Mohan Bhagwat: ''एकजुट हों सभी हिंदू और...'', बंगाल की धरती से मोहन भागवत का बड़ा बयान आया सामने
punjabkesari.in Monday, Feb 17, 2025 - 12:16 PM (IST)
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नेशनल डेस्क: आरएसएस (राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ) प्रमुख मोहन भागवत ने पश्चिम बंगाल के बर्धमान में एक कार्यक्रम के दौरान हिंदू समाज की एकता और उसके महत्व पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि हमें हिंदू समाज को एकजुट और संगठित करने की आवश्यकता है, क्योंकि यही समाज भारत की विविधता को बनाए रखने में सक्षम है। मोहान भागवत ने कार्यक्रम में अपने भाषण के दौरान हिंदू समाज की भूमिका को महत्वपूर्ण बताया। उन्होंने कहा, ‘‘लोग अक्सर यह सवाल करते हैं कि हम केवल हिंदू समाज पर ध्यान क्यों दे रहे हैं। मेरा जवाब है कि हिंदू समाज देश का जिम्मेदार समाज है, क्योंकि यह समाज भारत की मूलभूत पहचान को बनाए रखता है।’’ भागवत ने आगे कहा कि भारत का अर्थ सिर्फ भूगोल नहीं है, बल्कि यह एक विशिष्ट ‘प्रकृति’ है, जो अपनी संस्कृति, परंपराओं और मूल्यों से पहचाना जाता है। उन्होंने कहा कि जो लोग इन मूल्यों के अनुसार नहीं जी सके, उन्होंने अलग देश बना लिया, जबकि भारत में रहने वालों ने इन मूल्यों को अपनाया और यही असल में हिंदू समाज की पहचान है।
विविधता में एकता का सिद्धांत
मोहन भागवत ने अपने भाषण में "विविधता में एकता" के सिद्धांत को भी स्पष्ट किया। उन्होंने कहा, ‘‘हम कहते हैं कि विविधता में एकता है, लेकिन हिंदू समाज का मानना है कि विविधता ही असल में एकता है। यह समाज दुनिया की विविधता को स्वीकार कर फलता-फूलता है।’’ भारत की समृद्धता के बारे में भागवत ने कहा, ‘‘भारत में कोई भी सम्राटों और महापुरुषों को केवल इस आधार पर याद नहीं करता कि उन्होंने कितनी भूमि जीती, बल्कि वह उन गुणों को आदर्श मानता है जो समाज को एकजुट रखते हैं। उदाहरण के तौर पर, हम भगवान राम और उनके भाई भरत की बात करते हैं, जो अपने परिवार के आदर्शों को अपने जीवन में साकार करते हैं।’’
हिंदू समाज का संगठित होना आवश्यक
आरएसएस प्रमुख ने कहा कि हिंदू समाज को संगठित करना बहुत जरूरी है, क्योंकि भारत की विविधता को बनाए रखने की ताकत हिंदू समाज में है। इस समाज में एकता और समानता का आदर्श है, जो पूरे देश को एकजुट रखता है।
उन्होंने हिंदू समाज के एकजुट होने की आवश्यकता को फिर से रेखांकित करते हुए कहा, ‘‘समस्याओं का सामना करने से ज्यादा यह महत्वपूर्ण है कि हम उनके लिए कितने तैयार हैं।’’
ब्रिटिश शासन और देश की एकता
भागवत ने अपने भाषण में यह भी कहा कि भारत का एकजुट होना ब्रिटिशों द्वारा की गई एक साजिश थी। उन्होंने कहा कि अंग्रेजों ने भारत के समाज में यह भावना पैदा की कि यह देश एकजुट नहीं हो सकता। हालांकि, भारतीय समाज की असली ताकत उसकी एकता में है, जो कि अंग्रेजों के शासन से पहले भी मजबूत थी।