एम.पी. लैड फंड बंद होने से विपक्षी सांसद खफा, सत्ता पक्ष ने किया स्वागत

Monday, Apr 06, 2020 - 10:01 PM (IST)

जालंधर (नरेश): कोरोना वायरस से निपटने के लिए सरकार द्वारा उठाए जा रहे कदमों के तहत केंद्रीय कैबिनेट द्वारा देश के सांसदों की सांसद निधि को 2 साल के लिए निलंबित किए जाने के फैसले पर लोकसभा और राज्यसभा के सांसदों ने मिलीजुली प्रतिक्रिया दी है। एक तरफ जहां विपक्ष के सांसद सरकार के इस फैसले को न्यायसंगत न होना बता रहे हैं वहीं दूसरी तरफ सत्ता पक्ष के सांसद संकट की घड़ी में उठाए गए इस फैसले की तारीफ कर रहे हैं।
 
हमें तो जनता को जवाब देने के काबिल नहीं छोड़ा : भगवंत
संगरूर से आम आदमी पार्टी के लोकसभा मैंबर भगवंत मान ने कहा कि वह हर साल अपने हलके के लोगों को सरकार से मिले पैसे का हिसाब देता हूं लेकिन अब मैं हलके के लोगों को हिसाब देने के काबिल नहीं रहूंगा क्योंकि मुझे 2 साल तक सरकार से कुछ नहीं मिलेगा। बतौर सांसद मैं भी संकट को समझता हूं और इस संकट का समाधान भी जरूरी है लेकिन यदि सरकार सांसद निधि बंद करने की बजाय इसका इस्तेमाल सिर्फ स्वास्थ्य के क्षेत्र में करने की शर्त लगा देती तो मैं अपने हलके में स्वास्थ्य सुविधाओं को ही विकसित कर देता और अपने इलाके में कोरोना के पीड़ितों के लिए बेहतर सुविधाएं मुहैया करवा देता लेकिन सरकार ने 2 साल के लिए सांसद निधि बंद करके सांसदों को निहत्था कर दिया है।
 
लुधियाना का पैसा लुधियाना के लोगों को कैसे मिलेगा : बिट्टू
सरकार द्वारा सांसदों के वेतन में 30 फीसदी की कमी किए जाने के फैसले का मैं तहे दिल से स्वागत करता हूं लेकिन सांसदनिधि में 2 साल की कटौती से सांसद मायूस हैं। यह सारा पैसा कंसोलिडेटिड फंड आफ इंडिया में जाएगा और इस पर सरकार का नियंत्रण हो जाएगा। ऐसे में लुधियाना के लोगों को उनके हक का पैसा कैसे मिल पाएगा। मुझे लगता है कि सरकार यदि यह पैसा कोरोना नियंत्रण पर ही खर्च करना चाहती है तो सांसद निधि का पैसा उसके हलके में कोरोना के नियंत्रण पर खर्च किया जाए। इसमें मैडीकल सुविधाओं के अलावा कोरोना की दवाएं और आधारभूत ढांचा तैयार करने पर पैसा खर्च किया जा सकता है लेकिन सांसद निधि को बंद करना सही नहीं है।


रकार की कोई मजबूरी रही होगी : नरेश गुजराल
अकाली दल के राज्यसभा सदस्य नरेश गुजराल ने कहा कि देश इस समय कोरोना के संकट से गुजर रहा है और सरकार इस पर नियंत्रण करने के लिए हरसंभव प्रयास कर रही है। इसके लिए बहुत सारे फंड की भी जरूरत है। लिहाजा सरकार ने सांसदों की निधि बंद करके पैसे का जुगाड़ किया है। मैं समझ सकता हूं कि सरकार के सामने सिर्फ कोरोना वायरस का संकट नहीं है बल्कि उसे देश की अर्थव्यवस्था का भी ध्यान रखना है। सरकार को फिस्कल बैलेंस बनाकर चलना है ताकि इसके बिगडऩे पर महंगाई की मार आम आदमी पर न पड़े। हालांकि कुछ फैसले कठिन होते हैं लेकिन मुझे लगता है कि सरकार को इस वक्त जो सही लग रहा है वह वही कर रही है।

प्रधानमंत्री मोदी का फैसला सही : रामस्वरूप
मंडी से भाजपा के लोकसभा सांसद रामस्वरूप शर्मा ने केंद्रीय कैबिनेट द्वारा सांसदों के वेतन में 30 फीसदी की कटौती और एम.पी. लैड फंड को 2 साल के लिए बंद किए जाने के फैसले का स्वागत करते हुए कहा कि देश के सामने आई कोरोना वायरस की इस गंभीर बीमारी का मुकाबला करने के लिए वह अपने वेतन में से अंशदान देकर खुश हैं और यह उनका सौभाग्य है कि उन्हें इस मामले में कुछ करने का अवसर मिल रहा है। इसके साथ ही यह मंडी की जनता का भी सौभाग्य है कि मंडी के लोगों के हिस्से का एम.पी. लैड फंड देश में कोरोना के संकट से निपटने के लिए इस्तेमाल किया जाएगा।


सरकार एम.पी. लैड फंड के जरिए हर सांसद को एक साल में 5 करोड़ की राशि आबंटित करती है और इस राशि के जरिए सांसद अपने हलके में विकास कार्य करवाते हैं। इनमें से अधिकतर पैसा शिक्षा और स्वास्थ्य के क्षेत्र में इस्तेमाल किया जाता है और इस्तेमाल किए गए पैसे का युटीलाइजेशन सर्टीफिकेट संसद के सचिवालय में जमा करवाना होता है। इसी फंड के चलते जनता में सांसद की साख होती है और आम लोग व पार्टी कार्यकर्ता सांसदों को अपने हलके के कार्यक्रमों पर आमंत्रित करते हैं ताकि उन्हें फंड में से राशि आबंटित हो सके। लेकिन फंड के निलंबित होने के बाद अब सांसदों के पास वित्तीय अधिकार नहीं बचेंगे और इससे उनके राजनीतिक जीवन के साथ-साथ सामाजिक जीवन पर भी असर पड़ सकता है।

shukdev

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