पूरी हो सकती है, ली-कार्बूजिए और एम.एन. शर्मा की अंतिम इच्छा

Wednesday, Nov 02, 2016 - 09:02 AM (IST)

चंडीगढ़ (विजय) : चंडीगढ़ को डिजाइन करने वाले फे्रंच आर्कीटैक्ट ली-कार्बूजिए और शहर के पहले चीफ आर्कीटैक्ट एम.एन. शर्मा के सपने जीते जी जो पूरे नहीं हो पाए अब चंडीगढ़ प्रशासन उन्हें पूरा करने के लिए पहल शुरू करने जा रहा है। हालांकि पूरा प्रोसैस बहुत लंबा है तो इसमें कम से कम 5 साल तक लग सकते हैं मगर एक कदम आगे बढ़ते हुए प्रशासन ने यह मान लिया है कि कैपीटल काम्पलैक्स में गवर्नर पैलेस और म्यूजियम ऑफ नॉलेज को जगह मिलनी चाहिए। यही वजह है कि कैपीटल काम्पलैक्स की संरक्षण के लिए जो प्लान प्रशासन की ओर से तैयार किया गया है उसमें पैलेस और म्यूजियम को भी जगह दी गई है। 

दरअसल, ली-कार्बूजिए ने जब कैपीटल काम्पलैक्स का डिजाइन तैयार किया था उसमें पैलेस और म्यूजियम को भी तैयार किया था। मगर आज तक इन्हें पूरा नहीं किया जा सका है। ली-कार्बूजिए ने भी इच्छा जाहिर की थी कि काम्पलैक्स को पूरा करने के लिए यहां पैलेस और म्यूजियम भी होना चाहिए। इसके बाद पिछले महीने जब चंडीगढ़ के प्रशासक वी.पी. सिंह बदनौर एम.एन. शर्मा से मिलने उनके निवास स्थान में गए थे तो उन्होंने भी यही इच्छा जाहिर की थी। अब जबकि शर्मा के निधन को दो दिन हो चुके हैं, प्रशासन तैयारी कर रहा है कि पैलेस और म्यूजियम को बनाने के लिए प्रयास शुरू किए जांए।

 

संरक्षण की ड्राइंग तैयार
भविष्य में कैपीटल काम्पलैक्स को अगर हैरीटेज स्टेटस मिल जाता है तो चंडीगढ़ प्रशासन इसके संरक्षण के लिए क्या प्रयास करेगा? इस साल जुलाई में कैपीटल काम्पलैक्स को हैरीटेज स्टेटस देने से पहले यूनेस्को ने यही सवाल चंडीगढ़ प्रशासन के अधिकारियों के सामने उठाया था। जिस पर कई महीनों की मशक्कत और सर्वे के बाद अब प्रशासन कैपीटल काम्पलैक्स की संरक्षण की प्लानिंग के साथ तैयार है। संरक्षण की बकायदा ड्राइंग भी तैयार कर ली गई है। इस पूरी प्लानिंग को वास्तविक रूप देने के लिए चंडीगढ़ प्रशासन द्वारा जल्द ही कंजर्वेशन आर्कीटैक्ट भी अप्वाइंट किया जाएगा। 

 

9 नवम्बर को फाइनल होगी एजैंसी

रिस्टोरेशन का काम इतना अहम है कि इस पर प्रशासन कोई भी गलती करने का जोखिम नहीं उठाना चाहता है। यही वजह है कि अब प्रशासन ने एजैंसी को फाइनल करने के लिए टैंडर 9 नवम्बर को खोलने का फैसला लिया है। इससे पहले 2 नवम्बर को टैंडर खोले जाने थे। लेकिन प्रशासनिक कारण बताते हुए अब यह तारीख आगे बढ़ा दी गई है। 

 

डिसेबल फ्रेंडली बनाने पर भी फोकस
इस साल प्रशासन ने सर्वे करवाकर जिन 44 जगहों को डिसेबल फ्रेंडली न होने की सूचि में शामिल किया था उनमें कैपीटल काम्पलैक्स भी शामिल था। यही वजह है कि अब कैपीटल काम्पलैक्स को डिसेबल फ्रेंडली बनाने के लिए भी प्रशासन ने काम करना शुरू कर दिया है। जिसके तहत काम्पलैक्स के भीतर और बाहर कुछ बदलाव किए जाने की तैयारी है। 

 

इसलिए पड़ी जरूरत
कैपीटल काम्पलैक्स के अंतर्गत प्रशासनिक, विधायी और न्यायतंत्र के हेडक्वार्टर आते हैं। जो कि पंजाब और हरियाणा का प्रतिनिधित्व करते हैं। यही वजह है कि रोजाना यहां हजारों की संख्या में टूरिस्ट, स्टाफ और विजिटर्स पहुंचते हैं। बढ़ती मांग और लिमिटेड स्पेस की वजह से यहां कुछ बदलाव की भी जरूरत आ रही है। यही वजह है कि काम्पलैक्स के तहत आने वाली इन तीनों बिल्डिंग्स के सरंक्षण पर अधिक फोकस दिए जाने की बात कही गई है। हालांकि मैनेजमेंट प्लान के लिए प्रशासन ने पहले ही एक पॉलिसी तैयार कर रखी है।

 

छह देशों से लेनी होगी परमीशन
कैपीटल काम्पलैक्स को युनाइटिड नेशंस एजूकेशनल, साइंटीफिक एंड कल्चरल ऑर्गनाइजेशन (यूनोस्को) ने हैरीटेज स्टेटस का दर्जा दिलाने के लिए भारत ने छह अन्य देशों के साथ मिलकर ट्रांस-कांटिनैंटल सीरियल नॉमिनेशन फाइल की थी। जिनमें फ्रांस, स्वीटजरलैंड, बैल्जियम, जर्मनी, अर्जेंटीना और जापान के नाम भी शामिल थे। अब प्रशासन को अगर कैपिटल काम्पलैक्स में कुछ भी बदलाव करना होगा तो पहले इन सभी साथी देशों से भी परमीशन लेनी होगी। अधिकारियों की मानें तो इसमें काफी समय लग सकता है। 

 

शर्मा नहीं देख पाए हैरीटेज बिल्डिंग
जब से कैपीटल काम्पलैक्स को हैरीटेज स्टेटस मिला है तब से एम.एन. शर्मा चाहते थे कि एक बार वह नए रूप में तैयार की गई इस विश्व धरोहर को देख सकें, लेकिन उनकी यह अंतिम इच्छा भी पूरी नहीं हो सकी। एम.एन. शर्मा आर्कीटैक्चरल सोसायटी की महासचिव योजना रावत ने बताया कि शर्मा चाहते थे कि रैनोवेटिड कैपीटल काम्पलैक्स को वहां जाकर देख सकें, लेकिन उनका स्वास्थ्य खराब रहने की वजह से वह ऐसा नहीं कर पाए। जब उन्होंने शर्मा को रैनेवोशन के बाद वाले कैपीटल काम्पलैक्स की कुछ तसवीरें दिखाई तो उन्हें देखकर वह काफी खुश हुए। जिसके बाद उन्होंने इच्छा जाहिर की कि एक बार वह अपने सामने काम्पलैक्स की बिल्डिंग्स को देखना चाहते हैं। इस बारे में प्रशासनिक अधिकारियों को भी सूचित किया गया कि उनकी विजिट का प्रबंध करवाया जाए, लेकिन ऐसा हो नहीं पाया।
 

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