Exclusive: PM मोदी ने 3 साल में तोड़ा भोले के भक्तों का भरोसा!

Tuesday, Jul 11, 2017 - 06:57 PM (IST)

नई दिल्ली: भोले के भक्तों यानि हिंदू वोटों के दम पर नरेंद्र मोदी 16 मई 2014 को प्रधानमंत्री की कुर्सी तक पहुंचे। मोदी के राज में भोले के भक्तों का भरोसा बढऩे की बजाए टूटा है। बात अमरनाथ यात्रा की हो रही है जहां सोमवार देर साम आतंकियों ने श्रद्धालुंओं पर हमला कर दिया। लेकिन इस हमले के पहले ही कश्मीर में ऐसे हालात पैदा कर दिए गए जिससे भोले के भक्तों में पहले की तरह अमरनाथ यात्रा पर जाने का हौसला नहीं बन पा रहा और न ही मोदी सरकार के कदमों से यात्रियों को सुरक्षा का भरोसा मिल पा रहा है।
 श्रद्धालुओं का गिरता आंकड़ा
आंकड़ों पर नजर दौड़ाई जाए तो साफ पता चलता है कि पिछले 6 साल में अमरनाथ यात्रा पर जाने वाले श्रद्घालुओं की संख्या एक तिहाई रह गई है। 2011 में 6.35 लाख श्रद्धालुओं ने पवित्र गुफा के दर्शन किए थे जबकि मोदी सरकार के तीसरे साल में हुई यात्रा के दौरान 2016 में ये संख्या कम हो कर 2.20 हजार श्रद्धालु रह गई। इससे पहले 2015 में 3.52 लाख श्रद्धुलाओं ने पवित्र गुफा  में शिवलिंग के दर्शन किए थे। इस साल  2 लाख 30 हजार श्रद्घालुओं ने यात्रा के लिए रजिस्ट्रेशन करवाया है।

कश्मीर में क्यों बिगड़े हालात
पीएम मोदी के शपथ लेने से पूर्व अमरनाथ यात्रा जाने वाले श्रद्घलुओं की औसत संख्या 3.30 लाख से ज्यादा थी। और मोदी सरकार के सत्ता संभालने के तीन महीने बाद 2014 में हुई अमरनाथ यात्रा के दौरा भी 3 लाख 72 हजार 909 श्रद्धालाओं ने वपित्र गुफा के दर्शन किए थे। लेकिन दिसंबर 2014 में जम्मू क्शमीर में हुए विधासभा चुनाव भाजपा को मिली ऐतिहासिक जीत के बाद राज्य की स्थिती बिगड़ गई और इसका सीधा असर अमरनाथ यात्रा पर पड़ा। राज्य विधानसभा में भाजपा को 25 और पीडीपी को 28 सीटें हासिल हुई और भाजपा सरकार में भागीदार बन गई। लेकिन भाजपा का मुस्लिम बहुल राज्य की सत्ता पर काबिज होना कश्मीर के कट्टरपंथियों को रास नहीं आया और उन्होंने भाजपा को फेल करने के लिए राज्य का माहौल खराब करना शुरू कर दिया। इससे पहले 2011 में 6.35 लाख, 2012 में 6.20 लाख, 2013 में 3.54 लाख श्रद्घालुओं ने अमरनाथ यात्रा की थी जबकि पिछले चार साल से श्रद्धालुओं का आंकड़ा आधे से कम होकर एक तिहाई के करीब जा पहुंचा है। 

कड़ी सुरक्षा के बावजूद हमला
अमरनाथ यात्रा के दौरान दौरान चप्पे-चप्पे पर सुरक्षा के पुख्ता प्रबंध किए गए थे। 40 दिन चलने वाली यात्रा की सुरक्षा के लिए 40 हजार से ज्यादा जवान, सीआरपीएफ, बीएसएफ, आईटीबीपी, सीआईएसएफ, जम्मू कश्मीर पुलिस, 10 गढ़वाल सेना,एसडीआरएफ और एनडीआरएफ की टीमें मुस्तेदी से लोगों की सुरक्षा पर लगी थी इसके बावजूद हुए आतंकी हमले ने सरकार की व्यवस्था पर सवालिया निशान लगा दिया है।

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