राज्यसभा की जीत के बाद कांग्रेस की राजनीति में और मजबूत हुए हैं गहलोत, क्या दिल्ली में ऊंचा होगा राजनीति के ''जादूगर'' का कद
Tuesday, Jun 21, 2022 - 10:37 AM (IST)
नेशनल डेस्क: प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) द्वारा की जा रही राहुल गांधी से पूछताछ और केंद्र सरकार की अग्निपथ योजना का विरोध करने में राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत अग्रणी रहे हैं। राज्य चुनाव में भी प्रदेश की चार सीटों में से तीन पर कांग्रेस ने जीत हासिल की है। इसमें भाजपा के समर्थित मीडिया बैरन सुभाष चंद्रा की हार भी शामिल है। गहलोत की भूमिका ने उन्हें कांग्रेस की राष्ट्रीय राजनीति में और मजबूत कर दिया है। हाल ही के वर्षों में पार्टी में गहलोत का कद भी बढ़ा है।
गांधी परिवार की तीन पीढ़ियों के साथ किया काम
सोनिया गांधी के राजनीतिक सलाहकार अहमद पटेल की मृत्यु और विद्रोही जी-23 समूह के गठन के बाद, गहलोत गांधी परिवार के सबसे मजबूत समर्थकों में से एक के रूप में उभरे हैं। राजस्थान के तीन बार के मुख्यमंत्री ने गांधी परिवार की तीन पीढ़ियों के साथ काम किया है। उन्होंने इंदिरा गांधी के अधीन शुरुआत की और फिर राजीव गांधी के प्रधानमंत्रित्व काल में एक मंत्री के रूप में काम किया। और पिछले दो दशकों में, वह सोनिया गांधी के नेतृत्व में गांधी परिवार के साथ निकटता से जुड़े रहे हैं और राहुल और प्रियंका दोनों के साथ उनका एक आसान समीकरण है।
उदयपुर में चिंतन शिविर के मेजबान
पिछले महीने गहलोत उदयपुर में चिंतन शिविर के मेजबान और मुख्य आयोजक थे। जिसे आगामी राज्य चुनावों और 2024 में लोकसभा चुनावों के लिए पार्टी की रणनीति तैयार करने के लिए कांग्रेस के आला अधिकारियों के लिए डिजाइन किया गया था। रविवार को गहलोत ने जयपुर में मोदी सरकार की अग्निपथ योजना के खिलाफ कांग्रेस कार्यकर्ताओं और नेताओं को संगठित करने के लिए एक बड़ी रैली का आयोजन किया। देश में कांग्रेस पर अग्निपथ योजना को लेकर सवाल उठे थे कि उसने त्वरित कार्रवाई के साथ यवुाओं का समर्थन नहीं किया। इसकी एक वजह यह भी रही कि ईडी का कांग्रेस पर दबाव बढ़ता जा रहा है। ऐसे में राजस्थान में गहलोत की रैली मायने रखती है।