वादों के बावजूद राजनीति की पिच पर नहीं उतरे रजनीकांत, यू-टर्न ने कर दिए थे सारे फैन निराश

Thursday, Apr 01, 2021 - 05:58 PM (IST)

नेशनल डेस्क: तमिल सिनेमा के सुपरस्टार रजनीकांत ने 1996 में यह घोषणा की थी कि अगर तत्कालीन मुख्यमंत्री जयललिता ने चुनावों में इस बार भी जीत हासिल की तो तमिलनाडु को भगवान भी नहीं बचा सकते। उनकी इस घोषणा को कईयों ने राजनीति में उनके प्रवेश का शंखनाद माना था। तमिलनाडु में सिनेमा से राजनीति में आना कोई नई बात नहीं है, क्योंकि पूर्व मुख्यमंत्रियों सी. एन. अन्नादुरई, एम. करूणानिधि, एम. जी. रामचंद्रन और जयललिता ने फिल्मों में सफल कॅरियर के बाद राजनीति की राह चुनी थी और राज्य की राजनीति में उन्होंने सफलता हासिल की। लेकिन रजनीकांत के बयानों ने राजनीति में उनके आने की कयासबाजी को जिंदा रखा। 



 2017 में की रजनीकांत ने राजनीति में आने की घोषणा 
उन्होंने 2017 में  राजनीति में आने की घोषणा की और 2020 में उन्होंने स्वास्थ्य कारणों का हवाला देते हुए इससे अंतत: इंकार कर दिया। उन्हें बृहस्पतिवार को 2019 के भारत में फिल्मों के लिए सबसे बड़े पुरस्कार दादा साहब फाल्के पुरस्कार से सम्मानित किए जाने की घोषणा की गई, जिससे प्रशंसकों के बीच थलैवा (नेता) के तौर पर विख्यात अभिनेता यह सम्मान पाने वाले दिग्गजों की सूची में शामिल हो गए। राजनीति में अभी नहीं तो कभी नहीं की घोषणा करने वाले रजनीकांत ने पिछले वर्ष स्वास्थ्य कारणों का हवाला देते हुए इससे दूर ही रहने की बात कही थी। 



प्रशंसकों ने किया था रजनीकांत का जोरदार स्वागत
2017 में उन्होंने घोषणा की थी कि वह एक राजनीतिक पार्टी की शुरुआत करेंगे और तमिलनाडु में 2021 का विधानसभा चुनाव लड़ेंगे, जिसका उनके प्रशंसकों ने जोरदार स्वागत किया था। उन्हें लगा था कि स्क्रीन पर बुरे आदमी को बुरी तरह पीटने वाले थलैवा अपने राजनीतिक अवतार में व्यवस्था की सफाई करेंगे। बहरहाल, उनकी खुशी तब काफूर हो गई जब मार्च 2020 में उन्होंने एक संवाददाता सम्मेलन में कहा कि वह कभी भी मुख्यमंत्री नहीं बनना चाहते हैं और इसके बाद बहस शुरू हो गई कि वह राजनीति में आएंगे अथवा नहीं। बहरहाल कुछ महीने के अंदर ही उन्होंने हृदय परिवर्तन करते हुए घोषणा की कि जनवरी 2021 में वह अपनी पार्टी बनाएंगे। उनकी इस घोषणा से प्रशंसक काफी उत्साहित थे लेकिन रजनीकांत ने दिसंबर में एक बार फिर यू-टर्न लेते हुए कहा कि खराब स्वास्थ्य के कारण वह राजनीति में नहीं आएंगे। उन्होंने तब अस्पताल में भर्ती होने को भगवान की चेतावनी कहा था। 

Anil dev

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