मुखर्जी-भागवत मिलन नए समाज के निर्माण में होगा सहयोगी सिद्ध !

Sunday, Jun 10, 2018 - 01:20 PM (IST)

नेशनल डेस्क: संसार में प्रत्येक व्यक्ति का जीवन संचालन ग्रहों द्वारा होता है और जन्म के समय स्थित ग्रहों के आधार पर सुख-दुख के योग बनते हैं। जो भाग्य में होता है वह खुद-ब-खुद मिल जाता है। 7 जून, 2018 को नागपुर में संघ के एक कार्यक्रम में पूर्व राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी के भाग लेने पर विवाद छिड़ गया है। ज्योतिष की दृष्टि से आने वाली घटनाओं को देखा जा सकता है। नारनौल के भविष्यदृष्टा पंडित अशोक प्रेमी बंसरीवाला ने प्रणव मुखर्जी व मोहन भागवत की जन्म कुंडलियों का विश्लेषण करने के बाद कहा है कि दोनों का मिलन एक-दूसरे के लिए प्रेरणादायक व उपलब्धिपूर्ण सिद्ध होगा।

प्रणव मुखर्जी का जन्म 11 दिसम्बर, 1935 में तथा संघ प्रमुख मोहन भागवत का जन्म 11 सितम्बर, 1950 को हुआ। अंक विद्या के अनुसार दोनों का मूलांक 2 बनता है। वृश्चिक तथा सिंह लग्र में जन्मे व्यक्तियों की दोस्ती परवान चढ़ती है और लग्र पर सूर्य, बुध, गुरु तीन ग्रहों की युती को गज केसरी योग कहते हैं। मुखर्जी की कुंडली में ऐसा योग बनने से व्यक्ति बहुमुखी प्रतिभाशाली व्यक्तित्व का धनी होता है तथा इस योग में जन्म लेने के कारण उसका दिमाग बहुत तेज होता है। अपने कुशल नेतृत्व तथा अच्छी सलाह के कारण वह असंभव कार्य को भी संभव बना देता है। 

वर्तमान में मुखर्जी की गोचर दशा तिगरी होने के कारण अशुभ प्रभाव में है जिस कारण उन्हें गृह क्लेश का सामना करना पड़ेगा तथा स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं से गुजरना पड़ेगा। दूसरी तरफ भागवत की जन्मपत्री में सूर्य, शनि, चंद्रमा और शुक्र की युती होने तथा लग्र पर बृहस्पति की सप्तम दृष्टि होने के कारण गज केसरी योग का निर्माण होता है, ऐसा जातक राजाओं का राजा मठाधीश होता है, लाखों दिलों की धड़कन होता है। जब ऐसे दो महापुरुष मिलते हैं तो नए समाज का निर्माण होता है और देश-दुनिया में सामाजिक, राजनीतिक क्षेत्रों में इनके नाम का डंका बजता है और यह ग्रह योग एक राजयोग का निर्माण करता है। इनके मिलन का चमत्कार आगामी दिनों में देखने को मिलेगा जिसके दूरगामी परिणाम होंगे। ज्योतिष की दृष्टि से दोनों का मिलन विशेष उपलब्धिपूर्ण सिद्ध होगा।

 

vasudha

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