B'day special: मनमोहन सिंह ने 'मौन' रहकर भी देश को दी खास सौगातें, जानिए उनसे जुड़ी कुछ खास बातें

Monday, Sep 26, 2022 - 06:00 PM (IST)

नेशनल डैस्क: पूर्व प्रधानमंत्री और अर्थशास्त्री मनमोहन सिंह आज अपना 90वां जन्मदिन मना रहे हैं। मनमोहन सिंह का जन्‍म 26 सितम्‍बर, 1932 को अविभाजित भारत के पंजाब प्रांत के एक गांव में हुआ था जो अब पाकिस्तान में है। देश के विभाजन के बाद उनकी माता अमृत कौर और पिता गुरुमुख सिंह परिवार सहित भारत आ गए। 1958 में मनमोहन सिंह ने गुरशरण कौर से विवाह किया, उनकी तीन बेटियां हैं।

 



 


कहते हैं कोई आपको लंबे समय तक तभी याद करता है जब आपने अपने जीवन में लीक से हटकर कुछ किया हो। मनमोहन सिंह के लिए यह बात बिल्कुल फिट बैठती है। उन्होंने अपने पीएम के कार्यकाल के दौरान सबसे बड़ी सफलता परमाणु समझौते के दौरान हासिल की। मीडिया, राजनीति हर कहीं उन्हें विवादों का सामना करना पड़ा, लेकिन अगर हम उनकी विशेषज्ञताओं को याद करें तो इतिहास उन्हें भूल नहीं सकता है। मनमोहन सिंह को भले ही कई लोग मौनी बाबा कहें लेकिन जो सौगातें वे देश को दे गए वह अविस्मरणीय हैं।


मनमोहन सिंह ने साल 1948 में पंजाब विश्‍वविद्यालय से अपनी मैट्रिकुलेशन की परीक्षा पास की। उनके शैक्षणिक जीवन ने उन्‍हें पंजाब से कैम्ब्रिज विश्‍वविद्यालय पहुंचाया, जहां उन्‍होंने साल 1957 में अर्थशास्‍त्र में प्रथम श्रेणी में स्‍नातक डिग्री हासिल की। वर्ष 1971 में मनमोहन सिंह वाणिज्‍य मंत्रालय में आर्थिक सलाहकार के रूप में भारत सरकार में शामिल हुए। इसके तुरंत बाद साल 1972 में वित्त मंत्रालय में मुख्‍य आर्थिक सलाहकार के रूप में उनकी नियुक्ति हुई। मनमोहन सिंह ने जिन सरकारी पदों पर काम किया वे हैं- वित्त मंत्रालय में सचिव, योजना आयोग में उपाध्‍यक्ष, भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर, प्रधानमंत्री के सलाहकार और विश्‍वविद्यालय अनुदान आयोग के अध्‍यक्ष। स्‍वतंत्र भारत के आर्थिक इतिहास में मोड़ तब आया जब मनमोहन सिंह ने वर्ष 1991 से 1996 तक की अवधि में भारत के वित्त मंत्री के रूप में कार्य किया। आर्थिक सुधारों की एक व्‍यापक नीति से परिचय कराने में उनकी भूमिका अब विश्‍वव्‍यापी रूप से जानी जाती है।


- देश को मनरेगा और आरटीआई जैसी सेवाएं दी. इन दोनों ही योजनाओं का लाभ करोड़ों लोगों तक पहुंचा।

-भारतीय अर्थव्यवस्था को सुधारने में तुलनात्मक रूप से बेहतर प्रदर्शन किया। सरकार के विभिन्न फैसलों की वजह से वैश्विक मंदी के बावजूद देश की अर्थव्यवस्था पर बहुत बुरा असर नहीं पड़ा।

- 2004-05 में भारत जहां मोबाइल पेनेट्रेशन के मामले में 5वें नंबर पर था, 2013 में भारत दूसरे नंबर पर पहुंच गया। इस दौरान भारत की टेलिकॉम सर्विस में काफी अधिक प्रसार हुआ।

-मनमोहन सरकार ने ही देश को फूड सेक्युरिटी एक्ट दिया। इस एक्ट के तहत भारत के दो तिहाई लोगों को सब्सिडी के तहत फूड देने का फैसला लिया गया था।

-1991 में जब भारत को दुनिया के बाजार के लिए खोला गया तब मनमोहन सिंह देश के वित्त मंत्री थे। उन्हें ही देश में आर्थिक क्रांति और ग्लोबलाइजेशन की शुरुआत करने का श्रेय जाता है।


