागुफा, बुरकापाल, चिंतलनार, नारसापुरम से होता हुआ जगरगुंडा तक पहुंचता है।   

नक्सलियों ने कई बार किया हमला 
सुकमा जिले में एक और सड़क भी है जिसकी खातिर जवानों की जान की बाजी लगी है। इंजरम से भेज्जी तक बन रही 20 किलोमीटर लंबाई की इस सड़क पर नक्सलियों ने कई बार सुरक्षाबलों पर घात लगाकर हमला किया है। छत्तीसगढ़ के गृहमंत्री रामसेवक पैकरा का कहना है कि इन दोनों सड़कों का निर्माण सुकमा क्षेत्र के विकास के लिए महत्वपूर्ण है। लेकिन नक्सली नहीं चाहते हैं कि आदिवासियों तक विकास पहुंचे और यही कारण है कि वे लगातार इन सड़कों के निर्माण को रोकने का प्रयास कर रहे हैं। पैकरा ने कहा कि पिछले कुछ समय में इन सड़कों के निर्माण में तेजी आई है। वहीं, सुरक्षाबलों की गतिविधियां भी यहां तेज हुई हैं जिससे नक्सली बौखला गए हैं। हाल के दिनों में इन सड़कों पर सुरक्षाबलों पर हमले की घटना नक्सलियों की बौखलाहट का ही नतीजा है।  

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