यूपी में योगी तो गुजरात में मोदी की परीक्षा

Wednesday, Oct 18, 2017 - 12:37 PM (IST)

नेशनल डेस्क: यूपी में नगर निगम चुनाव के लिए अधिसूचना कभी भी जारी हो सकती है। संशोधित नामावली का प्रकाशन 18 अक्टूबर से होना है। इससे कयास लगाया जा रहा है कि नवंबर में निगम चुनाव होंगे। मोदी से पहले योगी को परीक्षा देनी पड़ सकती है। हालांकि यूपी विधानसभा चुनाव में बीजेपी अपनी जीत से लबरेज है, जिसके प्रभाव से उसे फायदा होना लाजिमी है। नगर निगम चुनाव में यह जीत हिमाचल प्रदेश में विधानसभा चुनाव में भी बीजेपी के लिए फायदा करा सकती है। यूपी व हिमाचल के तुरंत बाद गुजरात में चुनाव होंगे। कयास लगाया जा रहा है कि अगर इन दोनों राज्यों में बीजेपी ने जीत का स्वॉद चखा तो गुजरात को कब्जा करने में उसे कम पसीना बहाना पड़ेगा। फिलहाल गुजरात का चुनाव सीधे सीधे पीएम नरेंद्र मोदी के छवि से जोड़कर देखा जा रहा है।

खाली नहीं है विपक्ष का तरकश 
बीजेपी को इन तीनों चुनावों में अपनी साख को बरकरार रखने के लिए काफी पसीना बहाना पड़ रहा है। यूपी में योगी की तो गुजरात में मोदी को विपक्ष से कड़ी टक्कर मिल सकती है। नोटबंदी, जीएसटी के जख्म को विपक्ष द्वारा कुदेरा जा रहा है। जिसकी आह बीजेपी वोट को प्रभावित कर सकती है। तीनों चुनाव में विपक्ष के तरकश में  मोदी के वादे, नोटबंदी, जीएसटी, विकास, जयशाह पर आरोप जैसे नुकीले तीर है। जिसे चलाकर विपक्ष जनता को जख्मी करेगा और ठीकरा बीजेपी पर फोड़ेगा।
 
यूपी में क्या इतिहास दोहराएगी जनता
2012 में ही यूपी विधानसभा चुनाव हुए जिसमें सपा प्रदेश में काबिज हुई। ठीक 4-5 महीने बाद ही हुए निगम चुनाव में जनता ने सत्ता पर काबिज सपा सरकार को दरकिनार कर बीजेपी को समर्थन दिया। जिसका नतीजा यह हुआ कि 8 मेयर में से 6 मेयर बीजेपी के बने। बाकी के बचे दो में से एक पर बीएसपी समर्थित मेयर कैंडिडेट ने अपना परचम फहराया जबकि सत्तारूढ़ पार्टी सपा का केवल एक मेयर ही बना। जनता ने क्राइम कंट्रोल में फेल होने पर सपा को अंगूठा दिखा दिया। इस बार भी क्राइम, स्वास्थ्य और सुरक्षा का मुद्दा ही मुख्य होगा। 

Advertising