PM मोदी ने छात्रों से की 'परीक्षा पर चर्चा', एग्जाम के लिए दिए खास टिप्स

Friday, Feb 16, 2018 - 02:59 PM (IST)

नई दिल्ली: दिल्ली के तालकटोरा स्टेडियम में 'परीक्षा पर चर्चा' कार्यक्रम में आज वहां उपस्थित छात्रों से कहा कि आप लोग टेंशन में हैं क्या? यह भूल जाइए कि आप प्रधानमंत्री से बात कर रहे हैं। यह सोचिए मैं आपको दोस्त हूं। उन्होंने कहा कि यह देश के प्रधानमंत्री नहीं बल्कि छात्रों का कार्यक्रम है। उन्होंने कहा कि मैं सबसे पहले अपने उन शिक्षिकों को नमन करता हूं जिन्होंने मुझे अभी भी विद्यार्थी बनाए रखा। बता दें कि इस परिचर्चा का शीर्षक 'मेकिंग एक्जाम फन: चैट विद पीएम मोदी' रखा गया था। पीएम मोदी ने परीक्षा को लेकर बच्चों को उनके सवालों के जवाब दिए और तनावमुक्त रहने के लिए कुछ टिप्स भी दिए। ‘‘परीक्षा पर चर्चा’’ कार्यक्रम के माध्यम से दिल्ली में छात्रों से सीधा संवाद एवं अन्य क्षेत्रों से वीडियोकांफ्रेंसिंग के जरिए संपर्क किया।

सवाल: परीक्षा से पहले हम बहुत तैयारी करते हैं, लेकिन ऐन वक्त पर सब कुछ भूल जाते हैं?
पीएम मोदी: आत्मविश्वास हर पल प्रयासों से, खुद को ऑब्जर्ब करने से आता है, दिमाग से ये ख्याल निकाल दीजिए कि कोई आपकी परीक्षा ले रहा है। मन में आत्मविश्वास होना बेहद जरूरी है, ये कोई जड़ी बूटी नहीं, ये खुद नहीं आता, हमें हर पल खुद को कसौटी पर कसने की आदत डालनी चाहिए। मम्मी या कोई कह दें कि एग्जाम में जाने से पहले ऐसा टेबलेट ले लेना और आ जाए। हर पल कसौटी पर कसने की आदत डालनी होगी। उन्होंने कनाडा के स्नो बोर्ड के खिलाड़ी का उदाहरण दिया जो दक्षिण कोरिया में स्नो बोर्ड खेल में हिस्सा लेने और कांस्य पदक जीतने से पहले दुर्घटना का शिकार हो गया था। उन्होंने कहा कि वह युवक कोमा में चला गया था लेकिन कोमा से लौटने के बाद उसने अपने देश के लिए ब्रांज मेडल जीता जबकि उसकी हड्डी पसली टूट गई थी।

सवाल: पढ़ाई से ध्यान भटकें तो क्या करें?
पीएम मोदी: पेपरों से पहले खुद को एकाग्र करें। ध्यान खास विधा नहीं है, रोज हम कोई 1 काम पूरे ध्यान से जरूर करते हैं। बस उसे पेपरों में भी आजमाएं। परीक्षा में इस भाव से बैठिये की आप ही अपना भविष्य तय करेंगे।

सवालः कोई अभिभूत महसूस कर रहा हो, तो उसे क्या करना चाहिए?
पीएम मोदी: स्कूल जाते वक्त दिमाग से यह निकाल दें कि आप परीक्षा देने जा रहे हैं। ‘‘ आप यह समझिए कि आप ही अपने को अंक देने वाले हैं। इस भाव के साथ आप परीक्षा में बैठिए।’’ सचिन तेंदुलकर ने कहा था कि वे यह नहीं सोचते कि आगे वाली गेंद कैसी होगी या पिछली गेंद कैसी थी बल्कि उस समय की गेंद खेलते है। वर्तमान में जीने की आदत ध्यान केंद्रित करने का रास्ता खोल देती है। इसका अर्थ यह नहीं है कि अतीत का महत्व नहीं है, अतीत का अपना महत्‍व है, लेकिन जब वह बोझ बन जाता है तो भविष्‍य के सपने रौंद देता है और वर्तमान भी मुश्किलों भरा हो जाता है।

