HC ने किया साफ-  नाबालिग से रेप के बाद शादी से अपराध का पाप धुल नहीं जाता

Saturday, Jul 23, 2022 - 03:19 PM (IST)

नेशनल डेस्क: दिल्ली उच्च न्यायालय ने कहा कि यौन शोषण की पीड़िता और आरोपी की शादी हो जाने से दुष्कर्म के अपराध का पाप धुल नहीं जाता है। उच्च न्यायालय 14 साल की लड़की के अपहरण और दुष्कर्म के आरोपी की जमानत याचिका पर सुनवाई कर रहा था। आरोपी ने दावा किया कि उसने बाद में एक मंदिर में पीड़िता से शादी कर ली थी। याचिकाकर्ता को जमानत देने से इनकार करते हुए न्यायमूर्ति अनूप कुमार मेंदिरत्ता ने कहा, ‘‘एक नाबालिग को बहलाने तथा उससे शारीरिक संबंध बनाने की ऐसी घटनाओं को नियमित मामले के तौर पर नहीं देखा जा सकता।'' गौरतलब है कि पीड़िता सितंबर 2019 को लापता हो गयी थी और बाद में वह अक्टूबर 2021 में आठ महीने की अपनी बेटी के साथ याचिकाकर्ता के घर में मिली थी। वह उस समय गर्भवती भी थी। 

न्यायमूर्ति मेंदिरत्ता ने कहा कि बलात्कार संबंधी कानून के तहत नाबालिग की सहमति मायने नहीं रखती है और नाबालिग लड़की के कथित अपहरणकर्ता से प्रेम करने को भी भारतीय दंड संहिता के तहत ‘‘वैध बचाव के तौर पर नहीं माना जा सकता है।'' अदालत ने कहा कि दुष्कर्म पूरे समाज के खिलाफ एक अपराध है और इससे ‘‘नाबालिग बच्ची के पास आरोपी की बात मानने के अलावा और कोई विकल्प नहीं बचता है।'' 

अदालत ने 22 जुलाई को दिए अपने आदेश में कहा, ‘‘याचिकाकर्ता ने दावा किया है कि उसने एक मंदिर में पीड़िता के साथ शादी कर ली, लेकिन इससे अपराध का पाप धुल नहीं जाता क्योंकि पीड़िता नाबालिग थी और घटना के वक्त उसकी उम्र 15 साल थी।'' उसने कहा, ‘‘चूंकि ऐसे यौन शोषण के कारण पीड़िता और आरोपी ने कानून के प्रावधानों का उल्लंघन करते हुए शादी कर ली या बच्चे का जन्म हो गया, तो महज इससे किसी भी तरीके से याचिकाकर्ता का अपराध कम नहीं हो जाता , क्योंकि नाबालिग की सहमति का कानून में कोई मायने नहीं है।'' 

अभियोजन ने याचिकाकर्ता की जमानत याचिका का विरोध किया और अदालत को बताया कि कथित घटना के वक्त वह करीब 27 साल का था। उसने यह भी कहा कि नाबालिग पीड़िता की सहमति का कानून में कोई मतलब नहीं है। अदालत ने कहा कि नाबालिग पत्नी के साथ यौन संबंध बनाना भी दुष्कर्म है, चाहे उसकी सहमति हो या न हो तथा नाबालिग का यौन शोषण एक जघन्य अपराध है, जिससे सख्ती से निपटे जाने की आवश्यकता है। 

Anil dev

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