FAO की 75वीं वर्षगांठ पर मोदी बोले- लड़कियों की शादी की उपयुक्त आयु पर चर्चा जारी, रिपोर्ट आते ही हो

Friday, Oct 16, 2020 - 05:39 PM (IST)

नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को कहा कि लड़कियों की शादी की उपयुक्त आयु को लेकर गठित की गई समिति की रिपोर्ट आते ही सरकार इस बारे में निर्णय लेगी। प्रधानमंत्री ने यह बात शुक्रवार को वीडियो कांफ्रेंस के माध्यम से संयुक्त राष्ट्र के खाद्य और कृषि संगठन (एफएओ) की 75वीं वर्षगांठ के अवसर पर आयोजित एक कार्यक्रम में कही।
 

उन्होंने कहा, ‘‘बेटियों की शादी की उचित आयु क्या हो, ये तय करने के लिए चर्चा चल रही है। मुझे देशभर की जागरूक बेटियों की चिट्ठियां आती हैं कि जल्दी से निर्णय कीजिए। मैं उन सभी बेटियों को आश्वासन देता हूं कि बहुत ही जल्द रिपोर्ट आते ही उस पर सरकार अपनी कार्रवाई करेगी।'' मालूम हो कि इस साल 15 अगस्त को लाल किले की प्राचीर से अपने संबोधन में मोदी ने लड़कियों की शादी की उपयुक्त आयु निर्धारित करने के लिए एक समिति के गठन की घोषणा की थी। उन्होंने कहा था, ‘‘बेटियों में कुपोषण खत्‍म हो, उनकी शादी की सही आयु क्‍या हो, इसके लिए हमने कमेटी बनाई है। उसकी रिपोर्ट आते ही बेटियों की शादी की आयु के बारे में भी उचित फैसले लिए जाएंगे।'' देश में अभी लड़कियों की शादी की कम से कम आयु 18 वर्ष निर्धारित है जबकि लड़कों की आयु सीमा 21 वर्ष है। अपने संबोधन में प्रधानमंत्री ने आज कहा कि छोटी आयु में गर्भ धारण करना, शिक्षा की कमी, जानकारी का अभाव, शुद्ध पानी न होना, स्वच्छता की कमी, ऐसी अनेक वजहों से कुपोषण के खिलाफ लड़ाई में जो अपेक्षित परिणाम मिलने चाहिए थे, वह नहीं मिल पाए। उन्होंने कहा कि देश में अलग-अलग स्तर पर कुछ विभागों द्वारा प्रयास हुए थे, लेकिन उनका दायरा या तो सीमित था या टुकड़ों में बिखरा पड़ा था।

उन्होंने कहा, ‘‘जब 2014 में मुझे देश की सेवा करने का मौका मिला तब मैंने नए सिरे से प्रयास शुरू किए गए। हम एकीकृत सोच लेकर आगे बढ़े, समग्र रुख लेकर आगे बढ़े। तमाम बाधाओं को समाप्त करके हमने एक बहुआयामी रणनीति पर काम शुरू किया।'' उन्होंने कहा कि केंद्र की सत्ता में आने के बाद उनकी सरकार ने गुजरात के अनुभवों से बहु-आयामी रणनीति पर काम शुरू किया। कुपोषण बढ़ने का कारणों को देखते हुए स्वच्छ भारत मिशन, हर घर शौचालय, मिशन इंद्रधनुष, जैसे अभियानों की शुरुआत की गई। उन्होंने कहा कि गर्भावस्था और नवजात शिशु के पहले 1000 दिनों को ध्यान में रखते हुए, मां और बच्चे दोनों के पोषण और देखभाल के लिए भी एक बड़ा अभियान शुरू किया गया। आज देश की गरीब बहनों, बेटियों को एक रुपए में सेनिटेशन पैड्स उपलब्ध कराए जा रहे हैं। उन्होंने कहा, ‘‘इन सब प्रयासों का एक असर ये भी है कि देश में पहली बार पढ़ाई के लिए बेटियों के नामांकन का दर बेटों से भी ज्यादा हो गया है।'' प्रधानमंत्री ने कहा कि कुपोषण से निपटने के लिए एक और महत्वपूर्ण दिशा में काम हो रहा है। अब देश में ऐसी फसलों को बढ़ावा दिया जा रहा है जिसमें पौष्टिक पदार्थ- जैसे प्रोटीन, आयरन, जिंक इत्यादि ज्यादा होते हैं।



उन्होंने कहा कि रागी, ज्वार, बाजरा, कोडो, झांगोरा, कोटकी जैसे मोटे अनाजों की पैदावार बढ़े, लोग अपने भोजन में इन्हें शामिल करें, इस ओर प्रयास बढ़ाए जा रहे हैं। एफएओ द्वारा वर्ष 2023 को मोटे अनाजों का अंतरराष्ट्रीय वर्ष घोषित करने के भारत के प्रस्ताव को ‘‘पूरा समर्थन'' देने के लिए धन्यवाद किया। उन्होंने कहा कि यह प्रस्ताव पोषण और छोटे किसानों की आय, दोनों से जुड़ा हुआ है। उन्होंने कहा इससे भारत ही नहीं विश्व भर को दो बड़े फायदे होंगे। ‘‘एक तो पौष्टिक आहार प्रोत्साहित होंगे, उनकी उपलब्धता और बढ़ेगी। और दूसरा- जो छोटे किसान होते हैं, जिनके पास कम जमीन होती है, सिंचाई के साधन नहीं होते हैं, बारिश पर निर्भर होते हैं, ऐसे छोटे-छोटे किसान, उन्हें बहुत लाभ होगा।'' मोदी ने कहा कि भारत के किसान, कृषि वैज्ञानिक, आंगनबाड़ी कार्यकर्ता और आशा कार्यकर्ता, कुपोषण के खिलाफ आंदोलन का एक बहुत बड़ा मजबूत किला है, मजबूत आधार हैं। उन्होंने कहा, ‘‘इन्होंने अपने परिश्रम से जहां भारत का अन्न भंडार भर रखा है, वहीं दूर-सुदूर, गरीब से गरीब तक पहुंचने में ये सरकार की मदद भी कर रहे हैं। इन सभी के प्रयासों से ही भारत कोरोना के इस संकटकाल में भी कुपोषण के खिलाफ मजबूत लड़ाई लड़ रहा है।''

Anil dev

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