सीमा विवाद के बीच पहली बार PM मोदी-जिनपिंग आए आमने सामने, SCO समिट का बने हिस्सा

punjabkesari.in Tuesday, Nov 10, 2020 - 05:34 PM (IST)

नेशनल डेस्क: प्राइम मिनिस्टर नरेंद्र मोदी 20 वें शंघाई कोऑपरेशन ऑर्गनाइजेशन के शिखर सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि संयुक्त राष्ट्र का मूल लक्ष्य अभी अधूरा है और कोविड-19 महामारी की आर्थिक तथा सामाजिक पीड़ा से जूझ रहे विश्व को उसकी व्यवस्था में आमूलचूल परिवर्तन की अपेक्षा है। खास बात यह है कि पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा पर कई महीनों से भारत और चीन के बीच चल रहे विवाद के बीच पहली बार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग आमने-सामने हुए हैं। क्योंकि मई की शुरुआत में भारत और चीन के बीच सीमा गतिरोध पूर्वी लद्दाख में शुरू हुआ था उसके बाद से दोनों देशों के प्रधान के बीच डायरेक्ट बात नहीं हुई।

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शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) के शिखर सम्मेलन मोदी ने एससीओ के एजेंडे में द्विपक्षीय मुद्दों को लाने के प्रयासों को दुर्भाग्यपूर्ण करार दिया और कहा कि भारत एससीओ चार्टर में निर्धारित सिद्धांतों के अनुसार काम करने के लिए प्रतिबद्ध है। उन्होंने कहा, च्च्संयुक्त राष्ट्र ने अपने 75 वर्ष पूरे किए हैं। लेकिन अनेक सफलताओं के बाद भी संयुक्त राष्ट्र का मूल लक्ष्य अभी अधूरा है। महामारी की आर्थिक और सामाजिक पीड़ा से जूझ रहे विश्व की अपेक्षा है कि संयुक्त राष्ट्र की व्यवस्था में आमूलचूल परिवर्तन आए। उन्होंने आज की वैश्विक वास्तविकताओं को दर्शाने वाले और सभी हितधारकों की अपेक्षाओं, समकालीन चुनौतियों तथा मानव कल्याण जैसे विषयों पर चर्चा के लिए च्च्बहुपक्षवाद'' की आवश्यकता पर बल दिया और उम्मीद जताई कि इस प्रयास में एससीओ के सदस्य राष्ट्रों का पूर्ण समर्थन मिलेगा। 

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प्रधानमंत्री ने कहा कि अभूतपूर्व महामारी के इस अत्यंत कठिन समय में भी भारत के फार्मा उद्योग ने 150 से अधिक देशों को आवश्यक दवाएं भेजी हैं। उन्होंने भरोसा दिया कि दुनिया के सबसे बड़े वैक्सीन उत्पादक देश के रूप में भारत अपनी वैक्सीन उत्पादन और वितरण क्षमता का उपयोग इस संकट से लडऩे में पूरी मानवता की मदद करने के लिए करेगा। मोदी ने कहा कि भारत का शांति, सुरक्षा और समृद्धि पर दृढ़ विश्वास है और उसने हमेशा आतंकवाद, अवैध हथियारों की तस्करी, मादक द्रव्य और धन शोधन के विरोध में आवाज उठाई है। उन्होंने कहा, भारत एससीओ चार्टर में निर्धारित सिद्धांतों के अनुसार, एससीओ के तहत काम करने की अपनी प्रतिबद्धता में दृढ़ रहा है परन्तु यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि इसके एजेंडे में बार-बार, अनावश्यक रूप से, द्विपक्षीय मुद्दों को लाने के प्रयास हो रहे हैं। यह एससीओ चार्टर और शंघाई स्पिरिट का उल्लंघन करते हैं। इस तरह के प्रयास एससीओ को परिभाषित करने वाली सर्वसम्मति और सहयोग की भावना के विपरीत हैं।

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Anil dev

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