7 दिन की देरी के बाद आखिरकार केरल में मानसून ने दी दस्तक, अब इन राज्यों की तरफ बढ़ रहा आगे

Thursday, Jun 08, 2023 - 02:44 PM (IST)

नेशनल डेस्क: दक्षिण पश्चिम मानसून ने अपने सामान्य समय से एक सप्ताह के विलंब के बाद गुरुवार को भारत में दस्तक दे दी। भारत मौसम विज्ञान विभाग (IMD) ने मानसून के केरल आगमन की घोषणा की है। मौसम विज्ञानियों ने इससे पहले कहा था कि चक्रवात ‘बिपरजॉय' मानसून को प्रभावित कर रहा है और केरल में इसका शुरुआत ‘‘मामूली'' होगी। IMD ने गुरुवार को एक बयान में कहा, ‘‘दक्षिण पश्चिम मानसून आज 8 जून को केरल पहुंच गया।'' बयान में कहा गया है, ‘‘मानसून दक्षिण अरब सागर के शेष हिस्सों और मध्य अरब सागर के कुछ हिस्सों तथा समूचे लक्षद्वीप क्षेत्र, केरल के अधिकतर क्षेत्र, दक्षिण तमिलनाडु के अधिकतर हिस्सों, कोमोरिन क्षेत्र के शेष हिस्सों, मन्नार की खाड़ी और दक्षिण पश्चिम, मध्य एवं उत्तर पूर्व बंगाल की खाड़ी के कुछ हिस्सों की ओर बढ़ रहा है।'' 

 

मानसून में 7 दिन की देरी

दक्षिण पश्चिम मानसून आम तौर पर केरल में एक जून तक पहुंच जाता है और सामान्यत: एक जून से करीब सात दिन पहले या बाद में यह पहुंचता है। मई के मध्य में आईएमडी ने कहा था कि मानसून केरल में चार जून के आसपास पहुंच सकता है। निजी मौसम पूर्वानुमान केंद्र ‘स्काईमेट' ने केरल में सात जून को मानसून के आगमन का अनुमान जताया था और कहा था कि मानसून 7 जून से तीन दिन आगे पीछे आ सकता है। IMD के आंकड़ों के अनुसार, पिछले 150 वर्षों में केरल में मानसून की शुरुआत की तारीख भिन्न रही है, जो 1918 में समय से काफी पहले 11 मई को और 1972 में सबसे देरी से 18 जून को आया था। दक्षिण-पश्चिम मानसून पिछले साल 29 मई को, 2021 में तीन जून को, 2020 में एक जून, 2019 में आठ जून और 2018 में 29 मई को केरल पहुंचा था। 

 

उत्तर भारत में सामान्य बारिश की संभावना

शोध से पता चलता है कि केरल में मानसून के आगमन में देरी का मतलब यह नहीं है कि उत्तर पश्चिम भारत में मानसून की शुरुआत में देरी होगी। हालांकि, केरल में मानसून के आगमन में देरी आम तौर पर दक्षिणी राज्यों और मुंबई में मानसून की शुरुआत में देरी से जुड़ी होती है। वैज्ञानिकों का कहना है कि केरल में मानसून के आगमन में देरी भी इस मौसम के दौरान देश में कुल वर्षा को प्रभावित नहीं करती। IMD ने पहले कहा था कि ‘अलनीनो' की स्थिति विकसित होने के बावजूद दक्षिण-पश्चिम मानसून के मौसम में भारत में सामान्य बारिश होने की उम्मीद है। उत्तर पश्चिम भारत में सामान्य या उससे कम बारिश होने की उम्मीद है।

 

पूर्व और उत्तर पूर्व, मध्य और दक्षिण प्रायद्वीप में इस दौरान औसत की 94 से 106 प्रतिशत सामान्य वर्षा होने की उम्मीद है। मानसून की अवधि के दौरान औसत के 90 प्रतिशत से कम बारिश को ‘वर्षा में कमी' माना जाता है, 90 फीसदी से 95 फीसदी के बीच बारिश को ‘सामान्य से कम वर्षा', 105 फीसदी से 110 फीसदी के बीच होने वाली बारिश को ‘सामान्य से अधिक वर्षा' और 100 फीसदी से ज्यादा होने वाली बारिश को ‘अत्यधिक वर्षा' माना जाता है। भारत के कृषि परिदृश्य के लिए सामान्य वर्षा महत्वपूर्ण है। कुल कृषि क्षेत्र का 52 प्रतिशत वर्षा पर निर्भर है। यह देश भर में बिजली उत्पादन के अलावा पीने के पानी के लिए महत्वपूर्ण जलाशयों को फिर से भरने के लिए भी अहम है। देश के कुल खाद्यान्न उत्पादन में वर्षा आधारित कृषि का लगभग 40 प्रतिशत योगदान है, जो इसे भारत की खाद्य सुरक्षा और आर्थिक स्थिरता में महत्वपूर्ण योगदान देता है। 

Seema Sharma

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