PNB SCAM-अरुण जेतली को लेनी होगी संवैधानिक जिम्मेदारी: यशवंत सिंहा
Thursday, Feb 22, 2018 - 05:47 PM (IST)
नेशनल डेस्क: नीरव मोदी-पीएनबी महाघोटाले पर बीजेपी नेता यशवंत सिन्हा ने एक बार फिर मोदी सरकार पर बड़ा निशाना साधा है। सिंहा अब सरकार के विरोध में खुलकर सामने आ गए हैं। उन्होंने सरकार की ओर से स्थिति साफ न करने और मामले में वित्त मंत्री अरुण जेतली की खामोशी पर एतराज जताया है। उन्होंने कहा, ये सच है कि वित्त मंत्री हर दिन हर संस्था के काम पर नजर नहीं रख सकता। लेकिन इससे वो अपनी संवैधानिक जिम्मेदारी से भी बच नहीं सकता है। यशतंत सिन्हा ने अपने कार्यकाल में हुए केतन मेहता और मनमोहन सिंह के दौर में हर्षद मेहता स्कैम का जिक्र करते हुए कहा कि हमें भी इन पर जवाब देना पड़ा था। अब अरुण जेतली को भी अपनी जिम्मेदारी समझते हुए अपनी स्थिति साफ करनी चाहिए।
After 'Ease of Doing Business' the budget concentrates on ' Ease of Leaving'. We now know why.
— Yashwant Sinha (@YashwantSinha) February 20, 2018
सिंहा पर लगा था आरोप
यशवंत सिन्हा ने कहा कि 1992 में हर्षद मेहता स्कैम के दौरान उस वक्त के तत्कालीन वित्त मंत्री मनमोहन सिंह को भी इस घोटाले का जिम्मेदार माना था। क्योंकि वित्त मंत्री रहते हुए वित्त विभाग की जिम्मेदारी उनकी ही थी। इसी तरह केतन पारेख स्कैम के दौरान उस वक्त के वित्त मंत्री रहे सिन्हा ने भी जांच का सामना किया था। इतना ही नहीं उन्होंने सरकार के इजी डूइंग बिजनेज प्रोजेक्ट पर निशाना साधते हुए कहा है कि सरकार का नया प्रोजेक्ट इजी डूइंग आॅफ लिविंग है।
हर्षद मेहता बना बिग बुल
इंडियन इकोनॉमी के लिए साल 1990 से 92 का समय बड़े बदलाव का वक्त था। देश ने उदारवादी इकोनॉमी की तरफ चलना शुरू कर दिया था। लेकिन इसी दौर में देश के सामने एक ऐसा घोटाला सामने आया, जिसने शेयर खरीद-बिक्री की प्रकिया में ऐतिहासिक परिवर्तन किए। साल 1990 के समय से शेयर मार्केट में लगातार तेजी का रुख था। इस तेजी के लिए शेयर ब्रोकर हर्षद मेहता जिम्मेदार माना जाने लगा। यहां तक की हर्षद मेहता को ‘बिग बुल’ का दर्जा दे दिया गया।
बैंक दलाल बन हर्षद मेहता ने किया घोटाला
एक वक्त ऐसा था जब हर्षद मेहता शेयर मार्केट में लगातार निवेश करता जा रहा था। जिस कारण शेयर मार्केट में लगातार तेजी बनती चली गई। लेकिन फिर सवाल उठा कि आखिर शेयर मार्केट में निवेश करने के लिए मेहता के पास इतने पैसे कहां से आए। फिर अप्रैल 1992 में टाइम्स ऑफ इंडिया के एक पत्रकार ने इसका खुलासा किया। इस लेख में बताया गया कि कैसे हर्षद मेहता ने बैंकिंग के नियम का फायदा उठाकर बैंकों को बिना बताए उनके करोड़ों रुपए को शेयर मार्केट में लगाया था। मेहता दो बैंकों के बीच बिचौलिया बनकर 15 दिन के नाम पर लोन लेकर बैंकों से पैसा उठाता और फिर मुनाफा कमाकर बैंकों को पैसा लौटा देता। ये बात जब सामने आई तो शेयर मार्केट में तेजी से गिरावट आनी शुरू हो गई। 4,000 करोड़ रुपए से अधिक के इस घोटाले के बाद ही सेबी को शेयर मार्केट में गड़बड़ी रोकने की ताकत दी गई।
सिंहा ने झेला केतन पारेख घोटाला
हर्षद मेहता की तरह केतन पारेख घोटाला को भी देश नहीं भूल सकता। कहा जाता है कि हर्षद मेहता, केतन पारेख का मेंटर था। और उसी की तर्ज पर साल 2001 तक केतन पारेख देश का सफल ब्रोकर बन गया। हर्षद मेहता की तरह ही केतन पारेख ने उस समय ग्लोबल ट्रस्ट बैंक और माधवपुरा मर्सेटाइल को-ऑपरेटिव बैंक से पैसा लिया और के-10 स्टॉक्स के नाम से स्टॉक को मार्केट में हेरफेर किया। पारेख ने तमाम नियमों को तोड़ते हुए कई फर्जी कंपनियों के शेयरों के भाव बढ़ा दिये थे। बाद में आई जोरदार बिकवाली से देश के लाखों निवेशकों को करोड़ों रुपए का चूना लगा। केतन पारिख पर 2017 तक का बैन है, तबतक वह शेयर मार्केट में ट्रेडिंग नही कर सकता