Republic Day Parade: ट्रैक्टर परेड हिंसा में घायल हुए 18 पुलिसकर्मी, एक की हालत गंभीर

punjabkesari.in Tuesday, Jan 26, 2021 - 06:38 PM (IST)

नेशनल डेस्क: कृषि कानूनों को निरस्त करने की मांग को लेकर पिछले दो महीने से राष्ट्रीय राजधानी की सीमा पर डेरा डाले हुए हैं। इसी बीच गणतंत्र दिवस के दिन हजारों किसान आज  ट्रैक्टरों पर सवार हो बैरियरों को तोड़ व पुलिस से भिड़ते हुए लालकिले की घेराबंदी के लिए विभिन्न सीमा बिंदुओं से राष्ट्रीय राजधानी में दाखिल हुए। वहीं दिल्ली पुलिस ने बयान जारी करते हुए बताया कि इस हिंसा में 18 पुलिसकर्मी घायल हो गए जबकि एक की हालत गंभीर है।

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दिल्ली पुलिस की आंदोलनकारियों से अपील
ट्रैक्टर परेड में हुई हिंसा पर दिल्ली पुलिस ने बयान जारी करते हुए कहा कि आज के ट्रैक्टर रैली के लिए दिल्ली पुलिस ने किसानों के साथ तय हुए शर्तों के अनुसार काम किया और आवश्यक बंदोबस्त किया। दिल्ली पुलिस ने अंत तक काफी संयम का परिचय दिया, परन्तु आंदोलनकारियों ने तय शर्तों की अवहेलना की और तय समय से पहले ही अपना मार्च शुरू कर दिया और आंदोलनकारियों ने हिंसा व तोडफ़ोड़ का मार्ग चुना, जिसको देखते हुए दिल्ली पुलिस कानून और व्यवस्था बनाए रखने के लिए संयम के साथ ज़रूरी कदम उठाए। इस आंदोलन से जन संपत्ति को काफी नुक्सान हुआ है और कई पुलिसकर्मी घायल भी हुए हैं। आंदोलनकारियों से अपील है कि हिंसा का रास्ता छोड़ शान्ति बनाएं और तय हुए रास्ते से वापस लौट जाएं। 

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पुलिस ने आंसू गैस के गोले छोड़े
किसानों को गणतंत्र दिवस परेड के आयोजन के बाद तय मार्ग पर ट्रैक्टर परेड़ की अनुमति दी गई थी, लेकिन इन शर्तों का उल्लघंन हुआ। कई स्थानों पर प्रदर्शनकारियों और पुलिसकर्मियों के बीच झड़प हुई और लाठीचार्ज किया गया। प्रदर्शनकारियों के इन समूहों में अनेक युवा थे जो मुखर और आक्रामक थे। पुलिस ने कुछ जगहों पर अशांत भीड़ को तितर-बितर करने के लिए आंसू गैस के गोले छोड़े। वहीं आईटीओ पर सैकड़ों किसान पुलिसकर्मियों का लाठियां लेकर दौड़ाते और खड़ी बसों को अपने ट्रैक्टरों से टक्कर मारते दिखे। एक ट्रैक्टर के पलट जाने से एक प्रदर्शनकारी की मौत हो गई। आईटीओ एक संघर्षक्षेत्र की तरह दिख रहा था जहां गुस्साये प्रदर्शनकारी एक कार को क्षतिग्रस्त करते दिखे। सड़कों पर ईंट और पत्थर बिखरे पड़े थे। यह इस बात का गवाह था कि जो किसान आंदोलन दो महीने से शांतिपूर्ण चल रहा था अब वह शांतिपूर्ण नहीं रहा।

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लाल किले पर एकत्रित हो गए हजारों किसान
दिन चढऩे के साथ ही हजारों किसान इधर उधर घूमते दिखे। हजारों और किसान आईटीओ से लगभग चार किलोमीटर दूर स्थित लाल किले पर एकत्रित हो गए। इनमें से कुछ पैदल, कुछ ट्रैक्टर और यहां तक कि कुछ घोड़ों पर सवार होकर वहां पहुंचे थे। प्रदर्शनकारी मुगल कालीन लालकिले के परिसर में घुस गए और गुंबदों और प्राचीर पर चढऩे का प्रयास किया। इनमें से कुछ उस ध्वज-स्तंभ पर झंडा फहराने के लिए चढ़ गए जिस पर प्रधानमंत्री प्रत्येक वर्ष स्वतंत्रता दिवस पर तिरंगा फहराते हैं।भीड़ बढऩे के साथ ही तनाव भी बढऩे लगा। आईटीओ पर पुलिस द्वारा पीछे धकेले जाने पर कुछ प्रदर्शनकारी किसान अपने ट्रैक्टरों के साथ लालकिला परिसर की ओर चल दिये। बड़ी भीड़ एकत्रित होने पर सुरक्षाकर्मियों उन्हें देखते रहे।हालांकि अभी किसी के चोटिल होने की तत्काल कोई जानकारी नहीं है लेकिन एंबुलेंसों को लालकिले के परिसर में प्रवेश करते देखा गया। पुलिस ने लालकिले से प्रदर्शनकारी किसानों को हटाने के लिए हल्का लाठीचार्ज किया। शहर में अन्य जगहों पर भी तनाव का पता चला है। 

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बैरिकेड तोडऩे के साथ ही कारों की खिड़की के शीशे तोड़ दिए
पुलिस ने शाहदरा के चिंतामणि चौक पर किसानों पर तब लाठीचार्ज किया जब उन्होंने बैरिकेड तोडऩे के साथ ही कारों की खिड़की के शीशे तोड़ दिए। निहंगोंज का एक समूह अक्षरधाम मंदिर के पास सुरक्षाकर्मियों से भिड़ गया। पश्चिमी दिल्ली के नांगलोई चौक और मुकरबा चौक पर किसानों ने सीमेंट के बेरीकेड तोड़ दिये और पुलिस ने उन्हें खदेडऩे के लिए आंसू गैस का इस्तेमाल किया। कई जगहों पर अराजकता उत्पन्न होने के बाद किसान यूनियन के नेताओं ने खुद को इससे अलग कर लिया। एक नेता बलबीर सिंह राजेवाल ने कहा, हम किसानों के खिलाफ हिंसा की निंदा करते हैं, सभी से शांति बनाए रखने की अपील करते हैं।ज्ज् उन्होंने कहा कि 41 यूनियनों वाले निकाय संयुक्त किसान मोर्चा से कोई भी व्यक्ति बाहरी रिंग रोड पर नहीं गया।


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Anil dev

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