डैल्टा वायरस से मेल खाती है ओमिक्रॉन की किस्में, वैज्ञानिकों ने जताई इस बात की चिंता

Monday, Apr 25, 2022 - 01:50 PM (IST)

नेशनल डेस्क: राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) में कोविड-19 के मामले अचानक बढ़ाने वाली ओमिक्रॉन की किस्म बीए.2.12.1 डेल्टा वायरस से मेल खाने की वजह ने विषाणु विज्ञानियों और विशेषज्ञों की चिंता बढ़ा दी है। चूंकि देश भर में कहर बरपाने वाली कोरोनावायरस की दूसरी लहर के दौरान डेल्टा वायरस के कारण हजारों लोगों की जान चली गई थीं। विषाणु वैज्ञानिकों और विशेषज्ञों के मुताबिक ओमकेॉन का क म्यूटेंट डेल्टा किस्म में मिलने वाले म्यूटेशन जैसा है। हालांकि अभी तक यह तय नहीं हो सका है कि इसकी वजह से संक्रमण अधिक गंभीर होगा या नहीं। मगर चिकित्सकों का कहना है कि अभी तक कोविड-19 के अधिकतर पॉजिटिव मामलों में लक्षण या तो नहीं दिखे हैं या बहुत कम दिख हैं।

 एंटीबॉडी को चकमा देता है डैल्टा वायरस
ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी में ग्रीन टेंपलटन कॉलेज में वरिष्ठ रिसर्च फेलो शाहिद जमील ने मीडिया से बातचीत में बताया कि ओमिक्रॉन बीए.1 और बीए.2 किस्में है और उनकी भी कई वंशानुगत किस्में हैं। उन्होंने कहा कि समूह के तौर पर बीए.2 का प्रसार बीए.1 के मुकाबले 20 फीसदी अधिक होता है। उन्होंने यह भी बताया कि बीए.2.12.1 के स्पाइक में दो बड़े म्यूटेशन मिले हैं। जमील ने कहा कि बीए.2.12.1 के स्पाइक में दो बड़े म्यूटेशन दिखे हैं, जो बीए.2.12 और दूसरी वंशानुगत किस्मों में नहीं थे। इनमें से एक म्यूटेशन से मिलता-जुलता म्यूटेशन केवल डैल्टा वायरस में पाया जाता है।

जमील ने कहा कि इस म्यूटेशन के कारण ही डैल्टा वायरस एंटीबॉडी को चकमा देकर निकल जाता था और शरीर की कोशिकाओं से ज्यादा मजबूती से चिपक जाता था। उन्होंने कहा कि यह देखना होगा कि बीए.2.12.1 भी उसी तरह की हरकतें करता है या नहीं। हालांकि यह कितना घातक होगा इसके बारे में जमील ने कुछ भी कहने से इनकार किया। हालांकि उन्होंने कहा कि पहले संक्रमण होने और टीका लगने के कारण जनता में अब जितनी इम्यूनिटी बन गई है, वह डेल्टा वायरस के समय पर नहीं थी।

बचने के लिए लोगों के पास दोहरी इम्यूनिटी
दूसरी लहर के दौरान फेफड़ों के संक्रमण के कारण चिकित्सा में इस्तेमाल होने वाली ऑक्सीजन की भारी मांग देश भर में पैदा हो गई थी और कई रोगियों को हालत गंभीर होने के बाद आईसीयू में भर्ती होना पड़ा था। क्रिश्चियन मेडिकल कॉलेज (सीएमसी), वेल्लूर में क्लिनिकल वायरोलॉजी एवं माइक्रोबायोलॉजी विभागों के अध्यक्ष रह चुके वरिष्ठ विषाणु विज्ञानी टी जैकब जॉन को भी लगता है कि दूसरी लहर के मुकाबले अब स्थिति अलग है।

जैकब जॉन ने कहा कि अगर दो साल पहले की बात होती तो किसी भी किस्म या म्यूटेशन से चौथी लहर आसानी से आ जाती, लेकिन अब जनता के पास टीका लगवाने से दोहरी इम्यूनिटी हो गई है। इसलिए हम वायरस में म्यूटेशन से ज्यादा सुरक्षित हैं। उन्होंने कहा कि हालात पर करीब से नजर रखनी होगी। बहरहाल दिल्ली में मामले लगातार बढ़ रहे हैं। फोर्टिस हॉस्पिटल, शालीमार बाग में पल्मोनोलॉजी विभाग के अध्यक्ष और निदेशक विकास मौर्य ने बताया कि हमने देखा है कि पिछले कुछ दिनों में फ्लू जैसे लक्षणों वाले मरीजों की संख्या बढ़ गई है। उनकी संख्या में करीब 30 फीसदी इजाफा हुआ है। 

Anil dev

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