कारगिल से IIM तक सफर पूरा, अब घाटी का भविष्य सुधारने की चाहत

Friday, Jul 26, 2019 - 01:29 PM (IST)

नेशनल डेस्क: कारगिल विजय दिवस को 20 साल पूरे हो गए हैं। इस मौके पर हम लाएं है आपके लिए मुजमिल अनवर की कहानी। 20 साल पहले दुश्मन के हाथों से बचे कारगिल के मासूम अब बड़े होकर अपने देश और अपने राज्य के लिए कुछ करने की चाहत रखते है। ऐसे ही एक युवा है मुजमिल अनवर।

कारगिल से ताल्लुक रखनेवाले 28 साल के मुजमिल अनवर आईआईएम ग्रेजुएट हैं। वो बताते हैं कि जब उनका एडमिशन आईआईएम में हुआ तो कुछ लोगों ने तो उनसे कैट की तैयारी को लेकर जानकारी ली, लेकिन उनके इलाके से किसी ने भी कैट या आईआईएम को लेकर कुछ नहीं पूछा। उन्होने बताया कि एक तरफ जहां बाकी पूरे देश में कैट एग्जाम को लेकर स्टूडेंट्स में जबरदस्त उत्साह रहता है, तो वहीं यहां कारगिल में किसी को कैट एग्जाम और आईआईएम जैसी संस्थाओं के बारे में कोई जानकारी ही नहीं है। उन्हें खुद कैट के बारे में क्लास 12th के बाद पता चला था। उन्होने बताया कि यहां बच्चें केवल मेडिकल और इंजीनियरिंग को ही भविष्य समझते है। 

इसी को देखते हुए अब मुजमिल कारगिल के बच्चों के लिए एक कोचिंग सेंटर खोलना चाहते हैं। जहां घाटी के युवा कॉमन एडमिशन टेस्ट यानी कैट की अच्छे से तैयारी कर सकें। उन्होने बताया कि यहां के युवा पढ़ना चाहते हैं, लेकिन उन्हें सही दिशा नहीं मिल पाती है। इसी को देखते हुए अनवर ने कहा कि वो यहां एक कोचिंग सेंटर खोलकर उनके नए भविष्य के लिए बेहतर रास्ता बनाना चाहते है। जिससे यहां के बच्चे और युवा मैनेजमेंट के क्षेत्र में एक अच्छा भविष्य बना सके। इसके लिए वो जम्मू-कश्मीर सरकार से भी मदद मांगने की योजना बना रहे हैं।

वहीं कारगिल युद्ध के बारे में बात करते हुए मुजमिल कहते है कि उनकी याद बाकी सभी से काफी अलग है। युद्ध के वक्त वो 8 साल को थे और अपने भाईयों-दोस्तों के साथ शैलिंग के दौरान बंकरों में क्रिकेट खेलते थे। ये उस वक्त की उनकी सबसे मेमरबल मेमोरी है। मुजमिल आईआईएम अहमदाबाद से ग्रेजुएट हैं और कैंपस प्लेसमेंट के दौरान वेदांता ग्रुप ने उन्हें 30 लाख के पैकेज पर सेलेक्ट किया था। फिलहाल मुजमिल उदयपुर में रहकर कंपनी का सीएसआर हैंडल कर रहे हैं।     

prachi upadhyay

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