लोकसभा चुनाव: PM मोदी के भाषणों की शैली में आया बदलाव

Friday, May 03, 2019 - 04:03 PM (IST)

इलैक्शन(सोमनाथ): डैस्क प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2014 में सत्ता में आने से पूर्व लोगों से लोक-लुभावन वायदे किए और स्पष्ट बहुमत के साथ सरकार बनाई मगर 2019 के चुनावों में उनके भाषणों में पहले के वायदे छोड़कर नए विषयों को अपनाया गया। इस संबंध में एक पत्रिका के डाटा इंटैलीजैंस यूनिट ने प्रधानमंत्री मोदी के 2014 और 2019 के लोकसभा चुनावों और दिए गए भाषणों का विश्लेषण किया है और बताया कि उनके ‘विषय’ में काफी बदलाव आया है।



प्रधानमंत्री मोदी के भाषणों का दायरा गरीबी से चौकीदार तक पहुंच गया है। ‘चौकीदार, गरीबी और मोदी’ उनके भाषणों में प्रमुख स्थान पाने में कामयाब रहे। पांच साल पहले जब प्रधानमंत्री मोदी सत्ता में आए तो उन्होंने विभिन्न मामलों को लेकर लोगों की भावनाओं को उभारा, जिनमें राष्ट्रीय सुरक्षा से लेकर भ्रष्टाचार और महंगाई से लेकर बेरोजगारी तक के मुद्दे शामिल थे। उन्होंने जो नारे लगाए सोशल मीडिया ने उन्हें खूब उछाला।  विशेषण के लिए मोदी के 2014 के चुनाव से पूर्व दिए 5 भाषण (पटना, वाराणसी, दिल्ली, चेन्नई और मेरठ) तथा 2019 (भागलपुर, केंद्रपाड़ा, मुरादाबाद, पणजी और बुनियादपुर) शामिल हैं। 



 

मोदी के 2014 के 5 भाषणों में ‘गरीब’ शब्द पर बड़ा जोर 
मोदी के भाषणों में 55 बार गरीब शब्द उल्लेख हुआ, जबकि 2019 के चुनावी भाषणों में कम होकर 44 बार इस शब्द का उल्लेख किया गया। यानी 2019 के भाषणों में ‘गरीब’ शब्द पर कम ही ध्यान दिया गया।  2014 के चुनावी भाषणों में गरीब के अलावा कांग्रेस (43), भाजपा (31), गुजरात (28), किसान (28) और विकास शब्द का 25 बार उल्लेख किया गया। 2019 के चुनावों के दौरान मोदी के भाषणों में सबसे अधिक बार ‘चौकीदार’ शब्द का उल्लेख हुआ जोकि 106 बार बोला गया। विपक्षी दलों ने जब भ्रष्टाचार के मुद्दे पर घेरा तो प्रधानमंत्री ने मार्च में चौकीदार ट्विटर अभियान शुरू कर दिया। राहुल गांधी ने अपने अधिकतर भाषणों में ‘चौकीदार चोर है’ का नारा बार-बार लगाया। एक टी.वी. इंटरव्यू में प्रधानमंत्री ने कहा कि वह विपक्ष को चुप कराने के लिए चौकीदार अभियान शुरू करेंगे।  ‘चौकीदार’ और ‘गरीब’ के अलावा मोदी के 2019 के भाषणों में जिन प्रमुख शब्दों का उल्लेख किया गया वह हैं मोदी 42 बार, कांग्रेस (38), विकास (31), किसान (23) और भाजपा 21 बार। 



2014 के चुनावों में गुजरात मॉडल को मोदी ने खूब उठाया था। तब उन्होंने ‘विकास’ 25 बार और ‘गुजरात’ का 28 बार उल्लेख किया। 2019 के चुनावी भाषणों में मोदी ने विकास का 21 बार और गुजरात का केवल एक बार जिक्र किया। 2014 और 2019 के चुनावों में किसानों का मामला प्रमुख स्थान पर रहा। मोदी ने 2014 के चुनावी भाषणों में ‘किसान’ का 28 बार जबकि 2019 में 23 बार उल्लेख किया। भाजपा ने 2019 के अपने चुनावी घोषणा-पत्र में ‘गरीबी’ और ‘बेरोजगारी’ को विस्तार से जगह नहीं दी और न ही मोदी के हाल ही के भाषणों में दोनों मुद्दों का उल्लेख किया गया। 2014 के भाषणों में ‘गरीबी’ का उल्लेख 19 बार किया गया जबकि 2019 के भाषणों में केवल 3 बार जिक्र हुआ। विपक्ष का इस चुनाव के लिए मुख्य मुद्दा गरीबी है और कांग्रेस ने अपने न्यूनतम आय योजना के जरिए इसका बार-बार उल्लेख किया है। 



मोदी ने अपने 2019 के चुनावी भाषणों में 2014 के मुकाबले ‘पाकिस्तान’ और ‘आतंकवाद’ का उल्लेख किया। 2014 और 2019 के भाषणों में मोदी ने पाकिस्तान और आतंकवाद का विभिन्न संदर्भों में इस्तेमाल किया। 2014 में मोदी ने आतंकवादी शब्द का केवल 1 बार जिक्र किया था लेकिन 2019 में उन्होंने आतंकवाद और आतंकी का सामूहिक रूप से 24 बार उल्लेख किया। रोचक बात यह है कि 5 वर्षों में प्रधानमंत्री के भाषणों में मोदी और भाजपा शब्दों का उल्लेख बढ़ा है।  2014 के चुनावों में प्रधानमंत्री ने ‘भाजपा’ का 33 बार और ‘मोदी’ का 11 बार उल्लेख किया लेकिन 2019 के भाषणों में ‘मोदी’ का उल्लेख 42 बार और ‘भाजपा’ का 24 बार हुआ। मोदी ने 2014 के मुकाबले 2019 के भाषणों में ‘कांग्रेस’ का उल्लेख कम किया। 2014 में ‘कांग्रेस’ का उल्लेख 45 बार जबकि 2019 में 38 बार हुआ। 2019 के मोदी के भाषणों में ‘चौकीदार’, ‘गरीब’ और ‘मोदी’ शब्द मुख्य रहे।    


Anil dev

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