contracts के भरोसे चल रही ज्यौडिय़ां की म्यूनिसिपल कमेटी

Friday, Apr 24, 2020 - 01:33 PM (IST)

ज्यौडिय़ां (अरुण): वैश्विक महामारी कोरोना के खिलाफ जारी युद्ध के अग्रणी भूमिका निभाने वाले सफाई कर्मचारियों को देश के विभिन्न हिस्सों में लोगों द्वारा फूल मालाएं पहनाकर सम्मानित किए जाने के समाचार इन योद्धाओं के प्रति देशवासियों की कृतज्ञता का प्रदर्शन जरूर करते हैं परन्तु इस सब के बीच बेहद कठिन परिस्थितियों में कार्य करने वाले इन लोगों को दरपेश समस्याओं की ओर ध्यान देना भी समाज का दायित्व है जिसकी तरफ कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा। मौजूदा हालात में दिन रात कार्यरत ज्यौडिय़ां मुनिसिपल कमेटी की बात करें तो यह कहना बिल्कुल गलत नहीं होगा कि कमेटी का सारा कार्यभार नाम-मात्र का वेतन पाने वाले कर्मचारियों के कंधों के सहारे चल रहा है।

 

कोराना जैसी महामारी के फैलाव को रोकने के लिए दीवार बनकर खड़े कमेटी के 16 में से 9 अस्थाई सफाई कर्मचारियों को वेतन के नाम पर केवल छह से सात हजार रुपए का भुगतान किया जाता है जबकि उनके समकक्ष स्थाई कर्मचारी 25 से तीस हजार का वेतन हासिल करने रहे हैं। गत 16 वर्षों से कस्बे की गलियों-नालियों की साफ-सफाई के अलावा वर्तमान में कोरोना के विरुद्ध जंग में सैनिटाईजेशन समेत अन्य सभी प्रकार के कार्यों को अंजाम देने वाले बाहरी क्षेत्रों के मूल निवासी यह कर्मी इतने कम वेतन में घर के किराए के अलावा अपने रोजमर्रा के अन्य खर्च चलाने पर विवश हैं। इसके अलावा कमेटी में डाटा ऑप्रेटर एवं ड्राईवर समेत अन्य कई पदों के लिए भी 6 दस हजार रुपए की अनुबंध नियुक्तियों के सहारे ही काम चलाया जा रहा है।

 

स्थानीय स्वयंसेवी कपिल सलारिया का कहना है कि बराबरी के स्तर पर जी-तोड़ मेहनत करने वाले इन सफाई कर्मचारियों के वेतन में स्थाई अथवा अस्थाई के नाम पर भेदभाव किए जाने को किसी भी तरह से जायज नहीं ठहराया जा सकता। सलारिया के अनुसार कुछ समय पहले कमेटी द्वारा विधिवत रूप से एक प्रस्ताव पारित कर राज्य प्रशासन से इस संबंध में कार्रवाही करने का अनुरोध किया गया था जिस का अभी तक संज्ञान नहीं लिया गया है।

Monika Jamwal

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