क्लिंटन पर भारी क्यों पड़े ट्रंप

Thursday, May 19, 2016 - 08:41 PM (IST)

अब तक अमरीका में राष्ट्रपति चुनाव की जो तस्वीर सामने आई है उसके अनुसार मुख्य मुकाबला डोनाल्ड ट्रंप और हिलेरी क्लिंटन के बीच ही होगा। फिलहाल जो ताजा स्थिति है उसमें ट्रंप का पलड़ा भारी दिख रहा है। अमरीका में फॉक्स न्यूज ने 14 से 17 मई के बीच करीब 1021 लोगों पर जो राष्ट्रीयव्यापी चुनाव पूर्व सर्वेक्षण कराया था,  इससे पता चलता है कि 45 फीसदी मतदाता ट्रंप के समर्थन में हैं। जबकि 42 फीसदी हिलेरी के। यह तय है कि दोनों में से एक को ही अमरीका का राष्ट्रपति चुना जाएगा, लेकिन अधिकतर लोग दोनों के प्रति नकारात्मक राय भी रखते हैं। सर्वेक्षण के मुताबिक 56 फीसदी लोगों को ट्रंप पसंद नहीं और 61 फीसदी लोगों को हिलेरी इस पद के लिए उपयुक्त नहीं लगतीं। यदि वर्ष 2015 की बात करें तो उस समय हुए सर्वे में हिलेरी क्लिंटन को ट्रंप पर 7 प्रतिशत बढ़त हासिल थी। हिलेरी में क्या कमजोरियां हैं कि वे ट्रंप से लगातार पिछड़ती गईंं इस पर बात करते हैं।

नैशनल रिव्यू डॉट कॉम के मुताबिक चाहे हिलेरी अपने प्रतिद्वंद्वी ट्रंप के मुकाबले में मैदान में एक मात्र मजबूत उम्मीदवार हैं, लेकिन उनका जादू चल नहीं पा रहा है। एक समय ऐसा आया था जब वह टेड क्रूज से भी कम लोकप्रिय हो गई थीं। फिर भी मतदाताओं ने पाया कि वह ईमानदार और भरोसेमंद हैं। उनकी यह अच्छाई भी अधिक देर तक नहीं चल सकी और उन्हीं की पार्टी के एक अन्य उम्मीदवार बर्नी सैंडर्स उन पर भारी पड़ने लगे। हालांकि मार्च महीने के मध्य में राष्ट्रपति बराक ओबामा ने डेमोक्रेटिक पार्टी के बड़े-बड़े दानदातााओं को बताया था कि समय आ गया है जब उन्हें क्लिंटन के साथ एकजुट होना चाहिए। मगर पाया गया कि ओबामा की सलाह को शेष बचे प्राइमरी राज्यों में नही माना गया। ज्यादातर महिलाओं को हिलेरी की वॉशिंगटन के प्रभावी पत्रकारों और चुनाव के जानकारों के साथ सौदेबाजी पसंद नहीं आई। हालांकि हिलेरी ने प्राइमरी मतदाताओं के साथ अनुकूल होने का प्रयास किया जो उनके अक्खड़पन की वजह से दूर जा रहे थे।

सीएनएन डाट कॉम का मानना है​ कि डेमोक्रेट्स के पास क्लिंटन को लेकर उत्तेजित होने का बड़ा कारण यह था कई दशकों बाद उन्हें एक मजबूत उम्मीदवार मिला था। उनके पास राजनीति और नीतियां बनाने का लंबा-चौड़ा अनुभव है, जिसका ट्रंप के पास अभाव था। वह जानती थीं कि आधुनिक न्यूज मीडिया क्या होता है। उसे अपने फायदे के लिए कैसे इस्तेमाल करना है और जितने भी कांड हो चुके हैं उनसे कैसे बचना है। वह घबराई नहीं। रिपब्लिकन हमले का उसने जम कर सामना किया। लोग उनके पति बिल क्लिंटन के कार्यकाल के दौरान अर्थव्यवस्था के विकास के लिए किए गए कामों की मिसाल भी देते थे।

