अजब-गजब: सोने से भी महंगा बिकता है भारत में मिलने वाला ये अनोखा खीरा! कीमत जानकर उड़ जाएंगे होश

Thursday, Nov 11, 2021 - 11:41 AM (IST)

नेशनल डेस्क: आप आमतौर पर सैलेड में खीरे का सेवा करते ही होंगे। लेकिन क्या आपने कभी Sea Cucumbers यानी समुद्री खीरे के बारे में सुना है? भारत में मिलने वाले इस अनोखे खीरे की कीमत सुनकर आपके होश उड़ जाएंगे। असल में ये कोई फल- सब्ज़ी नहीं है, बल्कि एक समुद्री जानवर है और इसकी कीमत किसी आम खीरे से कही ज्यादा होती है। जानकारी के अनुसार ये 2.59 लाख रुपए प्रति किलो बिकता है। यही कारण है कि इसकी बड़े पैमाने पर तस्करी की जाती है। सितंबर महीने में ही भारतीय कोस्ट गार्ड ने समुद्री खीरों की एक खेप पकड़ी थी जिसकी अनुमानित क़ीमत 8 करोड़ रुपए है।

समुद्री खीरा असल में एक एकिनोडर्मस जीव है। ये काफी नरम और लचीला होता है। इसका आकार ट्यूब जैसा होता है और यह खीरे की तरह दिखता है, यही वजह है कि इसे ये नाम दिया गया है। इस जीव का समुद्री इकोसिस्टम में महत्वपूर्ण किरदार होता है। ये रेत में दबे छोटे जीवों को खाने के बाद पोषक तत्वों को रिसाइकिल कर देता है। इसके मल से समुद्र में नाइट्रोजन, अमोनिया और कैल्शियम निकलते हैं, जो कोरल रीफ्स के लिए फायदेमंद होते हैं। इंसानी गतिविधियों से समुद्र में बढ़ रहे एसिड की मात्रा को भी ये जीव कम करता है। हालांकि, समुद्री खीरा की मांग चीन समेत कई दक्षिण-पूर्वी एशियाई देशों में बहुत ज्यादा है। यहां लोग इसे सुखा कर खाते हैं, जिसे बेशे-डे-मेर या त्रेपांग कहते हैं। साथ ही चीन में की मान्य परंपरा के मुताबिक कामोत्तेजना बढ़ाने वाली दवाओं में भी इसका इस्तेमाल होता है। वहां के अमीर इसे सदियों से खाते आ रहे हैं। समुद्री खीरे की एक जापानी प्रजाति सबसे महंगी बिकती है। इसका दाम 2.5 लाख रुपए प्रति किलो तक चला जाता है। हाल ही में यूरोप में भी लोगों ने इसका प्रयोग दवा के रूप में करना शुरू कर दिया है। अब फ़ार्मास्यूटिकल कंपनियां भी समुद्री खीरे से दवाई बनाने पर काम कर रही हैं।

जानकारी के अनुसार वर्ष 1996 से 2011 के बीच समुद्री खीरों के निर्यात करने वाले देशों की संख्या 35 से 83 हो गई थी। बढ़ती हुई डिमांड को देखते हुए कई देशों में तो इस जीव का बेतहाशा दोहन शुरू हो गया था। लेकिन अब कई देशों ने इनको पकड़ने और बेचने पर पाबंदी लगा दी है। पिछले कुछ सालों में भारत और श्रीलंका के बीच स्थित मन्नार की खाड़ी और जाफना के पास स्थित पाल्क की खाड़ी से समुद्री खीरों का शिकार ज्यादा हो रहा है। इस महंगे जीव को खरीदने के लिए कई अंतरराष्ट्रीय कंपनियां और काले बाजार के लोग इंतजार में रहते हैं, जिसकी वजह से पूरी दुनिया में इस जीव की आबादी में 60 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई है।

बढ़ते दोहन के चलते ये जीव अब लुप्तप्राय जीवों में गिने जाने लगे हैं। भारत भी Wildlife Protection Act, 1972 के तहत समुद्री खीरे को लुप्तप्राय प्रजाति मानता है और इसके दोहन या बिक्री पर पूरी तरह से रोक लगाता है। पाबंदी के चलते भारत और श्रीलंका के तटीय इलाकों में इसकी स्मगलिंग ख़ूब फल-फूल रही है। फरवरी 2020 में लक्षद्वीप में समुद्री खीरों के लिए दुनिया का पहला संरक्षण क्षेत्र बनाया गया था। इस समस्या से निपटने के लिए लक्षद्वीप में Anti-Poaching Camps भी बनाए गए हैं। भारतीय कोस्ट गॉर्ड भी स्मगलिंग को रोकने में अहम भूमिका निभाती है।

Anil dev

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