हेडली का दावा, लश्कर की आत्मघाती हमलावर थी इशरत जहां

Thursday, Feb 11, 2016 - 04:46 PM (IST)

मुंबई: पाकिस्तानी-अमेरिकी आतंकवादी डेविड कोलमैन हेडली ने एक अहम दावा करते हुए आज कहा कि गुजरात में वर्ष 2004 में हुई कथित फर्जी मुठभेड़ में मारी गई इशरत जहां वास्तव में लश्कर ए तैयबा आतंकवादी संगठन की एक आत्मघाती हमलावर थी। इस खुलासे से विवादास्पद मुठभेड़ को लेकर नया विवाद पैदा होने की संभावना है। हेडली ने अमेरिका से वीडियो लिंक के जरिए गवाही देते हुए 19 वर्षीय लड़की के बारे में खुलासा किया। जब विशेष सरकारी अभियोजक उज्ज्वल निकम ने हेडली से उस ‘‘असफल अभियान’’ के बारे में जिरह की जिसका जिक्र लश्कर कमांडर जकीउर रहमान लखवी ने हेडली से किया था, तो हेडलीने  इशरत का नाम लिया। 
 

हेडली ने अदालत को बताया कि लखवी ने उससे लश्कर के एक अन्य आतंकवादी मुजम्मिल बट्ट के भारत में उस ‘‘असफल अभियान’’ का जिक्र किया था जिसमें आतंकवादी संगठन की एक महिला सदस्य मारी गई थी।   इस अभियान और उसमें शामिल सदस्यों के बारे में विस्तार से जानकारी देने के लिए निकम के जोर देने पर हेडली ने कहा, ‘‘:मुझे बताया गया था कि पुलिस के साथ मुठभेड़ हुई थी जिसमें एक इशरत आत्मघाती हमलावर मारी गई थी।’’  इसके बाद अभियोजक ने तीन नाम लिए जिनमें से हेडली ने इशरत के नाम को चुना। इससे पहले उसने अदालत को बताया कि ‘‘लश्कर में एक महिला शाखा है और किसी अबु एेमन की मां इसकी अध्यक्ष थी।’’ 

इशरत जहां, जावेद शेख उर्फ प्राणेश पिल्लई, अमजद अली अकबर अली राणा और जीशान जौहर 15 जून 2004 को अहमदाबाद के बाहरी इलाके में गुजरात पुलिस के साथ मुठभेड़ में मारे गए थे। उस समय शहर अपराध शाखा ने कहा था कि मुठभेड़ में मारे गए लोग लश्कर के आतंकवादी थे और वे तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी की हत्या करने के लिए गुजरात आए थे। गुजरात उच्च न्यायालय द्वारा नियुक्त विशेष जांच दल (एसआईटी) से जांच अपने हाथ में लेने वाली सीबीआई ने अगस्त 2013 में आरोप पत्र दायर करते हुए कहा था कि मुठभेड़ फर्जी थी और यह शहर अपराध शाखा एवं खुफिया ब्यूरो की अनुषंगी इकाई (एसआईबी) ने संयुक्त अभियान के तहत की थी।


पहले मुजिम्मल बट्ट था हेडली के समूह का प्रमुख

26/11 मामले में हाल में सरकारी गवाह बने 55 वर्षीय हेडली ने और खुलासे करते हुए अदालत को बताया कि साजिद मीर से पहले लश्कर का आतंकवादी मुजिम्मल बट्ट हेडली के समूह का प्रमुख था। उसने अदालत को बताया कि एक व्यक्ति ने मुजिम्मल से उसका परिचय कराया था। उसने मुजिम्मल से उसका परिचय कराने वाले व्यक्ति की पहचान अबु दुजुना के रूप में की। हेडली ने बताया कि वह और मुजिम्मल भारतीय सैन्य बलों के खिलाफ लडऩे के लिए एक बार कश्मीर गए थे।

