जानें 1 मई को क्यों मनाया जाता है मजदूर दिवस, आखिर क्या है इसका दर्दनाक इतिहास

Saturday, May 01, 2021 - 12:47 PM (IST)

नई दिल्ली: आज का दिन इतिहास में मजदूर दिवस के तौर पर दर्ज है। दुनिया में मजदूर दिवस मनाने का चलन करीब 134 साल पुराना है। मजदूरों ने काम के घंटे तय करने की मांग को लेकर 1877 में आंदोलन शुरू किया, इस दौरान यह दुनिया के विभिन्न देशों में फैलने लगा। एक मई 1886 को पूरे अमेरिका के लाखों मजदूरों ने एक साथ हड़ताल शुरू की। इसमें 11,000 फ़ैक्टरियों के कम से कम तीन लाख अस्सी हज़ार मज़दूर शामिल हुए और वहीं से एक मई को मजदूर दिवस के रूप में मनाने की शुरूआत हुई।



कैसे हुई इसकी शुरुआत
 इस दिन अमेरीका की मजदूर यूनियनों ने काम का समय 8 घंटे से ज्यादा न रखे जाने के लिए हड़ताल की थी। इस हड़ताल के दौरान शिकागो की हेय मार्केट में बम धमाका हुआ था। यह बम किस ने फेंका था ये पता नहीं चल पाया, वहीं पुलिस ने इसके निष्कर्ष के तौर पर मजदूरों पर गोलियां चला दी, जिसमें सात मजदूरों की मौत हो गई और 100 से ज्‍यादा लोग घायल हो गए।  चाहे इन घटनाओं का अमेरीका पर एकदम कोई बड़ा प्रभाव नहीं पड़ा था लेकिन कुछ समय के बाद अमेरीका में 8 घंटे काम करने का समय निश्चित कर दिया गया था। मौजूदा समय भारत और अन्य मुल्कों में मज़दूरों के 8 घंटे काम करने से संबंधित कानून लागू है। इस घटना को अमेरिकी इतिहास में हेयरमार्केट हत्याकांड के नाम से भी जाना जाता है फिर आगे चलकर इन मजदूरों की शहादत को याद को याद करने के लिए मजदूर दिवस मनाया जाने लगा। 



भारत में कैसे हुई इसकी शुरुआत
भारत में 1 मई को मजदूर दिवस की शुरुआत 1 मई 1923 से हुई। उस समय इस को मद्रास दिवस के तौर पर मनाया जाता था। इस की शुरूआत भारती मज़दूर किसान पार्टी के नेता कामरेड सिंगरावेलू चेट्यार ने शुरू की थी। उनका कहना था कि दुनियाभर के मजदू इस दिन को मजदूर दिवस के तौर पर मनाते हैं, तो भारत में भी इसको मान्यता दी जानी चाहिए। इस पर वहा कई जनसभाएं व जुलूस आयोजित किए गए और मजदूरों के हितों के प्रति ध्यान आकर्षित करने की कोशिश की। इसके बाद उसे राष्ट्रीय अवकाश के रूप में मान्यता मिल गई।



सिर्फ सरकारी कार्यालय ही करते हैं इसका पालन
आज भारत देश में बेशक मजदूरों के 8 घंटे काम करने का संबंधित कानून लागू हो लेकिन इसका पालन सिर्फ सरकारी कार्यालय ही करते हैं, बल्कि देश में अधिकतर प्राइवेट कंपनियां या फैक्टरियां अब भी अपने यहां काम करने वालों से 12 घंटे तक काम कराते हैं जो कि एक प्रकार से मजदूरों का शोषण है। आज जरूरत है कि सरकार को इस दिशा में एक प्रभावी कानून बनाना चाहिए और उसका सख्ती से पालन कराना चाहिए। आज भी मजदूरों से फैक्टरियों या प्राइवेट कंपनियों द्वारा पूरा काम लिया जाता है लेकिन उन्हें मजदूरी के नाम पर बहुत कम मजदूरी पकड़ा दी जाती है जिससे मजदूरों को अपने परिवार का खर्चा चलाना मुश्किल हो जाता है। पैसों के अभाव से मजदूर के बच्चों को शिक्षा से वंचित रहना पड़ता है।


 
अंतर्राष्ट्रीय मज़दूर दिवस का उद्देश्य
किसी भी समाज, देश, संस्था और उद्योग में मज़दूरों, कामगारों और मेहनतकशों की अहम भूमिका होती है। उन की बड़ी संख्या इस की कामयाबी के लिए हाथों, अक्ल-इल्म और तनदेही के साथ जुटी होती है। किसी भी उद्योग में कामयाबी के लिए मालिक, सरमाया, कामगार और सरकार अहम धड़े होते हैं। कामगारों के बिना कोई भी औद्योगिक ढांचा खड़ा नहीं रह सकता।  ये दिन उन लोगों के नाम समर्पित है, जिन्होंने देश और दुनिया के निर्माण में कड़ी मेहनत कर महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। कहा जाता है कि देश, समाज, संस्था और उद्योग में सबसे ज्यादा योगदान कामगारों, मजदूरों और मेहनतकशों का योगदान होता है।

Anil dev

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