सवालः ‘परीक्षा के दौरान मां बाप बच्चों पर दबाव बनाते हैं लेकिन संतुष्ट नहीं होते हैं। इससे बच्चों की अंदर की इच्छाएं मर जाती हैं। ऐसे में क्या करें?
पीएम मोदीः मोदी ने इस सवाल पर चुटकी लेते हुए कहा कि क्या बच्चे चाहते हैं कि मैं अब उनके माता-पिता की क्लास लूं। ‘हमें अपने माता-पिता के इरादों पर शक नहीं करना चाहिए, यह स्वीकार करना चाहिए कि मां-बाप ने आपके सपनों को साकार करने के लिए जीवन खपा दिया है। एक बार यह तय कर लें तब सब कुछ ठीक हो जाता है।’’ कुछ माता-पिता अपने बच्चों से अपने अधूरे सपनों को पूरा करवाना चाहते हैं। यह ठीक नहीं होता है। हर बच्चे में हुनर होता है, सभी माता-पिता से अनुरोध है कि अपने बच्चों को केवल एक परीक्षा से नहीं तोलें। जिंदगी में ऐसे बहुत से एक्जाम आएंगे इसीलिए उन्हें प्रेरित करें।

पीएम ने बच्चों को दिए ये टिप्स
- ‘‘अपने आप को जानने की कोशिश करें।’’

-‘‘आप अपने दोस्तों के साथ स्पर्धा में क्यों उतरते हैं? आपके सपने अलग हैं, वातावरण अलग है। पहले हमें खुद को जानना चाहिए। जब आप प्रतिस्पर्धा में उतरते हैं तो तनाव महसूस होता है। आप खुद के लिए काम करें। प्रतिस्पर्धा अपने आप हो जाएगी, पहले आप खुद को जानने की कोशिश करें और जिसमें समर्थ हैं, उसी में आगे बढऩे की कोशिश करिए।’’ 

-स्वयं से स्पर्धा करें, अगर एक बार हम खुद से दो कदम आगे बढ़ना सीख लेंगे तो भीतर से ऊर्जा प्रकट होगी जो नए क्षितिजों को पार करने की ताकत देगी इसलिए प्रतिस्पर्धा से निकलकर अनुस्पर्धा करें।

-सबसे पहले बच्चों को ‘‘डिफोकस’’ होना सीखना चाहिए। घड़े में अगर पानी ऊपर तक भर जाएगा तो पानी तो बाहर निकलेगा ही। इसीलिए सबसे पहले डिफोकस होना सीखिए, इससे आपको तनाव नहीं होगा।

-आज छात्रों के इर्द गिर्द 24 घंटे परीक्षा, कैरियर जैसे शब्द चलते रहते हैं। यह समझने की जरूरत है कि इससे भी परे दुनिया है। खेलकूद है, पंचमहाभूत हैं जिसमें पृथ्वी, आकाश, वायु, जल, अग्नि शामिल है।

-‘‘हमारे शरीर की रचना ही ऐसी बनी है कि जब भी हम इन पंचमहाभूतों के सम्पर्क में आते हैं, तो यह हमें तरोताजा कर देती है।’’

-छात्रों को अपनी पसंद की चीजें करने जैसे खेलने, गीत गाने, खुले पांव मिट्टी पर चलने आदि नहीं छोड़ना चाहिए।

-अपने बहुमूल्य समय का भरपूर उपयोग करें। सबसे पहले प्राथमिकता तय करें। समय के अनुसार अपने टाइमटेबल को तय करें। सभी छात्रों को डायरी लिखनी चाहिए, डायरी में लिखें कि कल क्या क्या करना है।

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