मनमोहन सिंह को उनके सार्वजनिक जीवन में प्रदान किए गए कई पुरस्‍कारों और सम्‍मानों में भारत का दूसरा सर्वोच्‍च असैनिक सम्‍मान, पद्म विभूषण भारतीय विज्ञान कांग्रेस का जवाहरलाल नेहरू जन्‍म शताब्‍दी पुरस्‍कार (1995), वर्ष के वित्त मंत्री के लिए एशिया मनी अवार्ड (1993 और 1994), वर्ष के वित्‍त मंत्री का यूरो मनी एवार्ड (1993) क्रैम्ब्रिज विश्‍वविद्यालय का एडम स्मिथ पुरस्‍कार (1956), और कैम्ब्रिज में सेंट जॉन्‍स कॉलेज में विशिष्‍ट कार्य के लिए राईटस पुस्‍कार (1955) प्रमुख थे। मनमोहन सिंह को जापानी निहोन कीजई शिमबन सहित अन्‍य कई संस्‍थाओं से भी सम्‍मान प्राप्‍त हो चुका है। इन्होंने कई अंतर्राष्‍ट्रीय सम्‍मेलनों और अनेक अंतर्राष्‍ट्रीय संगठनों में भारत का प्रतिनिधित्‍व किया है।


लोकसभा चुनाव 2009 में मिली जीत के बाद मनमोहन सिंह जवाहरलाल नेहरू के बाद भारत के पहले ऐसे प्रधानमंत्री बने, जिनको 5 सालों का कार्यकाल सफलता पूर्वक पूरा करने के बाद लगातार दूसरी बार प्रधानमंत्री बनने का अवसर मिला। मनमोहन सिंह को 21 जून 1991 से 16 मई 1996 तक पी.वी. नरसिंह राव के प्रधानमंत्री काल में वित्त मंत्री के रूप में किए गए आर्थिक सुधारों के लिए भी श्रेय दिया जाता है।


-हमेशा राजनीति के सभी मुद्दों पर चुप रहने वाले सिंह एक प्रोफेसर भी रह चुके हैं। अर्थशास्त्र में विशेषज्ञता हासिल करने के बाद उन्होंने कई सारी किताबें भी लिखीं। साल 1969 में वे भारत लौटे, इससे पहले वे यूएन में ट्रेड एंड डेपलेपमेंट के लिए काम कर रहे थे। यहां आने के बाद उन्होंने तीन साल तक दिल्ली स्कूल ऑफ इकॉनोमिक्स में प्रोफेसर के तौर पर अपना ज्ञान बांटा।

-18 जुलाई 2006 में भारत और अमेरिका के बीच परमाणु समझौता हुआ। भारत के प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और अमेरिका के राष्ट्रपति जार्ज बुश ने इस समझौते पर हस्ताक्षर किए थे। ये मनमोहन सिंह की बड़ी सफलता मानी जाती है।

-पीएम बनने के बाद भी वे अर्थशास्त्री के रूप में ही जाने जाते थे। जब आरबीआई ने रुपयों के लिए मॉनिटरी पॉलिसी बनाई थी, मनमोहन सिंह उस टीम का हिस्सा थे। वे साल 1976-1980 तक आरबीआई के डायरेक्टर रहे और बाद में गर्वनर भी बनें।

-सिंह ने लोकसभा चुनाव में कभी जीत नहीं हासिल की। साल 2004 तक एक परंपरा थी कि प्रधानमंत्री जनता का प्रतिनिधि होता है इसलिए उसे लोकसभा से सदन में आना चाहिए लेकिन दो बार के कार्यकाल में मनमोहन सिंह कभी लोकसभा चुनाव लड़े ही नहीं। एक बार लड़े तो दिल्ली से हार गए। इसके बावजूद उन्होंने देश का नेतृत्व किया।

-मनमोहन सिंह इतिहास के पन्नों पर इसलिए भी दर्ज रहेंगे क्योंकि वे अर्थशास्त्री थे और उनके रहते अर्थव्यवस्था डूबती गई। उन्होंने अमेरिका को आर्थिक मंदी से निकलने के लिए कई रास्ते बताएं लेकिन अपने देश को नहीं बचा पाए लेकिन आज भी देश की जनता इसलिए उन्हें याद करती है क्योंकि उन्होंने गरीबी दूर की।

-मनमोहन सिंह अपनी सादगी के लिए सदैव पहचाने जाएंगे। जब उनको अपनी कार का लाइसेंस रिन्यू कराना था तो वह स्वयं चलकर अथॉर्टी के पास गए।

Anil dev

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