सवाल है कि चूक कहां हुई? यदि हिलेरी अपने पति और स्वयं के कार्यकाल की उपलब्धियों को चुनाव अभियान में एक साथ मजबूती से पेश करतीं तो कोई उन्हें पछाड़ ही न पाता। जब तक वे अपना अंतिम निर्णय करती, उनकी कई कमजोरियां सामने आ गईं। वह उन्हीं गलतियों को दोहरा गईं जो वर्ष 2000 में उप राष्ट्रपति अल गोर ने की थीं। जबकि वे वास्तव में जॉर्ज बुश को हरा सकते थे, पर उन्होंने अपने अभियान में पूरी ताकत नहीं लगाई। गोर मतदाताओं से निकट संपर्क स्थापित नहीं कर पाए। हिलेरी को गोर के रास्ते पर नहीं चलना चाहिए था। यही गलती उन्होंने वर्ष 2008 में दोहराई जब वह राष्टपति पद के लिए खड़ी थीं। हिलेरी यह बताने में कामयाब नहीं हो पाई कि उनका जीतना कितना जरूरी है।  

हाल में वॉशिंगटन पोस्ट के एक संस्करण में प्रकाशित समाचार में सुझाव दिया गया है कि हिलेरी के सलाहकारों को बड़ी—बड़ी रैलियों और अन्य कार्यक्रमों की बजाय इनके आकार को छोटा करना चाहिए था। इसका फायदा यह होता कि आयोवा और न्यू हैमप्शायर जैसे स्थानों में हिलेेरी क्लिंटन मतदाताओं से सीधा संपर्क करतीं। उन्हें अपनी प्रामाणिकता को लेकर जितने संदेह थे उनके बारे में दृढ़तापूर्वक स्थिति स्पष्ट कर देनी चाहिए थी। अपने चुनाव अभियान के पहले ही दिन सेन.रेंड पॉल ने यह सवाल कर दिया था कि क्या हिेलेरी पर विश्वास किया जा सकता है ? 

दोनों पार्टियों की ओर से बिल क्लिंटन पर जो हमले किए गए थे उनके लिए हिलेरी को आलोचनाओं का सामना करना पड़ा। जब उन्होंने ईराक के विरुद्ध युद्ध शुरू करने के फैसले से दूरी बनाने की कोशिश की तो डेमोक्रेट्स ने ही जॉर्ज डब्ल्यू बुश की बजाय ओबामा की विदेश नीति की निंदा कर दी। जब वे न्यूयार्क के लिसनिंग टूर पर गईं थी तो मतदाताओं ने महसूस किया हिलेरी ने ई मेल कांड के तथ्यों को छिपाया है। जबकि वह इस पर सफाई ही देती रहीं। हिलेरी क्लिंटन की उम्मीदवारी पर उनकी अपनी ही डेमोक्रेटिक पार्टी में उत्साह नहीं देखा गया। यह भी उनके प्रभाव को कम करने का एक कारण बना।

मतदाता उनसे सुनना चाहते हैं कि अर्थव्यवस्था की असमानता को कम करने के लिए आर्थिक नियमों और नीतियों पर वह क्या कहती हैं। हिलेरी स्प्ष्ट संकेत दें कि वह किस प्रकार ईरान के साथ हुए परमाणु समझौते को नियंत्रित करेंगी। फंड एकत्रित करने वाली क्लिंटन फाऊंडेशन पर उठाए गए सवालों का क्या जवाब देंगी ? हालांकि हिलेरी क्लिंटन में राष्ट्रपति का चुनाव जीतने की क्षमता और सामर्थ्य है, लेकिन आने वाले महीनों में उन्हें और उनका अभियान चलाने वाली टीम को उठाए जाने वाले विभिन्न सवालों और खामियों पर जोरदार जवाब देने होंगे

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