ब्रिक्स में हिंदी-चीनी भाई-भाई नारा फिर बहाल, मोदी-शी 63 साल बाद इस समझौते को तैयार !

Tuesday, Sep 05, 2017 - 01:23 PM (IST)

शंघाईः ब्रिक्स सम्मेलन से अलग प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच  कई मुद्दों पर बात हुई। इस दौरान शी जिनपिंग भारत के साथ मिलकर पंचशील समझौते के पांच सिद्धांतों पर साथ काम करने को तैयार हो गए जिसके साथ ही हिंदी-चीनी भाई-भाई नारा फिर बहाल होता नजर आया । इससे पहले भी भारत और चीन  पंचशील समझौता कर चुके हैं।

इससे पहले पंचशील समझौते पर 63 साल पहले 29 अप्रैल 1954 को हस्ताक्षर हुए थे। ये समझौता चीन के क्षेत्र तिब्बत और भारत के बीच व्यापार और आपसी संबंधों को लेकर हुआ था। इसमें पांच सिद्धांत थे जो अगले पांच साल तक भारत की विदेश नीति की रीढ़ रहे थे। ये समझौता तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू के नेतृत्व में चीन के पहले प्रीमियर (प्रधानमंत्री) चाऊ एन लाई के बीच हुआ था। इस समझौते के बाद ही हिंदी-चीनी भाई-भाई के नारे लगे थे और भारत ने गुट निरपेक्ष रवैया अपनाया. हालांकि फिर 1962 में चीन के साथ हुए युद्ध में इस संधि की मूल भावना को काफ़ी चोट पहुंची थी।

पंचशील समझौते के बारे में खास बातें...

दरअसल, पंचशील शब्द ऐतिहासिक बौद्ध अभिलेखों से लिया गया है जो कि बौद्ध भिक्षुओं का व्यवहार निर्धारित करने वाले पांच निषेध होते हैं। पंडित जवाहर लाल नेहरू ने वहीं से ये शब्द लिया था। इस समझौते के बारे में 31 दिसंबर 1953 और 29 अप्रैल 1954 को बैठकें हुई थीं जिसके बाद बीजिंग में इस पर हस्ताक्षर हुए।

पंचशील के 5 मुख्य बिंदु  
1. एक दूसरे की अखंडता और संप्रभुता का सम्मान
2. परस्पर अनाक्रमण
3. एक दूसरे के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप नहीं करना
4. समान और परस्पर लाभकारी संबंध
5. शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व

इस समझौते के तहत भारत ने तिब्बत को चीन का एक क्षेत्र स्वीकार किया था, इस तरह उस समय इस संधि ने भारत और चीन के संबंधों के तनाव को काफी हद तक दूर कर दिया था।  गौरतलब है कि जिस दौरान भारत और चीन के बीच डोकलाम विवाद चरम पर था, उस दौरान चीन ने भारत को पंचशील समझौते की दुहाई दी थी।  उस दौरान चीनी विदेश मंत्रालय ने भारत पर पंचशील समझौता तोड़ने का आरोप लगाया था, चीन का कहना था कि भारत ने ही इसकी नींव रखी थी और भारत ही इसे तोड़ रहा है।

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