जब आपातकाल के कारण मरे गब्बर सिंह को फिर किया गया जिंदा

Tuesday, Jun 26, 2018 - 01:43 PM (IST)

नेशनल डेस्कः 25 जून, 1975 की आधी रात को आपातकाल की घोषणा की गई जिससे पूरे देश पर इसका असर पड़ा। राजनीतिक से लेकर फिल्मी जगत तक के लोग इससे प्रभावित हुए।  26 जून की सुबह समूचे देश ने रेडियो पर पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की आवाज में संदेश सुना कि भाइयों और बहनों, राष्ट्रपति फखरुद्दीन अली अहमद जी ने आपातकाल की घोषणा की है लेकिन इससे सामान्य लोगों को डरने की जरूरत नहीं है। हालांकि इंदिरा के शब्द की डरने की जरूरत नहीं सिर्फ शब्द ही साबित हुए। आपातकाल के कारण देश एक खौफ में आ गया।  

बदला शोले फिल्म का क्लाइमेक्स
आपातकाल का असर फिल्मों पर भी पड़ा। इससे  कई निर्माताओं और कलाकारों को भारी नुकसान झेलना पड़ा। फिल्मों के प्रिंट स्क्रीन तक जला दिए गए थे। 15 अगस्त 1975 को रिलीज हुई अमिताभ बच्चन, धर्मेंद्र, संजीव कुमार, जया बच्चन और हेमा मालिनी की स्टारकास्ट से सजी फिल्म शोले ब्लॉकबस्टर साबित हुई थी। शोले मूवी को भी आपातकाल की मार झेलनी पड़ी थी।

फिल्म के डायरेक्टर रमेश सिप्पी खुद कई मौकों पर इस बात का खुलासा कर चुके हैं कि इमरजेंसी के दौरान उनकी फिल्म को प्रभावित किया गया और इसमें दखलअंदाजी की गई। सेंसर ने फिल्म के क्लाइमैक्स पर आपत्ति जताई थी जिसमें ठाकुर अपने नुकीले जूतों से गब्बर को मार देता है। सेंसर ने इस सीन पर कानून का हवाला दिया, जिसके बाद 26 दिनों के अंदर फिर से क्लाइमेक्स को शूट किया गया और गब्बर को कानून के हवाले कर दिया गया।

Seema Sharma

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