US की मदद से भारत बनाएगा 6 Nuclear पावर प्लांट, 2017 तक होगी डील

Wednesday, Jun 08, 2016 - 02:51 PM (IST)

वाशिंगटन: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की चौथी अमरीका यात्रा के दौरान दोनों देशों के बीच असैन्य परमाणु सहयोग पर एक दशक पुरानी भागीदारी को नई ऊंचाई पर ले जाते हुए अमरीका ने भारत में छह परमाणु संयंत्रों के निर्माण करने का फैसला किया है। मोदी और अमरीका के राष्ट्रपति बराक ओबाम के बीच हुई बैठक में अमेरिकी कंपनी वेस्टिंगहाउस और भारतीय परमाणु ऊर्जा निगम (एनपीसीआईएल) परमाणु ऊर्जा संयंत्रों के लिए इंजीनियरिंग और साइट डिजाइन का काम शुरू करने पर सहमत हुए।

मीडिया को संबोधित करते हुए विदेश सचिव एस जयशंकर ने कहा कि परमाणु संयंत्रों की निर्माण का काम तुरंत शुरू होगा। भारत ने परमाणु दायित्व मुद्दे को संबोधित किया गया है और अब रिएक्टर की स्थापना की तैयारियां होनी है। दोनों देशों इस अनुबंधात्मक व्यवस्था को जून 2017 तक पूरा करने की दिशा में काम करेंगे। परियोजना पूरा होने के बाद अपनी तरह की सबसे बड़ी परियोजनाओं में से एक होगी और इससे भारत की बढ़ती ऊर्जा जरूरतों को पूरा करने तथा जीवाश्म ईंधन पर निर्भरता कम करने के उद्देश्यों को पूरा करने में मदद करेगी।

ये बोले पीएम मोदी
वियाना में परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह (एनएसजी) की प्रस्तावित बैठक से पहले इसकी सदस्यता हासिल करने में भारत की कोशिशों को अमेरिका के समर्थन से और बल मिला है। यहां व्हाइट हाउस में हुई द्विपक्षीय शिखर बैठक अमेरिकी राष्ट्रपति के कार्यालय ओवल हाउस में संयुक्त संवाददाता सम्मेलन के संबोधित करते हुए मोदी ने अमरीका के भारत को एनएसजी तथा मिसाइल प्रौद्योगकी नियंत्रण व्यवस्था (एमटीसीआर) में सदस्यता के लिए मदद एवं समर्थन के लिए अपने ‘मित्र’ ओबामा के प्रति आभार व्यक्त किया। मोदी ने कहा कि भारत और अमरीका परमाणु सुरक्षा, ग्लोबल वार्मिंग और आतंकवाद जैसे वैश्विक मुद्दों पर सहयोग कर रहे हैं।

उन्होंने कहा कि ओबामा से असैन्य परमाणु सहयोग पर हुई प्रगति और अन्य अंतर्राष्ट्रीय मुद्दों पर चर्चा हुई। ओबामा ने कहा कि भारत-
अमरीका का सहयोग विकसित देशों के लिए भी मददगार होगा और दोनों देश भविष्य में भी साथ मिल कर काम करेंगे।  मोदी और  ओबामा के बीच एनएसजी और एमटीसीआर का समझौता ऐसे समय में हुआ है जब एनएसजी की 9 जून का वियाना और फिर 24 जून को सोल में महत्वपूर्ण बैठक होनी है। एमटीसीआर में भारत के शामिल होने की घोषणा किसी भी समय होने की संभावना है। 

US में भी बजा ''मेक इन इंडिया का डंका''
विदेश सचिव जयशंकर ने कहा कि दोनों नेता सुरक्षा मुद्दे पर समन्वय बनने के साथ रक्षा क्षेत्र में सहयोग करने पर भी सहमत हुए जिसमें ‘रक्षा प्रौद्योगिकी और व्यापार पहल (डीटीटीआई)’ के तहत मेक इन इंडिया कार्यक्रम में
अमरिकी कंपनियां भाग लेंगी।


रिएक्टर्स से भारत को होगा ये फायदा
- व्हाइट हाउस अधिकारियों के मुताबिक, पीएम नरेंद्र मोदी और प्रेसिडेंट बराक ओबामा ने इन रिएक्टर्स की तैयारियों का स्वागत किया है।

- यूएस प्रेसिडेंट के सीनियर एडवाइजर ब्रायन डीज के मुताबिक, इन रिएक्टर्स से जहां भारत को क्लीन एनर्जी मिलेगी, वहीं यूएस के लिए हजारों जॉब्स अपॉर्च्युनिटी ओपन होंगी।


ऐसे होंगे Ap1000 न्यूक्लियर पावर प्लांट
- यूएस की मदद से बनने वाले ये न्यूक्लियर पावर प्लांट Ap1000 होंगे।
- इन्हें पेन्सिलवेनिया की वेस्टिंगहाउस कंपनी ही बनाती और बेचती है।
- इन हल्के पावर प्लांट में दो कूलिंग लूप होते हैं, जिनसे 1117 मेगावॉट पावर बनती है।
- चीन, अमेरिका, ब्रिटेन और बुल्गारिया में भी वेस्टिंगहाउस इन पावर प्लांट पर काम कर रही है।

भारत को फायदा
- इन पावर प्लांट्स के लगने के बाद भारत इलैक्ट्रिसिटी कैपिसिटी बढ़ जाएगी।
- अभी भारत में 7 न्यूक्लियर पावर प्लांट्स काम कर रहे हैं।
- इनसे 30292 गीगावॉट इलेक्ट्रिसिटी तैयार की जा रही है।
- देश में 6 अन्य न्यूक्लियर रिएक्टर्स अंडर कंस्ट्रक्शन हैं, जिनसे 4300 मेगावॉट एक्स्ट्रा इलैक्ट्रिसिटी तैयार की जा सकेगी।
 

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