जानिए क्‍या है शंघाई सहयोग संगठन (SCO), किस तरह होगा भारत के लिए मददगार?

Friday, Jun 14, 2019 - 11:58 AM (IST)

नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एससीओ यानी शंघाई को ऑपरेशन ऑर्गनाइजेशन (एससीओ) की बैठक में शामिल हो रहे हैं यह बैठक किर्गिस्तान की राजधानी बिश्केक में 13 और 14 जून को आयोजित हो रहा है।

गठन
अप्रैल 1996 में शंघाई में हुई एक बैठक में चीन, रूस, कज़ाकस्तान, किर्गिस्तान और ताजिकिस्तान आपस में एक-दूसरे के नस्लीय और धार्मिक तनावों से निबटने के लिए सहयोग करने पर राजी हुए थे। तब इसे शंघाई-फाइव के नाम से जाना जाता था। एससीओ के वर्तमान स्वरूप में गठन 15 जून 2001 को हुआ। अमरीकी प्रभुत्व वाले नाटो संगठन के जवाब में चीन व रूस ने एससीओ को मूर्त रूपदेने में भूमिका निभाई थी।

उद्देश्य
हालांकि, 1996 में जब शंघाई इनीशिएटिव के तौर पर इसकी शुरुआत हुई थी तब इसका उद्देश्य था कि मध्य एशिया के नए आजाद हुए देशों के साथ लगती रूस और चीन की सीमाओं पर तनाव कैसे रोका जाए। तीन साल मे यह मकसद पूरा हो गया। इस संगठन में 2001 में उजबेकिस्तान को भी शामिल कर लिया गया। इस बाद संगठन का नाम शंघाई कोऑपरेशन ऑर्गनाइजेशन (एससीओ) हो गया। इसके साथ ही इसका उद्देश्य भी बदलकर सदस्य देशों को उर्जा की आूपिर्त तथा आतंकवाद से लडऩा बन गया। पिछले साल शिखर सम्मेलन में आतंकवाद से लडऩे के लिए तीन साल का एक्शन प्लान बनाने पर सहमति बनी थी। इस बार उर्जा पर महत्वपूर्ण फैसला होने की उम्मीद है। 

बीजिंग में है मुख्यालय
वर्ष 2017 में भारत के साथ ही पाकिस्तान भी एससीओ का पूर्णकालिक सदस्य बना। इससे पहले भारत को (2005 से) एससीओ में पर्यवेक्षक देश का दर्जा प्राप्त था। भारत पहली बार पूणकालिक देश के रूप में इसमें शामिल हो रहा है। छह देश अर्मेनिया, अजरबैजान, कंबोडिया, नेपाल, श्रीलंका और तुर्की डायलॉग सहयोगी देश हैं। मुख्यालय बीजिंग में है।

सदस्य
वर्तमान में एससीओ के आठ सदस्य चीन, कज़ाकस्तान, किर्गिस्तान, रूस, तजाकिस्तान, उज्बेकिस्तान, भारत और पाकिस्तान हैं। इसके अलावा चार ऑब्जर्वर देश अफगानिस्तान, बेलारूस, ईरान और मंगोलिया हैं।

भारत को फायदा
चीन, रूस के बाद भारत इस संगठन का तीसरा सबसे बड़ा देश है। भारत का कद अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बढ़ रहा है। चाहे वो आतंकवाद हों, ऊर्जा की आपूर्ति या प्रवासियों का मुद्दा हो। इन चुनौतियों के समाधान की कोशिश हो रही है। ऐसे में भारत के जुडऩे से एससीओ और भारत दोनों को परस्पर फायदा होगा।

अफगान सरकार ने 490 तालिबानी कैदी रिहा किए
काबुल, 13 जून (एजैंसी): अफगानिस्तान की सरकार ने कहा है कि उसने अटकी पड़ी शांति प्रक्रिया को आगे बढ़ाने की मंशा से सछ्वावना स्वरूप देश की विभिन्न जेलों में बंद 490 तालिबानी कैदियों को रिहा किया है। सरकारी मीडिया सेंटर प्रमुख फिरोज बाशारी ने एपी को बताया कि रिहा किए गए कैदी या तो बीमार चल रहे थे या फिर उनकी सजा के पूरा होने में एक साल से कम का वक्त बचा था। उन्होंने बताया कि जून में ईद के अवसर पर राष्ट्रपति अशरफ गनी ने 887 कैदियों को रिहा करने का आदेश दिया था। रिहा हुये कैदी इसी समूह का हिस्सा हैं। 


 

Anil dev

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