देश में रहेगा 2024 तक मोदी को टक्कर देने वाले करिश्माई नेता का अभाव

Sunday, Mar 18, 2018 - 05:41 AM (IST)

नेशनल डेस्क (आशीष पाण्डेय): उपचुनावों में लगातार हार के बाद भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की लोकप्रियता और उनके प्रभाव पर कोई बट्टा नहीं लगा है। वर्ष 2019 में होने वाले लोकसभा चुनाव में तो वह प्रभावी रहेंगे ही, 2024 में भी उन्‍हें टक्‍कर देने वाला कोई नहीं होगा। दुनिया भर के ताकतवर देशों के नेताओं की मौजूदा स्थिति और अन्‍य कारकों के विश्‍लेषण के आधार पर ‘ब्‍लूमबर्ग’ ने यह निष्‍कर्ष निकाला है। मोदी के अलावा चीन के राष्‍ट्रपति शी जिनपिंग, रूसी राष्‍ट्रपति व्‍लादीमिर पुतिन, सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस मोहम्‍मद बिन सलमान, उत्‍तर कोरिया के तानाशाह किम जोंग उन, तुर्की के राष्‍ट्रपति रिसेप तैय्यप एर्दोगन, ईरान के सर्वोच्‍च नेता आयतोल्‍ला अली खामनेई, फ्रांस के इमैनुएल मैक्रों, वेनेजुएला के निकोलस माडुरो, अमेरिकी राष्‍ट्रपति डोनाल्‍ड ट्रंप, नाइजीरिया के मुहम्‍मदु बुहारी, इजरायल के बेंजा‍मिन नेतनयाहु जैसे नेताओं को भी इस सूची में शामिल किया गया है। ‘पियू रिसर्च’ के आकलन में नरेंद्र मोदी का ‘फेवरेवल रेट’ (लोकप्रियता या स्‍वीकार्यता) 88 फीसदी है, जबकि राहुल गांधी का 58 फिसदी। वहीं, दिल्‍ली के मुख्‍यमंत्री अरविंद केजरीवाल 39 फीसदी फेवरेवल और 40 फीसदी अनफेवरेवल हैं।

नरेंद्र मोदी: ‘ब्‍लूमबर्ग’ के विश्‍लेषण के अनुसार, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का भारतीय राजनीति पर अभी भी दबदबा बरकरार है। यही कारण है कि मोदी के अगुवाई में वर्ष 2019 में होने वाला आम चुनाव में जीतने की पूरी संभावना है। यही नहीं संभावना तो यहां तक व्यक्त की जा रही है कि प्रधानमंत्री पद पर मोदी 2024 या उससे ज्‍यादा समय तक काबिज हो सकते हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि मोदी के सत्‍ता में आने (2014) के बाद से बीजेपी ने राज्‍यस्‍तर के कई चुनाव जीत कर अपनी लोकप्रियता साबित की है। पीएम मोदी भारत के सबसे लोकप्रिय नेता बने हुए हैं।

कांग्रेस को करिश्माई नेता की दरकार
इस विशलेषण की माने तो विपक्षी कांग्रेस पार्टी बहुत कमजोर है। पार्टी में करिश्‍माई नेता का भी अभाव है। वहीं, क्षेत्रीय क्षत्रप बीजेपी के चुनाव प्रबंधन (इलेक्‍शन मशीन) का सामना करने में उतने सक्षम नहीं हैं। रिपोर्ट में नोटबंदी व जीएसटी की तरफ इशारा करते हुए कहा गया है कि मोदी की आर्थिक तौर पर उथल-पुथल पैदा करने वाली नीतियों के बावजूद लोकप्रियता बनी हुई हैं। ‘राज्‍य चुनावों में उनकी सफलता और जबरदस्‍त लोकप्रियता को देखते हुए निश्चित तौर पर ऐसा लगता है कि वह (मोदी) 2019 में सत्‍ता में वापसी करेंगे। 2024 भी उनके एजेंडे पर है। मजबूत विपक्ष की गैरमौजूदगी इस संभावना को प्रबल करती है।’

चीन के आजीवन राष्‍ट्रपति बने शी जिनपिंग
शी जिनपिंग: चीन में हाल में ही महत्‍वपूर्ण संशोधन किया गया है, जिसके कारण राष्‍ट्रपति आजीवन पद पर बने रह सकते हैं। सिर्फ दो बार ही देश का राष्‍ट्रपति बनने की बाध्‍यता को फरवरी में समाप्‍त कर दिया गया था। ऐसे में शी के 2023 तक राष्‍ट्रपति बने रहने का रास्‍ता साफ हो चुका है। पिछले साल अक्‍टूबर में उन्‍हें माओ जोदांग सरीखा दर्जा दे दिया गया था। ‘इकोनोमिस्‍ट’ के चीन मामलों के विशेषज्ञ टॉम राफेर्टी ने कहा, ‘शी जिनपिंग ने चीन पर लंबे समय तक शासन करने का इरादा स्‍पष्‍ट कर दिया है। स्‍वस्‍थ रहने पर पर वह 2030 तक राष्‍ट्रपति बने रह सकते हैं। हालांकि, देश में अचानक उथल-पुथल का खतरा बना रहेगा। आर्थिक अस्थिरता या अंतरराष्‍ट्रीय मसलों से निपटने में चूक से उनकी स्थिति कमजोर पड़ सकती है।’

राष्‍ट्रपति पद पर नहीं रहने के बावजूद प्रभावी बने रहेंगे
व्‍लादीमिर पुतिन: रूस की सत्‍ता पर पिछले 18 वर्षों से काबिज राष्‍ट्रपति व्‍लादीमिर पुतिन अपने सभी प्रतिद्वंद्वियों को खत्‍म कर चुके हैं। उनका अगला राष्‍ट्रपति चुनाव जीतना लगभग तय है। ऐसे में वह 2024 तक सत्‍ता में बने रहेंगे, लेकिन इसके बाद संवैधानिक प्रावधानों के चलते उन्‍हें राष्‍ट्रपति का पद छोड़ना पड़ सकता है। विशेषज्ञ मानते हैं कि राष्‍ट्रपति पद पर न रहने के बावजूद वह प्रभावी बने रहेंगे।

14 महीने में सबसे कम लोकप्रिय नेता
डोनाल्‍ड ट्रंप: अमेरिका में रिपब्लिकन नेता डोनाल्‍ड ट्रंप के सत्‍ता संभालने के बाद से बाजार में सरगर्मी दिखी है। बेरोजगारी दर पिछले 17 वर्षों में सबसे निचले स्‍तर पर आ गया है, लेकिन इसका राष्‍ट्रपति के समर्थन में तब्‍दील होना बाकी है। चौदह महीने के कार्यकाल में ट्रंप को आधुनिक अमेरिकी इतिहास में राष्‍ट्रपति के तौर पर सबसे कम अप्रूवल (लोकप्रिय समर्थन) मिला है। यूनिवर्सिटी ऑफ वॉशिंगटन के प्रोफेसर जेनिफर लॉलेस ने कहा, ‘बहुत से लोगों का अंदाजा है कि डेढ़ वर्ष के अंदर वह सत्‍ता से बेदखल हो स‍कते हैं। लेकिन, फिलहाल ऐसा संभव नहीं है।’ हालांकि, वर्ष 2020 में सत्‍ता में आने के लिए उन्‍हें वोट को अपने तरफ मोड़ना पड़ेगा।

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