मुजफ्फरनगर ट्रेन हादसा- 'प्रभु' भरोसे रेल, मंत्रालय पर खड़े हुए कई सवाल
Sunday, Aug 20, 2017 - 01:19 PM (IST)
मुजफ्फरनगर/नई दिल्लीः यूपी के मुजफ्फरनगर में शनिवार शाम हुए भीषण ट्रेन हादसे में मरने वालों की संख्या 23 हो गई है। हादसे में 97 से ज्यादा लोग घायल बताए जा रहे हैं इनमें से 26 लोग गंभीर रूप से जख्मी हैं, वहीं बाकी 71 को हल्की चोटें आई हैं। फिलहाल, पुलिस-प्रशासन का अमला मौके पर मौजूद है। राहत-बचाव का काम जारी है। वहीं हादसे पर रेल मंत्री सुरेश प्रभु ने कहा कि रेलवे बोर्ड के अध्यक्ष, सदस्य (यातायात) को बचाव, राहत अभियान की देखरेख करने का निर्देश दिया है, मैं स्थिति की निजी तौर पर निगरानी कर रहा हूं। उन्होंने कहा कि घटनास्थल पर चिकित्सा वैन भेजी गई हैं।
2/2 Another Accident Relief Train (ART) along with a 140 ton crane from Ambala Division is awaited at site shortly.
— Suresh Prabhu (@sureshpprabhu) August 19, 2017
त्वरित राहत एवं बचाव अभियान सुनिश्चित करने के लिए सभी प्रयास किए जा रहे हैं व दुर्घटना के कारणों का पता लगाने के लिए जांच का आदेश दिया गया है। अगर कोई खामी पाई गई तो कड़ी कार्रवाई की जाएगी। प्रभु ने कहा कि रेल राज्य मंत्री मनोज सिन्हा घटनास्थल पर जा रहे हैं व पूरा जायजा लेंगे। रेल मंत्री ने कहा कि बचाव अभियान पूरा हो गया है, सभी घायलों को अस्पताल में भर्ती कराया गया, अब सेवा बहाल करने का काम शुरू होगा। यह हादसा कई सवाल खड़े कर गया है। हालांकि इस हमले को आतंकियों का साथ जोड़ कर देखने की कोशिश की जा रही है लेकिन घटना को देखकर सरकार की नाकामी भी साफ झलक रही है।
- इंटेलिजेंस सूत्रों के मुताबिक घटनास्थल से हथौड़े, रिंच और अन्य औजार मिले हैं जिससे पता चलता है कि ट्रैक पर मरम्मत का काम चल रहा था। इससे रेलवे पर कई सवाल खड़े हुए हैं।
-वहीं सबसे बड़ा सवाल यह है कि अगर ट्रैक पर मरम्मत का काम चल रहा था तो सिग्नलमैन ने कलिंगा-उत्कल एक्सप्रेस को ट्रैक पर जाने के लिए ग्रीन सिग्नल क्यों दिया। यूपी एटीएस डीएसपी अनूप सिंह ने भी इसकी पुष्टि की है कि घटनास्थल पर काम चल रहा था।
-वहीं इस हादसे को आतंकी हमले से जोड़कर देखा जा रहा है, तो क्या रेलवे के किसी अधिकारी ने नहीं देखा कि घटनास्थल पर क्यों मरम्मत का काम चल रहा है। सिग्नलमैन ने क्यों ट्रेन को यहां गति धीमी करने का सिग्नल नहीं दिया।
- सुरेश प्रभु के रेल मंत्री बनने के बाद रेल मंत्रालय ने हमेशा यही कहा है हादसों को कम करने की नई तरकीब ढूंढेगी लेकिन अब तक कई हादसे हो चुके हैं सरकार वहीं की वहीं खड़ी है।
- प्रभु के रेलमंत्री रहते हुए तीन सालों में कम से कम 6 रेल हादसे हुए हैं. इनमें सैकड़ों लोगों की जान गई है। हजारों लोग घायल हुए हैं लेकिन रेलवे ने कोई सबक नहीं लिया। रेलमंत्री हर बार सफर को सुरक्षित बनाने के दावे करते हैं।
-हादसे के बाद रेलवे ने पल्ला झाड़ने के लिए अब नया एंगल ढूंढ निकाला है। कथित तौर पर आतंकियों को जिम्मेदार बताकर रेलवे अपनी जिम्मेदारी से बच जाता है। ऐसे कई सवाल सामने खड़े हैं जो रेलवे की तरफ उंगुली कर रहे हैं कि आखिर कब सबक लिया जाएगा इन हादसों से। आखिर कब तक लोग अपनी जान गंवाते रहेंगे।