29 सितंबर से हो रहा है नवरात्र का शुभ आरंभ, जानें खास बातें

Thursday, Sep 26, 2019 - 09:01 AM (IST)

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जालंधर (स.ह.): नवरात्र को लेकर मां के भक्तों में खासा उत्साह पाया जा रहा है। नवरात्रों में हर व्यक्ति स्वच्छता का ध्यान रखता है। मां के भक्तों में श्रद्धा व उत्साह तो होता है लेकिन कभी-कभी विधि का ज्ञान न होने के कारण विघ्न पड़ जाता है। मां भक्त हर बार विधि को लेकर दुविधा में रहते हैं। सेवक धूप फैक्टरी के श्री राम ने मां के भक्तों की ऐसी दुविधा को दूर किया है। उन्होंने बताया कि नवरात्र में कलश स्थापना करते ही नकारात्मक ऊर्जा खत्म होती है क्योंकि कलश स्थापना की भी विधि है। कलश के मुख में विष्णुजी, कंठ में रुद्र, मूल में ब्रह्मा और मध्य में सभी मातृशक्तियां निवास करती हैं।

कलश स्थापना का अर्थ है नवरात्रि के समय ब्रह्मांड में उपस्थित शक्तित्व का घट अर्थात कलश का आह्वान कर उसे सक्रिय करना। प्रथम दिन पूजा की शुरूआत दुर्गा पूजा से निमित्त संकल्प लेकर ईशानकोण में कलश स्थापना कर की जाती है। घट स्थापना में सर्वप्रथम मिट्टी लाकर उसमें 5 प्रकार के धान बोए जाते हैं, धान, गेहूं, जौ, चना, तिल, मूंग आदि होते हैं। जल, चंदन, पुष्प, दूर्वा, अक्षत, सुपारी तथा तांबे के कलश में रखे जाते हैं।

मंत्र मालूम न हो तो ये करें उच्चारण 
यदि घट स्थापना के मंत्र मालूम न हों तो सभी वस्तुओं के नाम लेते हुए ‘समर्पयामि’ का उच्चारण करें। शास्त्रीय विधि से कलश में डाले जाने वाले सभी पदार्थ न मिलने पर चंदन, रोली, हल्दी की गांठ, सुपारी, एक रुपए का सिक्का, गंगाजल व दूर्वादल भी कलश में डाल सकते हैं।

नवरात्रि में कैसे करें कलश स्थापना  
श्री रामजी बताते हैं कि कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त सुबह 6.16 से लेकर 7.40 मिनट तक है। इसके अलावा 11.48 से 12.35 तक भी कलश स्थापित किया जा सकता है। उत्तर-पूर्व दिशा देवताओं की दिशा है, इसलिए इस दिशा में माता की प्रतिमा और घट स्थापना करें और 9 दिन पूजन करें।         

Niyati Bhandari

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