तहव्वुर राणा करता था आर्थिक मदद
दिन में इससे पहले हेडली ने यह खुलासा किया कि किस प्रकार आईएसआई और लश्कर ए तैयबा ने भारत में आतंकवादी अभियानों को बड़े स्तर पर वित्तीय मदद दी और किस प्रकार उसे समय-समय पर धन मुहैया कराया। उसने पाकिस्तानी नागरिक तहव्वुर राणा के आतंकवादी हमलों से पहले मुंबई आने का भी खुलासा किया। मुंबई में नवंबर 2008 में हुए आतंकवादी हमलों में 166 लोगों की मौत हो गई थी और 309 लोग घायल हो गए थे।


RBI ने नहीं खोला था हेडली का बैंक अकाउंट
 हेडली ने बताया कि भारतीय रिजर्व बैंक ने भारत में उनके कार्यालय के लिए एक बैंक खाता खोलने के उसके अनुरोध को ठुकरा दिया था। हेडली ने उसे मिली वित्तीय मदद की जानकारी देते हुए कहा, ‘‘ उसे सितंबर 2006 में भारत आने से पहले आईएसआई के मेजर इकबाल ने 25,000 डॉलर दिए थे।’’  हेडली ने बताया कि मेजर इकबाल उसे किस्तों में नियमित रूप से धन भेजा करता था। उसने अदालत से कहा, ‘‘ मुझे अप्रैल और जून 2008 के बीच लश्कर के सदस्य साजिद मीर से 40,000 पाकिस्तानी रुपए भी मिले थे।’’ 
 

हेडली ने बताया कि मेजर इकबाल ने उसे वर्ष 2008 में एक या दो बार जाली भारतीय मुद्रा भी दी थी। उसने बताया कि इसके अलावा आईएसआई के ही अब्दुल रहमान पाशा ने भी उसे 80,000 रुपए दिए थे। हेडली ने अदालत से कहा, ‘‘जब मैं सितंबर 2006 में लश्कर के निर्देश पर खुफिया काम करने भारत आया था तब तहव्वुर राणा हेडली का सहयोगी एवं शिकागो में आव्रजन का कारोबार करने वाला पाकिस्तानी नागरिक: मुझे अमेरिका से धन भेजा करता था।’’  

मुंबई के एसी मार्केट में खोला था दफ्तर
मुंबई हमलों के मामले के सरकारी गवाह 55 वर्षीय आतंकवादी ने कहा, ‘‘भारत में कार्यालय खोलने का विचार मेरा था। यह मेरी असली पहचान छुपाने का हिस्सा था। मैंने इस बारे में मेजर इकबाल और साजिद मीर से बात की थी और उन दोनों ने इस बात पर सहमति जताई थी।’’  उसने कहा, ‘‘ मैंने राणा को यह भी बताया था कि मेजर इकबाल ने मुझसे भारत में खुफिया काम करने को कहा है। इकबाल ने मुझसे कहा था कि यदि राणा इससे जुडऩे से इनकार करता है तो हेडली को राणा में पाकिस्तान के प्रति देशभक्ति की भावना को जगाना चाहिए।’’ हेडली ने कहा, ‘‘ लेकिन राणा ने इनकार नहीं किया और वह मेरे भारत जाने पर आसानी से सहमत हो गया।’’ 

हेडली ने यह भी खुलासा किया कि राणा आतंकवादी हमलों से पहले मुंबई आया था।  उसने अदालत से कहा, ‘‘मैंने राणा को हमलों से पहले भारत छोड़कर जाने की सलाह दी क्योंकि मुझे डर था कि उसे खतरा होगा।’’ हेडली ने यह भी खुलासा किया कि राणा ने (शिकागो में एक आव्रजन कानून केंद्र चलाने वाले) रेमंड सैंडर्स से भारत में उनके कार्यालय के लिए एक बैंक खाता खोलने के लिए आरबीआई को एक आवेदन देने को कहा था।

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