जिन कीड़े-मकौड़ों को देखना भी पसंद नहीं करते आप! उन्हें बड़े चाव से खाते हैं लोग

Saturday, Aug 13, 2022 - 10:45 AM (IST)

इंटरनेशनल डेस्क: दुनियाभर में अलग-अलग देशों में लोगों की पसंद अलग-अलग होती है। लोगों का रहन-सहन और खान-पान अलग-अलग है। हालांकि हम लोगों को किसी का खान-पान खराब या सही लग सकता है लेकिन लोग उसी के भरोसे अपना जीवन यापन करते हैं। आपको शायद सुनकर अजीब लगे लेकिन कुछ लोग टिड्डे, बिच्छू, झिंगुर जैसी कोटों को खाकर ही अपना काम चलाते हैं। हालांकि कोरोना की शुरूआत में ऐसा कहा गया था कि चीनी लोगों के चमगादड़ खाने से यह वायरस फैला था लेकिन इसके बावजूद विश्व स्वास्थ्य संगठन और संयुक्त राष्ट्र ऐसे जीवों को खाने को बढ़ावा दे रहे हैं। 

चींटी: चींटियां लोगों को परेशान करती हैं। कुछ लोग इनसे परेशान होकर दूर भागते हैं तो कई लोग इन्हें शौक से खाते हैं। कई जगहों पर इनकी चटनी भी बनाई जाती है। खास बात है कि इसे भारत में भी खाया जाता है। छत्तीसगढ़ की कई जनजातियां भी चींटियों की चटनी बनाकर खाती हैं। साथ ही कई जगहें ऐसी भी हैं जहां चींटियों को पकाकर उन पर नमक लगाया जाता है और पॉपकॉर्न की तरह खाया जाता है। साथ ही चीन के लोग चींटी का सूप भी बड़े चाव से पीते हैं।

झिंगुर: थाईलैंड समेत कई देश ऐसे हैं जहां झिंगुर को सैंकड़ों सालों से खाया जाता रहा है। दुनियाभर के ज्यादातर देशों में लोग इसे शौक से खाते हैं। थाईलैंड में झिंगुर सड़कों पर बिकते हैं।

भंवरे: फूलों पर मंडराने वाले भंवरे कई लोगों का भोजन हैं। दरअसल भंवरों की कई प्रजातियां हैं और अफ्रीका के अलग-अलग हिस्सों में लोग इसे चाव से खाते हैं। जानकार बताते हैं कि इनमें काफी ज्यादा मात्रा में प्रोटीन भरा होता है और फैट के भी अच्छे सोर्स होते हैं। इन्हें खाने से विटामिन ए और ई भी मिलता है।

दीमक: हमारे घर की चौखटों और फर्नीचर में लगने वाली दीमक भी कई लोगों का भोजन है। इंडोनेशिया के अलावा कई अफ्रीकी देश ऐसे हैं जहां इन्हें हजारों साल से खाया जा रहा है। इन्हें पकडऩा भी बेहद आसान होता है, क्योंकि ये ग्रुप में होते हैं और रोशनी देखकर खिंचे चले आते हैं।

बिच्छू: बिच्छू को चीन और थाईलैंड जैसे देशों में बड़े शौक से खाया जाता है। थाईलैंड में तो सड़क किनारे तले हुए इन बिच्छुओं को बेचा भी जाता है। यह लोगों के लिए स्नैक्स के रूप में काम आता है। शराब के शौकीन लोग व्हाइट वाइन के साथ भी इसे खाते हैं, लेकिन इसे बनाना इतना आसान भी नहीं है, इन्हें पकडऩे और उनके अंदर के जहर को निकालने के लिए पहले खूब मेहनत की जाती है तब जाकर यह लोगों की प्लेट तक पहुंचता है।

Anil dev

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