केंद्रीय मंत्रिमंडल ने राष्ट्रीय सहकारी विकास निगम को 2000 करोड़ रुपये अनुदान को दी मंजूरी, मिलेगा बड़ा फायदा
punjabkesari.in Friday, Aug 01, 2025 - 05:00 PM (IST)

नेशनल डेस्क : केंद्रीय मंत्रिमंडल ने गुरुवार को राष्ट्रीय सहकारी विकास निगम (एनसीडीसी) को आगामी चार वर्षों के लिए 2000 करोड़ रुपये की अनुदान सहायता मंजूरी दे दी है। इस अनुदान से एनसीडीसी को सहकारी समितियों को ऋण प्रदान करने हेतु अधिक वित्तीय संसाधन जुटाने में मदद मिलेगी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई बैठक में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 2025-26 से 2028-29 तक प्रत्येक वर्ष 500 करोड़ रुपये सहित कुल 2000 करोड़ रुपये के परिव्यय के साथ 'एनसीडीसी को अनुदान सहायता' की केंद्रीय योजना को मंजूरी दी है।
सूचना एवं प्रसारण मंत्री अश्विनी वैष्णव ने संवाददाताओं को बताया, "एक मजबूत वित्तीय मॉडल को और सुदृढ़ करने के लिए मंत्रिमंडल ने एनसीडीसी को चार वर्षों के लिए 2000 करोड़ रुपये की पूंजी अनुदान सहायता देने का निर्णय लिया है।" उन्होंने बताया कि इस वित्तीय सहायता के माध्यम से एनसीडीसी बाजार से अतिरिक्त 20,000 करोड़ रुपये जुटा सकेगा, जिससे वह सहकारी समितियों को अधिक ऋण उपलब्ध करा सकेगा। वर्तमान में एनसीडीसी की ऋण वसूली दर 99.8 प्रतिशत है और गैर-निष्पादित परिसंपत्तियाँ (एनपीए) शून्य हैं।
सरकारी बयान के अनुसार, इस फैसले से डेयरी, पशुधन, मत्स्य पालन, चीनी, कपड़ा, खाद्य प्रसंस्करण, भंडारण और कोल्ड स्टोरेज जैसे क्षेत्रों की 13,288 सहकारी समितियों के लगभग 2.9 करोड़ सदस्यों को लाभ होगा। इनमें श्रम और महिलाओं के नेतृत्व वाली सहकारी समितियाँ भी शामिल हैं। अश्विनी वैष्णव ने कहा, "एनसीडीसी को 2025-26 से 2028-29 तक 2000 करोड़ रुपये की अनुदान सहायता मिलने के आधार पर, वह चार वर्षों में खुले बाजार से 20,000 करोड़ रुपये जुटाने में सक्षम होगी।"
एनसीडीसी इस राशि का उपयोग सहकारी समितियों को नई परियोजनाओं की स्थापना, संयंत्र विस्तार तथा कार्यशील पूंजी आवश्यकताओं के लिए ऋण देने में करेगा। देश में 8.25 लाख से अधिक सहकारी समितियाँ हैं, जिनके 29 करोड़ से अधिक सदस्य हैं, जिनमें से 94 प्रतिशत किसान हैं। सरकार ने बताया कि एनसीडीसी इस योजना की क्रियान्वयन एजेंसी के रूप में कार्य करेगा। यह न केवल ऋण वितरित करेगा, बल्कि परियोजनाओं के कार्यान्वयन की निगरानी और ऋणों की वसूली भी सुनिश्चित करेगा। बयान में कहा गया है कि इन सहकारी समितियों को दी गई धनराशि से आय-उत्पादक पूंजीगत परिसंपत्तियों का निर्माण होगा और उन्हें आवश्यक कार्यशील पूंजी के रूप में तरलता मिलेगी।