मोहन भागवत ने कई मुद्दों पर मोदी सरकार को दी नसीहत, संघ और भाजपा के रिश्तों पर उठने लगे सवाल

punjabkesari.in Wednesday, Jun 12, 2024 - 09:33 AM (IST)

नेशनल डेस्क: राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आर.एस.एस.) प्रमुख मोहन भागवत ने संघ  के कार्यकर्ता विकास वर्ग द्वितीय वर्ष के समापन समारोह में ऐसी बातों का खुलासा किया है, जिससे भाजपा और संघ के बीच तालमेल को लेकर एक बार फिर सवाल खड़े हो गए हैं। भागवत ने बिना नाम लिए मणिपुर हिंसा को लेकर केंद्र की मोदी सरकार पर निशाना साधा है और कहा है कि मणिपुर पिछले एक साल से शांति की राह देख रहा है। प्राथमिकता के साथ उसका विचार करना होगा। वह यहीं नहीं रुके उन्होंने कहा कि हाल ही में हुए लोकसभा चुनावों का युद्ध की तरह लड़ा गया। भागवत ने कहा कि जिस तरह से चुनाव में चीजें हुई हैं, उससे विभाजन होगा, सामाजिक और मानसिक दरारें बढ़ेंगी। संघ प्रमुख ने कहा कि  सभी धर्मों का सम्मान करना होगा। सभी की पूजा का सम्मान करना है, ये मान कर चलना है कि हमारे जैसा उनका धर्म भी सच्चा है। भागवत के इन सब खुलासों के बाद मामले से जुड़े जानकारों का कहना है कि भाजपा और संघ के रिश्तों में कहीं न कहीं तनाव नजर आता है और संघ कई मुद्दों पर नाराज दिखाई देता है।  

क्या मणिपुर में भाजपा बदलेगी नेतृत्व
भागवत ने कहा कि एक साल से मणिपुर शांति की राह देख रहा है। इससे पहले 10 साल शांत रहा। पुराना गन कल्चर समाप्त हो गया, ऐसा लगा। और अचानक जो कलह वहां पर उपजा या उपजाया गया, उसकी आग में अभी तक जल रहा है, त्राहि-त्राहि कर रहा है। इस पर कौन ध्यान देगा? प्राथमिकता देकर उसका विचार करना यह कर्तव्य है। उनके इस बयान के कई मतलब मायने निकाले जा रहे हैं। अब बदले राजनीतिक परिदृश्य में भाजपा पर टिकी है। सवाल यह है कि अगर संघ नाराज है तो मणिपुर में भाजपा नेतृत्व बदलेगी?

मई 2023 से मणिपुर में दस साल की शांति के बाद हिंसा शुरू हुई थी। कुकी और मैतेई समुदाय के बीच हिंसा में अब तक 226 से अधिक लोगों को जान गंवानी पड़ी। पांच हजार से ज्यादा घर जलाए गए और 60 हजार से अधिक लोग बेघर हो गए। राज्य में 5000 घंटे इंटरनेट बंद रहा। असम के कछार और मिजोरम में मणिपुर के लोगों ने शरण ले रखी है। इस हिंसा ने एक बार फिर कुकी उग्रवादियों को पनपने का मौका दे दिया। पिछले साल जुलाई में जब दो महिलाओं को निर्वस्त्र कर घुमाने का वीडियो आया तो पूरा देश हिल गया।

चुनाव में झूठ को लेकर जताई नाराजगी
भागवत ने लोकसभा चुनाव को लेकर भी राजनीतिक दलों को नसीहत दी। उन्होंने कहा कि दो पक्ष होने के कारण प्रतिस्पर्धा होती है। चूंकि यह एक प्रतिस्पर्धा है, इसलिए खुद को आगे बढ़ाने का प्रयास किया जाता है, लेकिन इसमें एक गरिमा होती है। उन्होंने कहा कि चुनाव में तकनीक की मदद से झूठ को पेश किया गया, झूठ को प्रचारित करने के लिए आधुनिक तकनीक का इस्तेमाल किया गया। ऐसा देश कैसे चलेगा? विपक्ष को विरोधी नहीं माना जाना चाहिए, क्योंकि वे विपक्ष हैं और एक पक्ष को उजागर कर रहे हैं। उनकी राय भी सामने आनी चाहिए। चुनाव लड़ने की एक गरिमा होती है, उस गरिमा का ख्याल नहीं रखा गया। ऐसा करना जरूरी है क्योंकि हमारे देश के सामने चुनौतियां खत्म नहीं हुई हैं। वही एन.डी.ए. सरकार फिर से सत्ता में आ गई है, यह सही है कि पिछले 10 सालों में बहुत सारी सकारात्मक चीजें हुई हैं, लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि अब हम चुनौतियों से मुक्त हो गए हैं।

 इस्लाम और ईसाई धर्म को लेकर भी नसीहत
संघ के प्रमुख मोहन भागवत ने इस्लाम और ईसाई धर्म को लेकर भी बड़ा बयान दिया। उन्होंने कहा कि इस्लाम और ईसाई जैसे धर्मों की अच्छाई और मानवता को अपनाया जाना चाहिए। सभी धर्मों के अनुयायियों को एक-दूसरे का भाई-बहन के रूप में सम्मान करना चाहिए। उन्होंने आगे कहा कि आक्रमणकारी भारत आए और अपने साथ अपनी विचारधारा लेकर आए, जिसका कुछ लोगों ने अनुसरण किया, लेकिन यह अच्छी बात है कि देश की संस्कृति इस विचारधारा से प्रभावित नहीं हुई। भागवत ने कहा कि सभी को यह मानकर आगे बढ़ना चाहिए कि यह देश हमारा है और इस भूमि पर जन्म लेने वाले सभी लोग हमारे अपने हैं। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि अतीत को भूल जाना चाहिए और सभी को अपना मानना चाहिए। भागवत ने आगे कहा कि जातिवाद को पूरी तरह से खत्म किया जाना चाहिए। 


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Content Editor

Mahima

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