ताजमहल और बुलंद दरवाजे की जगह बच्चे जानेंगे बोफोर्स का इतिहास, मुगलों की गाथाएं दफन

Monday, Aug 07, 2017 - 05:56 PM (IST)

मुंबई: महाराष्ट्र में इतिहास की पाठ्यपुस्तकों से मुगलों का इतिहास गायब कर दिया गया है। पिछले दिनों राज्य शिक्षा बोर्ड ने सातवीं और नौवीं क्लास के लिए इतिहास की संशोधित टेक्स्टबुक्स को प्रकाशित किया है, जिसमें शिवाजी महाराज द्वारा स्थापित मराठा साम्राज्य पर मुख्य रूप से जोर दिया गया है।

संशोधित संस्करण में इन शासकों द्वारा बनाए गए स्मारकों जैसे ताज महल, कुतुब मिनार और लाल किला का भी जिक्र नहीं किया गया है। नौवीं क्लास के लिए संशोधित पुस्तकों में बोफोर्स घोटाला और 1975-1977 के आपातकाल का जिक्र किया गया है।
 

संशोधित पुस्तकों की इतिहास विषय कमिटी के एक सदस्य बापू साहब शिंदे ने बताया कि पिछले साल राज्य के शिक्षा मंत्री विनोद तावड़े ने रामभाऊ म्हालगी प्रबोधिनी में एक मीटिंग की थी। इसमें इतिहास विषय को अपडेट करने और इसमें आधुनिक घटनाक्रमों को शामिल करने की जरूरत महसूस की। रामभाऊ म्हालगी प्रबोधिनी एक थिंक टैंक है जिसे आरएसएस ने प्रमोट किया है। मुगल इतिहास को कम कर दिया गया है। आधुनिक इतिहास को शामिल करना जरूरी है।
 

सातवीं क्लास की पुस्तक में 9वीं सदी से लेकर 18वीं सदी तक के इतिहास को समेटा गया है। इसमें अकबर के शासनकाल को बस तीन लाइनों में सिमटा दिया गया है। इसमें लिखा है, 'अकबर मुशल वंश का सबसे शक्तिशाली राजा था। जब उसने भारत को एक केंद्रीय सत्ता के अधीन लाने की कोशिश की तो उसे कड़े विरोध का सामना करना पड़ा।

महाराणा प्रताप, चांद बीबी और रानी दुर्गावती ने उनके खिलाफ संघर्ष किया। उनका संघर्ष उल्लेखनीय है।' इस पुस्तक में रुपए का भी उल्लेख नहीं है जिसे अफगान आक्रांताओं ने जारी किया था जो अब तक प्रचलन में है।
 

मौजूदा पुस्तक में दिल्ली में शासन करने वाली पहली महिला रजिया सुल्ताना, मुहम्मद बिन तुगलक के दिल्ली से दौलताबाद (मौजूदा मराठावाड़ा) में राजधानी शिफ्ट करने और विमुद्रीकरण पहल एवं भारत से हुमायूं को भागने को मजबूर करने वाले शेर शाह सूरी से संबंधित पैराग्राफ को भी हटा दिया गया है।

Advertising