Farmers Protest: किसानों के आंदोलन का आज तीसरा दिन, जानें अब तक की Inside Story

Saturday, Nov 28, 2020 - 06:42 PM (IST)

नेशनल डेस्क: केंद्र सरकार द्वारा सितंबर माह में लागू किए गए कृषि कानूनों का विरोध करते हुए हजारों की संख्या में किसान, दिल्ली चलो के आह्वान पर अपनी ट्रैक्टर ट्रॉलियों और अन्य वाहनों से राष्ट्रीय राजधानी पहुंच गये हैं। शनिवार की सुबह यह स्पष्ट नहीं था कि वे शहर के बाहरी इलाके में स्थित बुराड़ी मैदान पर जाने के लिए राजी होंगे या नहीं। पुलिस का कहना है कि वे इस मैदान में अपना विरोध प्रदर्शन जारी रख सकते हैं। कई प्रदर्शनकारी दिल्ली में प्रदर्शन के लिए अच्छी जगह की मांग कर रहे हैं। मूल रूप से यह प्रदर्शन 26 और 27 नवंबर को होना था। अब तक के प्रदर्शन पर 
डालते हैं एक नजर।



पहला दिन
बृहस्पतिवार को पंजाब से हजारों किसान हरियाणा पहुंचे। सीमाई क्षेत्रों में हरियाणा पुलिस ने पानी की बौछार एवं आंसू गैस का इस्तेमाल करके उन्हें रोकने का प्रयास किया। लेकिन बाद में उन्हें आगे बढऩे दिया गया। दिल्ली जाने के दौरान भाजपा शासित हरियाणा से गुजरते वक्त राजमार्गों एवं कई अन्य स्थानों पर पुलिस के साथ इन प्रदर्शनकारियों की झड़प भी हुई। प्रदर्शनकारियों के एक बड़े समूह ने पानीपत के समीप रात में डेरा डाला। 

दूसरा दिन
प्रदर्शनकारी दिल्ली की सीमा पर टिकरी और सिंघू में इक्ट्टा हुए। पुलिस ने बैरीकेड हटाने से रोकने के लिए उन पर पानी की बौछार एवं आंसू गैस का इस्तेमाल किया। बैरीकेड के तौर पर बालू से लदे ट्रक भी खड़े किये गये थे। शाम को उन्हें शहर में दाखिल होने और बुराड़ी मैदान में प्रदर्शन जारी रखने की पेशकश की गयी। लेकिन कई अनिच्छुक जान पड़े । 

तीसरा दिन 
दिल्ली की सीमा पर शनिवार को गतिरोध जारी रहा। पंजाब तथा हरियाणा से और कई किसान आ रहे थे। किसानों का डर : पंजाब और हरियाणा के किसान संगठनों का कहना है कि केंद्र द्वारा हाल ही में लागू किए गये कानूनों से न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) व्यवस्था ध्वस्त हो जाएगी। उनकी दलील है कि कालांतर में बड़े कॉरपोरेट घराने अपनी मर्जी चलायेंगे और किसानों को उनकी उपज का कम दाम मिलेगा। किसानों को डर है कि नए कानूनों के कारण मंडी प्रणाली के एक प्रकार से खत्म हो जाने के बाद उन्हें अपनी फसलों का समुचित दाम नहीं मिलेगा और उन्हें रिण उपलब्ध कराने में मददगार कमीशन एजेंट आढ़ती भी इस धंधे से बाहर हो जायेंगे। 

उनकी मांगें
अहम मांग इन तीनों कानूनों को वापस लेने की है जिनके बारे में उनका दावा है कि ये कानून उनकी फसलों की बिक्री को विनियमन से दूर करते हैं। किसान संगठन इस कानूनी आश्वासन के बाद मान भी जायेंगे कि आदर्श रूप से इन कानूनों में एक संशोधन के माध्यम से एमएसपी व्यवस्था जारी रहगी। ये किसान प्रस्तावित बिजली (संशोधन) विधेयक 2020 को भी वापस लेने पर जोर दे रहे हैं। उन्हें आशंका है कि इस विधेयक के कानून का रूप लेने के बाद उन्हें बिजली में मिलने वाली सब्सिडी खत्म हो जाएगी। किसानों से दिल्ली चलो का आह्वान अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति ने किया और राष्ट्रीय किसान महासंघ तथा भारतीय किसान यूनियन (बीकेयू) के विभिन्न गुटों ने इस आह्वान को अपना समर्थन दिया। यह मार्च संयुक्त किसान मोर्चा के तत्वावधान में हो रहा है। राष्ट्रीय किसान महासंगठन, जय किसान आंदोलन, ऑल इंडिया किसान मजदूर सभा, क्रांतिकारी किसान यूनियन, भारतीय किसान यूनियन (दकुंडा), बीकेयू (राजेवाल), बीकेयू (एकता-उगराहां), बीकेयू (चादुनी) इस मोर्चे में शामिल हैं। ज्यादातर प्रदर्शनकारी पंजाब से हैं लेकिन हरियाणा से भी अच्छी खासी संख्या में किसान आए हैं। उत्तर प्रदेश, राजस्थान, मध्यप्रदेश और उत्तराखंड से भी दिल्ली चलो प्रदर्शन को थोड़ा-बहुत समर्थन मिला है। 

पहले के प्रदर्शन 
दिल्ली चलो से पहले पंजाब और हरियाणा में अलग अलग हुए प्रदर्शनों में किसान धरने पर बैठे और उन्होंने सड़कें जाम कर दीं। तब पंजाब के किसान संगठनों ने रेल रोको आंदोलन का आह्वान किया जो दो करीब दो महीने तक चला। फलस्वरूप पंजाब की ट्रेनें निलंबित हुईं और अहम क्षेत्रों में खासी किल्लत हो गयी। ताप बिजली संयंत्रों में कोयले की कमी हो गयी। एक वक्त तो संगठनों ने मालवाहक ट्रेनों को गुजरने देने के लिए आंदोलन में ढील दी लेकिन रेलवे ने इस बार पर जोर दिया कि वह या तो मालवाहक और यात्री ट्रेनों दोनों को ही चलाएगा या फिर नहीं चलाएगा। जिन कानूनों को लेकर किसान विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं वे कृषक उपज व्‍यापार और वाणिज्‍य (संवर्धन और सरलीकरण) अधिनियम, 2020, कृषक (सशक्‍तिकरण व संरक्षण) कीमत आश्‍वासन और कृषि सेवा पर करार अधिनियम, 2020 और आवश्यक वस्तु (संशोधन) अधिनियम 2020 हैं। 

15 नवंबर को हुई बैठक रही थी बेनतीजा
कांग्रेस शासित पंजाब की विधानसभा ने राज्य में इन कानूनों को निष्प्रभावी बनाने के लिए विधेयक पारित किए हैं लेकिन पंजाब के ये विधेयक राज्यपाल की मंजूरी की बाट जोह रहे है। केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार का कहना है कि नये कानूनों से किसानों को अपनी फसलें बेचने के लिए अधिक विकल्प और अच्छे दाम मिलेंगे। उसने आश्वासन दिया है कि एमएसपी व्यवस्था को समाप्त करने का कोई कदम नहीं उठाया गया और नये कानूनों में इसका कोई जिक्र भी नहीं है। दिल्ली चलो आंदोलन शुरू होने से पहले केंद्र ने तीन दिसंबर को केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र तोमर के साथ बैठक के लिए 30 से अधिक कृषक संगठनों के प्रतिनिधियों को निमंत्रण दिया है। इससे पहले 15 नवंबर को हुई बैठक बेनतीजा रही थी। 

Anil dev

Advertising